आप ने अभी जो गीत सुना है, वे चीन की सोपरानो गायिका दिलबर युनस का हाल ही में चीन के राष्ट्रीय थियेटर में पहाड़ी ग्रामीण महिला शिक्षक नाम का ओपेरा में गाया एक गीत है। दिलबर युनस चीन की कोयल के नाम से अन्तर्रराष्ट्रीय मंच में एक जानी मानी व विश्व की मान्यता प्राप्त ओपेरा गायिका हैं। इस ओपेरा में दिलबर युनस ने एक महिला शिक्षक के अभिनय में अपनी ऊंची व सुरीली आवाज से दर्शको का मन जीत लिया।
इस साल 50 वर्षीय दिलबर युनस सिनच्यांग के कास शहर में पली बढ़ी एक वेबुर जाति की हैं। उन्होने 1987 में केन्द्रीय संगीत कालेज से मास्टर डिग्री प्राप्त की। 1988 में उन्होने फिन्लैंड राष्ट्रीय ओपेरा मंडली के निमंत्रण पर सोलो गीतकार अभिनय का रूल अदा किया , तब से उन्होने यूरोप के ओपेरा मंच में अपनी पहचान बनायी। उन्होने दसेक देशों में कई सौ सोलो संगीत समारोह का आयोजन किया और दसेक ओपेरा में मुख्य पात्र अदा किए हैं। अनेक मशहूर निर्देशकों व ओकेस्टरा संगीत मंडली के साथ सहयोग में उन्होने अपनी संगीत की माहिरता को दर्शाया। 1997 और 1998 में उन्हे स्वीडेन ओपेरा का उच्चतम ब्राइट निलसन पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। उस समय विदेशी गायकों ने दिलबर युनस से पूछा कि कौन से गुरू ने उन्होने शिक्षित किया है, तो उन्होने बिना हिचकिचाए जवाब दिया कि चीन की उम्दा संगीत शिक्षा ने उन्हे यह काबिलता दी है। उन्होने कहा संगीत कालेज में भाषा व संगीत पाठयक्रम में हमारे शिक्षक बड़ी गंभीरता व संजीदगी से हमें सिखाते रहे हैं, उन्होने अपने विस्तार ज्ञान से हमारी कौशलता को उजागर कर हमारी कला को बड़ी बेहतरीन रूप से निखारा है, तभी हम विदेशों में लोगों के मनपसंद कलाकार बने हैं। आज भी जब भी हम रिहासर्ल करते हैं तो लोग हमें बड़ी उत्सुकता से देखते हैं, हालांकि हमने अधिकतर ओपेरा विदेशों में सीखा है, लेकिन हमारे शिक्षकों ने जो नींव डाली है हमारे उपर , उसने हमें नयी नयी चीजें सीखने में बड़ी मदद दी है, यही कारण कि हमने जो हरेक कदम उठाया , वे हमारी आज की सफलता का रहस्य रहा है।
स्वर्ण स्वर के नाम से जानी मानी दिलबर युनस वाकई विश्व मंच में शानदार सफलता हासिल करने वाले चन्द चीनी सोपरानो गायिका में से एक हैं, वे आज भी स्वीडेन राष्ट्रीय ओपेरा मंडली की मुख्य अभिनेत्री हैं, विश्व ओपेरा मंच में उन्होने अनेक बेहतरीन व प्रशंसनीय पात्र निभाए हैं, इन में लातिन अमरीका मोमर की लुसिया , जादू बांसुरी , सपने में चलने वाली लड़की , रात की कोयल व मोहब्बत का अमृत जैसे ओपेराओं में वे मुख्य अभिनेत्री रही हैं। उनका हमेशा से एक उसूल रहा है कि जो पात्र उनसे मेल नहीं रखता , वे उसे कभी नहीं निभाएगी।
अलबत्ता ओपेरा में गायिका के स्वर के मुताबिक गायिकाओं को तीन श्रेणी में बांटा जाता है, दिलबर युनस यूरोप ओपेरा मंच में लेरिक गीत गाने वाली गायिकाओं के बीच की प्रतिस्पर्द्धा में हमेशा अग्रिम पंक्ति में बनी रही हैं, ओपेरा निर्देशकों जब भी इस तरह के पात्र की जरूरत पड़ती तो वे पहले दिलबर युनस को ही सोचते हैं। जब जब स्टेज में वे अपनी माहिरता से दर्शकों की गड़गड़हाट तालियों से उनका मन जीत लेती और फूलों के गुलदस्ते से अपने हाथ भर लेती , तो उन्हे मालूम है कि आज के दिन के लिए उन्होने कितनी कठोर मेहनत की है , वह खुद बड़ी अच्छी तरह जानती है। पहली बार जब वे विदेश गयी तो उन्हे विदेशी भाषा का एक लफ्ज भी नहीं आता था, निर्देशकों की बातें वे समझ नहीं पाती थी, दिलबर युनस ने याद ताजा करते हुए हमें बताया जहां जहां मैं जाती थी तो अपने साथ एक शब्दकोश अपने साथ लेती जाती थी, अभिनय के बाद की पार्टी में जब लोग मदिरा का मनभरकर आन्नद उठाते हैं और मग्न से हंसते खेलते हैं, पर इस समय मेरे दिल में इसका आन्नद उठाने का मन कहां होता है , मैं तो पार्टी में भी एक एक शब्द कान खोलकर सुनती हूं, जैसे क्लास में कोई पाठ पढ़ाया जा रहा हो, मैं तो मंच के अन्दर और मंच के बाहर भी हमेशा थकीमंदी रहती हूं, आराम मेरे लिए हराम बन गया है, बड़ी मुसीबतें थी उन दिनों, तो भी मैं किसी तरह इन मुश्किलों को पार कर आज की सफलता को चूमने में विजय रही हूं।
दिलबर युनस को बड़ी अच्छी तरह याद है कि पहली बार लुंगछन नाम का ओपेरा के रिहसर्ल समय इस ओपेरा के एक अन्य पात्र चिरदा के मरने के सीन के अभिनय के दौरान , एक मुख्य पात्र होने के नाते उन्हे उसकी मां को मानो स्वर्ग में देखने का रोल अदा करना था, लेकिन भाषा की बाधा से वे निर्देशक का सहीं मतलब न समझ सकी, मुझे मालूम नहीं कि मैं क्या करूं, निर्देशक गुस्से में मेरे पास आए और बोले दिलबर तुम्हारी कितनी मां हैं, मैंने कहा एक ही है। तो निर्देशक ने दाए की तरफ के एक बल्ब की ओर इशारा करते हुए कहा कि याद रखो वह बल्ब तुम्हारी मां है, तुम उसे देखते रहो तो सब कुछ ठीक रहेगा। और तो और इस ओपेरा में उनका साथ दे रहे सभी अभिनेत्री व अभिनेता बड़े मशहूर कलाकार थे, मेरे उपर का दबाव कहीं ज्यादा बढ़ गया।
एक अक्टूबर 2009 के राष्ट्रीय दिवस की 60वीं वर्षगांठ के भव्य समारोह में उन्होने मशहूर ओपेरा गायक ताए वी छ्यांग के साथ चीन आगे बढ़ो का गीत गाया, तब से लोगों ने उनकी सुरीली व उच्चतम स्वर को पहली बार अहसास किया। वे बड़ी तमन्ना लगाए बैंठी हैं कि एक न एक दिन वे अपने देश के ओपेरा में मुख्य पात्र का रोल अदा करेंगी। जब राष्ट्रीय ओपेरा मंडली ने उन्हे पहाड़ी ग्रामीण महिला शिक्षक का पात्र निभाने का निमंत्रण दिया तो दिलबर युनस का खुशी का ठिकाना न रहा, विशेषकर इस ओपेरा में एक सुरीली मधुर आवाज का गीत पश्चिम ओपेरा के मुख्य ओपेरा के संगीत से बहुत मिलता जुलता है। उन्होने इस का जिक्र करते हुए कहा सबसे आकर्षित करने वाली बात यह है कि इतने बड़े समाज में आज भी एक चुपचाप समुदाय है जिसे लोग कभी कभी नजरअन्दाज कर देते हैं, वे है पहाड़ी ग्रामीण की महिला शिक्षकें, उन्होने सचमुच समाज के लिए अपना अनोखा योगदान किया है और हमारे देश के लिए नयी पीढ़ी के पढ़े लिखे किशोर किशोरियों को शिक्षित किया है। हमारा देश आज इतना बलवान हो रहा है, यह शिक्षा की बदौलत ही है, हमें इन सादे और ईमानदार पहाड़ी ग्रामीण महिलाओं को अपना सलाम देना चाहिए, वे हमारे समाज की इज्जतदार पात्र हैं।
आज दिलबर युनस एक बहुत ही मशहूर व लोकप्रिय गायिका बन गयी हैं, रोजाना विदेशों से उनको निमंत्रण मिलता रहता है, तो भी वे अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ आन्नदमय दिन बिताना नहीं भूलती हैं। अपनी बढ़ती उम्र को देखते हुए वे चाहती हैं कि जल्द से जल्द चीन में आकर नयी चीनी ओपेरा पीढ़ी की शिक्षा के लिए कुछ काम किया जाए और चीन में अपने परिजनों के बीच रहती रहें। उन्होने मुस्कराते हुए कहा कि यदि एक दिन वे स्टेज पर अभिनय न कर सकी , तो भी वे ओपेरा से कभी विदा नहीं लेगी।