चीन के सिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश की राजधानी उरुमछी के नान हू नागरिक चौक पर एक शहरी मूर्तिकला पार्क है, जहां कुल 60 से ज्यादा विविधतापूर्ण मूर्तियां हैं। इन मूर्तियों में जातीय विशेषता वाली मूर्ति हंस नृत्य नामक एक मूर्ति बहुत आकर्षक है। उस के रचनाकार सिनच्यांग मूर्तिकला संघ के अध्यक्ष चांग सिनमीन हैं।
श्री चांग सिनमीन ने कहा कि इस रचना की प्रेरणा उन्हें सिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश के जातीय नृत्य नाजखूम से मिली है। नाजखूम नृत्य में नर्तक आम तौर पर विभिन्न पशुओं की नकल करता है। हंस मूर्तिकला में कई वेवुर जाति के नर्तक हंस के पीछे उस की नकल करते हुए नाचते हैं, जो बहुत जीवंत दिखायी देता है।
वर्ष 1932 में श्री चांग सिनमीन का जन्म चीन के शैनशी प्रांत के शी एन शहर के एक आम परिवार में हुआ था। उन की मां एक मशहूर जातीय कलाकार थीं, जो अच्छी तरह कागज़ काटकर चित्र बना सकती थीं। उन की मां बहुत फुर्तीली महिला थीं । सामान्य चीजें भी उन की मां के हाथों में बहुत सुन्दर कलाकृतियां बन जाती थीं। अपनी मां से प्रभावित होकर चित्रकला के प्रति श्री चांग सिनमीन की रूचि बढ़ी।
वर्ष 1955 में श्री चांग सिनमीन उत्तर पश्चिमी कला अकादमी के मूर्तिकला विभाग से स्नातक हुए। 23 साल की उम्र में उन्होंने खुद सिनच्यांग आकर सिनच्यांग विश्वविद्यालय के कला विभाग में काम करना शुरु किया। पिछले 30 से ज्यादा वर्षों की पढ़ाई में उन्होंने अनेक श्रेष्ठ विद्यार्थियों को पढ़ाया।
पिछली शताब्दी के 80 के दशक से अब तक सिनच्यांग के अनेक श्रेष्ठ मूर्तिकारों के प्रयत्न से अनेक उच्च गुणवत्ता वाली कृतियों की रचना की गयी है। सिनच्यांग में मूर्तिकला के विकास में भी परिपक्वता आई है। अनेक वर्षों में मूर्तिकला ने सिनच्यांग के पर्यटन एवं शहरी वास्तु कला आदि क्षेत्रों में बड़ा योगदान दिया है। अब सिनच्यांग के बड़े शहरों या छोटी काऊंटियों में जगह-जगह स्थानीय विशेषता वाली मूर्तियां दिखायी दे जाती हैं। श्री चांग सिनमीन ने परिचय देते हुए बताया,
आर्थिक निर्माण की लहर के आगमन पर सांस्कृतिक निर्माण भी आगे बढ़ा है। इसलिए, सांस्कृतिक निर्माण में 80 के दशक के बाद तेज़ विकास हुआ है।
इस के बाद सिनच्यांग मूर्तिकला का भी समृद्ध विकास हुआ है। बनाई गई मूर्तियों की प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया जाता है। वर्ष 2008 में उरुमछी के कला भवन में 30 स्थानीय मूर्तिकारों की 60 से ज्यादा कृतियों ने अनेक नागरिकों को आकर्षित किया है। लोग इन कलाकृतियों के सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाते हैं।
वर्ष 2009 में सिनच्यांग का उरुमछी अंतर्राष्ट्रीय शहरी मूर्तिकला रचना पड़ाव यानि नव वर्ष की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के विषय पर शहरी मूर्तिकला प्रस्ताव प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिस से सिनच्यांग में मूर्ति कला को आगे बढ़ाया गया है। इस गतिविधि ने सिनच्यांग की छवि को भी उन्नत किया है और शहर में अनेक मूर्तियां भी स्थापित हुई हैं। अब ये मूर्तियां उरुमछी के नान हू नागरिक चौक में रखी हुई हैं।शहर में यह मूर्तिकला पार्क उरुमछी में एक नया दृश्य बनाएगा। इस प्रक्रिया में श्री चांग सिनमीन ने बड़ा प्रयास किया है।
तैयारी करने के लिए हम ने अनेक काम किये हैं। धीरे-धीरे सब कार्य सामान्य रास्ते पर आ गया है। कुछ युवा बहुत सक्षम हैं। मेरा काम युवाओं के लिए स्थितियां तैयार करना है।
मूर्तिकला की चर्चा करते हुए श्री चांग सिनमीन बहुत उत्तेजित हो जाते हैं। उन्होंने आजीवन मूर्तिकला के क्षेत्र में ही अनुसंधान किया है और सिनच्यांग में मूर्तिकला का प्रसार किया है। उन्होंने आधी शताब्दी में सिनच्यांग मूर्तिकला के वसंत के आगमन का इन्तजार किया।सिनच्यांग में मूर्तिकला के विकास की चर्चा करते समय सफेद बालों वाले इस वृद्ध ने कहा,
क्षेत्रीय एवं जातीय विशेषता हमारे सिनच्यांग के मूर्तिकारों का प्रथम विषय रहेगा। यदि आप प्रतिस्पर्द्धा चाहते हैं, तो सिनच्यांग की क्षेत्रीय व जातीय विशेषता बरकरार रखना जरूरी है। हम यह जानते हैं कि केवल जातीय विशेषता वाली कृतियां लोकप्रिय बन सकेंगी।
सिच्यांग मूर्तिकला संघ के सदस्य, अब क्वांग च्यो में काम करने वाले ली मैनजुंग श्री चांग सिनमीन से सहमत हैं।उन के अनुसार,
इधर के वर्षों में चीन के भीतरी क्षेत्रों में मैंने अनेक मूर्तिकारों व कलाकारों की कृतियों को देखा है, जिन से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं। सिनच्यांग में अनेक जातियां हैं। यहां अनेक जातीय संस्कृति के तत्व हम देख सकते हैं। मैं चाहता हूं कि जातीय संस्कृति को व्यवहार में इस्तेमाल में लाया जाए।