इंग्लैंड को आधुनिक फुटबाल का जन्मस्थान माना जाता है । विश्व कप में इंग्लैंड टीम का इतिहास कई कहानियों से भरा है ।उसने वर्ष 1966 में मेजबान का लाभ उठाकर विश्व कप जीता था ,पर तीन बार विश्व कप के फाइनल दौर में नहीं पहुंच सकी ।उसे काफी अच्छे व बुरे दोनों दौर से गुजरना पड़ा है। इधर के कुछ वर्षो में इग्लैंड की टीम अकसर स्कैंडल से घिरी रही है। जिससे उसकी छवि पर विपरीत असर पड़ा है। 1990 के विश्व कप में इंग्लैंड की टीम के तीन खिलाडी सेक्स स्कैंडल में फंसे और 1998 विश्व कप में इंग्लैड टीम के मुख्य कोच ग्लेन होड्डल अति अंधविश्वास से मीडिया के हंसी मजाक का पात्र बन गए। वर्ष 2002 व 2006 विश्व कप में इंग्लैड टीम में फिर से सेक्स स्कैंडल का पर्दाफाश हुआ ।
वर्तमान इंग्लैंड टीम के मुख्य कोच इटली से आये फाबिओ कापेलो है ,जो एक सख्त कोच माने जाते हैं । उनके नेतृत्व में इंग्लैंड टीम ने विश्व कप के क्वालिफाइंग दौर में नौ मैच जीते और कुल 34 गोल दागे, जो कि शानदार प्रदर्शन कहा जा सकता है। लेकिन दुबारा उस वक्त मुश्किल आ गई, जब जोन टरी और उनके साथी वेने ब्रिज की पत्नी के बीच स्कैंडल में मामला प्रकाश में आया। जिससे टरी को टीम से हटा दिया गया।इसके बाद ड्रेसिंग रूम में बगिंग की घटना का खुलासा हो गया। वहीं इंग्लैड के मुख्य स्तंभ डेविड बेखम को चोट के चलते विश्व कप से विदाई लेनी पडी। हालांकि विश्लेषकों के विचार में सी ग्रुप से निकलना इंग्लैड टीम के लिए बहुत मुश्किल काम नहीं होगा ,पर उसके समर्थकों की अपेक्षा काफी ऊंची है। अगर टीम को दक्षिण अफ्रीका में बेहतरीन प्रदर्शन करना है तो उसे मैदान के बाहर की घटनाओं से बचना होगा।
गौरतलब है कि अमरीकी टीम नौ बार विश्व कप के फाइनल दौर में पहुंची है। वर्ष 1950 के विश्व कप में उसने इंग्लैंड को 1--0 से हराया था, 2009 दक्षिण अफ्रीका में हुए फीफा कंफेडरेशन कप में अमरीका ने सेमीफाइनल में यूरोपीय चैंपियन स्पैनिश टीम को 2--0 से हराया। ब्राजीली टीम के साथ हुए फाइनल मैच में अमरीका ने 2--0 से बढत ली थी ,लेकिन वह इस बढत को बरकरार नहीं रख सकी और अंत में हार गयी। अमरीकी टीम में कई खिलाडी यूरोप के नामी व उच्च स्तरीय लीगों से खेलते हैं, जो कि वे अमरीकी टीम के स्तंभ माने जाते हैं। अमरीकी टीम के लिए स्थिर प्रदर्शन करना सबसे महत्वपूर्ण है ।वह किसी टीम से कम नहीं है लेकिन किसी भी टीम से पराजित भी हो सकती है। यानी अमरीकी का विश्व फुटबाल में अब तक स्पष्ट स्थान नहीं बन पाया है।
उधर अल्जीरियाई टीम का निक-नेम रेगिस्तान की लोमडी़ है। यह तीसरी बार है कि वह विश्व कप के फाइनल दौर में पहुंची। क्वालिफाइंग दौर में उसने अतिरिक्त मैच में मिस्र की टीम को 1-0 से हराकर दक्षिण अफ्रीका का टिकट पाया। वर्ष 1982 में अल्जीरियाई टीम पहली बार विश्व कप के फाइनल दौर में नजर आयी ।उसने ग्रुप मैच में पश्चिमी जर्मनी को 2--1 से हराया ,जिसने पूरे विश्व को चौंका दिया । वर्ष 1986 विश्व कप में अल्जीरियाई टीम का प्रदर्शन खराब रहा और एक भी ग्रुप मैच नहीं जीत सकी ।इसके बाद वह 24 साल तक खामोश रही ।विश्व कप के फाइनल दौर मे फिर लौटना अल्जीरियाई टीम के लिए एक नयी शुरूआत है ।लेकिन वह कितनी दूर जा सकेगी ,इस पर अधिकांश विश्लेषक आशावान नहीं है।
शक्तिशाली टीमों से भरे यूरोप में स्लोवानिया कोई बडा नाम नहीं है। टीम में स्टार खिलाडी भी नहीं है । पर दक्षिण अफ्रीका विश्व कप के क्वालिफाइंग दौर में वह सचमुच एक ब्लैक हार्स थी। उसने अतिरिक्त मैचों में रूसी टीम को हराया । स्लोवानियाई टीम की मजबूत प्रतिरक्षा उसका सबसे बडा हथियार है ।क्वालिफाइंग दौर में उसने 12 मैचों में सिर्फ 6 गोल खाये ,जो यूरोप में सिर्फ दो मैच कम खेले होलैंड के पीछे थी। स्लोवानियाई टीम ने वर्ष 2002 विश्व कप के फाइनल दौर में भाग लिया था ।उस समय वह सभी तीन ग्रुप मैचों में हार गयी ।क्या दक्षिण अफ्रीका में वह एक ब्लैक हार्स बन सकेगी। विश्लेषकों की नजर में ऐसी संभावना बहुत कम है ।