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म्याओ जाति की तीन बहनें
2010-01-12 10:42:38

चीन की म्याओ अल्पसंख्यक जाति अपने विशेष चाँदी के आभूषण और म्याओ गीत के लिए प्रसिद्ध हैं। चीन के क्वे चोउ के दक्षिण-पूर्वी भाग के म्याओ जाति और तुंग जाति के एक प्रिफेक्चर के छोटे से गांव में म्याओ जाति की तीन बहने हैं जिनके गीतों की गूंज न सिर्फ वहाँ के पहाङों में गूँजती है ब्लकि उनके गीतों की गूँज पेइचिंग तक पहुंच चुकी है। इतना ही नहीं इनका गीत वियना शहर के गोल्डन कनशर्ट हॉल तक पहुँच गयी जिसने विश्व के लोगों को म्याओ गीत की सुंदरता से परिचय कराया।

वर्तमान में, तीनों बहनें आसांग, आय्यी और आत्वो क्वे चोउ प्रदेश के तीन अलग-अलग प्रिफेक्चर के संगीत नाटक ग्रुप में काम करती हैं। ये तीनों राष्ट्रीय स्तर की कलाकार हैं और इनका काम भी काफी प्रभावशाली है। इनके माता-पिता क्वे चोउ प्रदेश के ह्वांग फिंग जिला के मशहूर लोकगीत कलाकार हैं। गांव में कोई भी सांसकृतिक कार्यक्रम आयोजित होता है या फिर किसी के घर में कोई कार्यक्रम होता है, सभी लोग इनके माता-पिता को गाना गाने के लिए आमंत्रित करते हैं। इस तरह के वातावरण में पली-बढी, इन तीन बहनों ने अपने-आप बहुत सारी म्याओ गीत सीख लिए।

हमारी जाति के लोगों के रोम-रोम में नृत्य और संगीत भरा हुआ है। हमलोग संगीत में ही सोते हैं और संगीत में ही जगते हैं।

पिछली सदी के सत्तर दशक की शुरूआत में, आसांग सोलह वर्ष की अवस्था में ही जिला सांस्कृतिक कार्यालय के द्वारा चुन ली गई। इसके बाद आसांग ने क्वे चोउ राज्य के दक्षिण-पूर्वी प्रिफेक्चर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लीं। 1975 में, आसांग ने चीनी अल्पसंख्यक जाति के सबसे उंची संस्थान-केंद्रिय जाति कॉलेज की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गईं। एक बहुत ही पिछङें गांव से कॉलेज में आना, उस समय यह बहुत ही आश्चर्यजनक घटना प्रतित हो रही थी। जब आसांग ने अपने माता-पिता को इसके बारे में बताया तो उन्हें लगा कि आसांग झूठ बोल रही है, क्योंकि उनकी गाँव में सभी लोग किसान थे, उस समय तक कोई भी विद्यार्थी विश्वविद्यालय में नहीं गया था, और इससे भी ज्यादा पेईजींग के विश्वविद्यालय में जाना असंभव था। एक सप्ताह के बाद, कॉलेज का नामांकन पत्र घर पर आया तब आसांग के माता-पिता को विश्वास हुआ कि आसांग झूठ नहीं बोल रही थी।

यह समाचार मिलते ही पूरे परिवार के लोग खुशी से झूम उठे। हमलोग इतने उत्तेजित थे कि सारी रात सो नहीं सके, विशेषकर मेरे माता-पिताजी खुशी के मारे शराब पीने लगे। हमारी गाँव में जब भी कोई खुशी का मौका होता है, लोग गाना गाना और शराब पीना शुरू कर देते हैं। मेरी गांव के सभी लोग हमारे घर बधाई देने आए, सभी लोग हमारे घर गाना गाने और शराब पीने लगे। क्योंकि यह समाचार पूरी गांव के लिए एक खुशखबरी थी, इसलिए पूरी गाँव के लोग काफी खुश थे।

बङी बहन के विश्वविद्यालय में जाने की घटना से दोनों छोटी बहनों को भी काफी प्रेरणा मिली। इन दोनों ने बङी बहन के जैसे ही विश्वविद्यालय जाने का निश्चय किया और बङी बहन के देख-रेख में आय्यी शंघाई संगीत अकादमी और आत्वो ने क्वे चोय जाति कॉलेज में दाखिया लिया। वांग परिवार की तीन बहनें तीन परियों की तरह इस गाँव से बाहर आ गईं।

विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, इन तीन बहनों ने जोर-शोर से म्याओ जाति के संगीत का प्रचार करने लगीं। इनके गीत न केवल पूरे चीन में गूँजने लगी, ब्लकि चीन के बाहर भी विश्व में फैलने लगी। इन्होनें अबतक दस से ज्यादा देशों में कार्यक्रम पेश की हैं और हरेक बार कार्यक्रम पेश करने के समय अपने चीन और म्याओ जाति के होने पर बहुत गर्व महसूस होता है। आय्यी अपने एक अविस्मरणीय घटना के बारे में बताते हुए कहती हैं, हली बार मैं 1994 में अपने देश के बाहर इटली अपने कार्यक्रम के प्रस्तुती के लिए गई। उस समय मैने चु संग वाद्ययंत्र से एक प्रेम गीत गाया, मैने म्याओ जाति की पोशाक पहनी थी। वहाँ पर लोगों ने तालियों के गङगङाङट से मेरा स्वागत किया। दूसरे दिन विभिन्न देशों के कलाकारों के साथ रोम शहर देखने गई। वहाँ पर बहुत सारे लोगों ने हाथ के इशारे से मुझे कुछ-कुछ कह रहे थे लेकिन मैं कुछ भी नहीं समझ पा रही थी। बाद में मेरे अनुवादक ने बताया कि वे लोग मेरी पिछले दिन के कलाकारी की तारीफ कर रहे थे। वे लोग कह रहे थे कि मेरी आवाज बहुत मधुर है, मेरी पोशाक बहुत सुंदर है। मेरी कलाकारी ने उनलोगों के उपर एक अमिट छाप छोङ दी थी। अभी उस समय का दृश्य मेरी आँखों के सामने घूमती रहती है। एक और घटना है जो आय्यी इस जन्म में नहीं भूल सकती हैं। वे कहती हैं, ब मैं शंघाई संगीत अकादमी में थी तो मुझे अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति रीगन और उनकी पत्नी के स्वागत समारोह में भाग लेने का मौका मिला। मैं म्याओ जाति की पोशाक में हाथ में शराब का प्याला लिए हुए म्याओ जाति का गाना गा रही थी। राष्ट्रपति जी शराब नहीं पिते थे लेकिन उसदिन उन्होनें मेरे हाथ से शराब पी। उन्होनें कहा कि वो अभी तक इतना सुंदर पोशाक नहीं देखे थे, इतनी मधुर संगीत नहीं सुने थे।

ये तीन बहने म्याओ गीत गाने, म्याओ संस्कृति के प्रचार के अलावा जनकल्याण के कार्य और प्यार को भी बढावा देती हैं। आत्वो, क्वे चोउ के दक्षिण पश्चिमी प्रिफेक्चर में काफी मशहूर हैं और बहुत समर्थक भी है। आत्वो अक्सर जनकल्याण के लिए कार्यक्रम आयोजित करती रहती है, जिसमें विशेषकर कमजोर तबकों के लोगों के भलाई से जुङे कार्यक्रम होते हैं।

जनकल्याण के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन में हमारे दोस्त काफी मदद करते हैं। हमलोग दूर-दराज के गाँवों में जाकर बीच में ही पढाई छोङ देने वाले छात्रों की मदद के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं । एक कार्यक्रम से बहुत सारे बच्चों की स्कूली फीस की व्यवस्था हो जाती है।

तीनों बहनों ने अपनी गाँव को भी नहीं भूली हैं। ह्वांग फिंग में इनकी मदद से एक कला स्कूल का निर्माण किया गया है जिसमें प्रतिभाओं को शिक्षित किया जाता है। वे न केवल स्कूल में जाकर बच्चों को पढाती हैं ब्लकि गाँव वालों को गीत भी सुनाती हैं।

आत्वो कहती है, उनका पालन-पोषण करने वाले गाँव वासियों के लिए उनके दिल में काफी प्यार हैं, वे लोग अपनी सबसे मधुर आवाज मे गीत गाकर गाँववालो का धन्यवाद

अदा करते हैं। ।

जब भी गाँववालो को पता चलता है कि वे बहनें आ रही हैं, यह खबर तेजी से फैल जाती है। हमलोगों के कार्यक्रम पेश करने के समय, सारी गाँव के लोग खङे हो जाते हैं, पूरा वातावरण तालियों से गूँज उठता है जो उनके प्यार का प्रतिक है। जब हमलोग गाना शुरू करते हैं तो गाँववासी भी हमारे सुर में सुर मिलाकर गाते हैं, जिससे बहुत आनंद की अनुभूति होती है।

कार्यक्रम समाप्त होने के बाद लोग तीनों बहनों को उनके फोटों लेने के लिए घेर लेते हैं। गर्मी में तापमान 30 डिग्री होने के बावजूद भी वे लोग भारी भरकम पोशाक में, होठों पर मधुर मुस्कान के साथ, लोगों की माँग को पूरी करने के लिए खङी रहती हैं और गाँववासियों के साथ फोटो खिंचवाती रहती हैं।

एक पेशेवर कलाकार के रूप में तीनों बहनें म्याओ जाति के प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं। चीन में मशहूर और वियना कंशर्ट में म्याओ गीत की रानी के नाम से जानी जाने वाली आत्वो अपनी सबसे बङी बहन आसांग की शिष्या है जिसने दस वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद यह मुकाम हासिल की है। म्याओ जाति से आयी तीनों बहने समझ चुकी हैं कि "पहले म्याओ जाति फिर पूरा संसार", इसी संकल्प के साथ वे आशा करती हैं कि अपनी मेहनत के द्वारा म्याओ जाति की संस्कृति को पूरे संसार में प्रचलित करेंगी।

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