आलताय प्रांत में फूहाय जिला के छिकानजी कस्बे में 600 कजाक परिवार निवास कर रहे हैं। हजारों साल से, ये लोग खानाबदोश का जीवन बिताते आ रहे थे। 37 वर्षिय रकबाय जमार भी उन्हीं में से एक हैं। पहले के समय में, जब दक्षिणी भाग से उत्तरी भाग का जमा बर्फ पिघलना शुरू होता था तो, रकबाय अपने परिवार और गाय, भेङ के साथ सर्दी वाले मैदान से वसंत वाले मैदान की ओर जाना शुरू कर देता था, जून के महिने में ग्रीष्म वाले मैदान की तरफ यात्रा शुरू कर देता था। जब अगस्त महिने में आलताय पहाङ की बर्फ पिघलनी शुरू होती थी तब वह पहाङ से बाहर की ओर यात्रा शुरू करता था, नवम्बर महिने में जब बर्फ पङनी स्थिर हो जाती थी तब वह फिर से सर्दी वाले इलाके की तरफ प्रस्थान कर देता था। रकबाय कहता है,पहले पशु चराने के समय, आज यहाँ तो कल किसी और जगह जाना पङता था, शारिरिक शक्ति भी पर्याप्त नहीं रहती थी, अगर बिमार पङ गये तो इलाज के लिए अस्पताल भी जाने का कोई सुविधा नहीं था। मेरे बहुत सारे पूर्वज स्थानों की अदल-बदल में ही परलोक सिधार गये। इस तरह की परंपरागत जीवन लोगो की शिक्षा, चिकित्सा आदी में ही बाधक नहीं थे बल्कि अत्यधिक पशुपालन मिट्टी के कटाव की गति को भी तेज कर दिया और पशुपालन के लिए भी समस्या उत्पन्न हो गई। आलताय प्रांत के संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति ने कहा,खानाबदोश लोग एक साल में नब्बे बार अपना स्थान बदलते हैं, ऐसे में बच्चों की पढाई कैसे हो सकती है। वे लोग आधुनिकतावाद के परिणामों से वंचित रह जाते हैं। लोग बढते हैं तो पशुओं की संख्या भी बढाना चाहते हैं लेकिन मैदान का सीमित क्षेत्र बढ नहीं पाता है। इसलिए पशुओं की संख्या नहीं बढनी चाहिए, परंतु इस तरह की समस्या उत्पन्न होती ही रहती है।
खानाबदोश लोगों के प्रकृति पर निर्भर जीवन को बदलने के लिए, चीनी सरकार ने कई साल पहले इन्हें पैसे और मकान उपलब्ध कराकर स्थायी रूप से बसने की योजना शुरू की। छिकानजी कस्बे के सायखलू गाँव इसी तरह के खानाबदोश लोगों का निवास स्थल है। इस गाँव से कजाक जाति की विशेषता झलकती है। गाँव में सङक के दोनों तरफ सफेद रंग की मकानों की दिवारें और उस पर बने कजाक जाति की परंपरागत चित्रकारी, सङक के किनारे खङे हुए कुछ लोगों का गाना गाना, सभी कजाक जाति की संस्कृति की पहचान बताते हैं।
वर्ष 2008 में रकबाय और बहुत सारे लोग एक साथ इस गाँव में रहने आये थे। रकबाय के घर में रंगीन टेलीविजन, सोफा, पंखा सभी कुछ है। दीवारों पर टंगी कारपेट के उपर चील की नक्काशी है और एक चीते की छाल भी है जो इनके वीरता की सूचक है, टेबल पर कजाक जाति की परंपरागत खाद्य सामग्री है। रकबाय की पत्नी बहुत प्यार से अतिथीयों को घर में बिठाती है। वह कहती है,पहले के खानाबदोश जीवन में हमेशा जगह बदलनी पङती थी, अब स्थाई रूप से बसने से घर में बिजली, पानी सभी कुछ उपलब्ध है। सबकुछ बहुत अच्छा है। आज रकबाय का परिवार 7 हेक्टेयर में सूर्यमुखी की खेती कर रहे हैं, जीवन अपने खेतों की उपज पर निर्भर है। रकबाय ने 150 गाय और भेङ भी पाल रखे हैं। इसके अलावा, अपने घर में ही एक छोटी सी दुकान भी खोल लिया है। इस सबसे रकबाय के परिवार की प्रति व्यक्ति सालाना आमदनी 10 हजार युवान तक हो जाती है। रकबाय कहते हैं, पिछले साल से मैने मुख्य तौर पर सूर्यमुखी की खेती करनी शुरू की है, इसके अलावा 120 भेंङ और 30 गाय भी पाला है। पिछले साल की आमदनी लगभग 36000 युवान थी। इस कस्बे में रकबाय की तरह ही 300 परिवार रहते हैं। कस्बे के जिम्मेदार कर्मचारी कहते हैं कि सिर्फ मकान का निर्माण ही काफी नहीं है।
हमें सबसे पहले उत्पादन के साधन का प्रबंध करना है, सिर्फ मकान का निर्माण ही काफी नहीं है। अगर उत्पादन के साधन उपलब्ध नहीं होगा तो लोग स्थिर रूप से नहीं रह सकते हैं। इसलिए हमें इस समस्या का समाधान के लिए समय चाहिए। हम सबसे पहले फसल उत्पादन के साधन का प्रबंध करेंगे उसके बाद लोगों का बसायेंगे। हमने लोगों को लगभग प्रति व्यक्ति 5.3 हेक्टेयर भूमी खेती के लिए दिया है।
वे आगे बताते हैं कि, इस कस्बे में लोगों ने 90 के दशक से स्थायी रूप से रहना शुरू कर दिया था। लेकिन उस समय संसाधनो का अभाव था इसलिए लोगों की आमदनी भी कम थी। वर्ष 2006 के बाद, सरकार ने इस कस्बे में निवेश की राशी बढाई। प्रत्येक परिवार को 25हजार युवान की राशी सहायता के रूप में दी गई। मकानों का निर्माण करवाया गया, सङक पक्की की गई, शौचालय का निर्माण कराया गया, बिजली, पानी, यातायात, मनोरंजन की सेवा उपलब्ध कराया गया। लोगों को विशेष सामग्री पैदा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। चांग चियेन चियांग कहते हैं, पहले मुख्य पेशा पशुपालन था लेकिन अब खेती, खाद का उत्पादन, पारिवारिक अर्थव्यवस्था, बीजों का उत्पादन, श्रम शक्ति का रूपांतरण आदी आमदनी का साधन हो गया है। स्थायी जीवन कजाक लोगों के लिए न सिर्फ नया जीवन के तौर-तरिके को बदल दिया है, बल्कि सरल और स्वस्थ जीवन, शिक्षा, रोजगार आदी की संभावनाएँ भी पैदा की है। स्थायी जीवन से पहले, लोगों की चिकित्सा व्यवस्था बहुत कठिन थी, बीमार पङने पर एक दिन और एक रात पैदल चलकर जिला में जाना पङता था जो कि बहुत मुश्किल था। लेकिन आज, स्थान-स्थान पर चिकित्सालय है जिससे रोगों का ईलाज बहुत आसान हो गया है।
इसके अलावा, इन जगहों पर शिक्षा की व्यवस्था को भी सुधारा गया है। बच्चे स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। रकबाय कहता है, मैं अशिक्षित हूँ, चीनी भाषा भी नहीं समझ सकता हूँ। लेकिन जब यहाँ आ गया हूँ तो बच्चे स्कूल जा सकते हैं, अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। मेरा बच्चा अभी कस्बे के स्कूल का चौथी कक्षा का छात्र है। आलताय प्रांत में कुल एक लाख पचास हजार कजाक जाति के लोग हैं जिनमे एक-तिहाई स्थाई रूप से बस चुके हैं। आज, लोगों को स्थाई रूप से बसाना सरकार का मुख्य कार्य बन चुका है। आलताय प्रांत के जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं कि, लोगों के जीवन को और बेहतर करने के लिए सरकार ने धन और जमीन का बँटवारा कर सहायता की है।
लोगों के स्थाई रूप से बसने की दो मुख्य तत्व है, एक पैसा और दूसरा जमीन। धनराशी की समस्या को हल करने के लिए, सरकार ने इस साल तीन करोङ बीस लाख युवान की राशी निवेश की है, जो कि 8000 परिवार में प्रति परिवार 25हजार युवान की राशी दी गई है। हमें जमीन की बँटवारे की व्यवस्था करनी है जिससे लोग स्थाई रूप से बस सके और उनके खुशहाल जीवन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
पत्रकार के विदा होने के समय, रकबाय और उनकी पत्नी घर के दरवाजे तक विदा करने आये और हमसे बोले कि अगले साल वे और बङा घर बनाने की सोच रहे हैं, दुकान को भी बङा करने की योजना बना रहे हैं। गर्मी में खेती करेंगें और सर्दी में गाय और भेङ पालेंगे। पारिवारिक जीवन दिन पर दिन खुशहाल होगा।