सिंगच्यांग एक बहुअल्पसंख्यक जाति वाला प्रदेश है। यहां पर अनेक अल्पसंख्यक जातियाँ निवास करती है, जैसै वैईवुर, कजाक, मंगोल, सीपो आदी जातियाँ, इन सभी अल्पसंख्यक जातियों की अपनी भाषा और लिपि है। पहले सिंगच्यांग के बहुत सारे भागों में, अल्पसंख्यक जाति के बच्चे और हान जाति के बच्चे, अलग-अलग स्कूलों में पढने जाते थे, जिससे अल्पसंख्यक जाति के बच्चे सिर्फ अपनीभाषा ही बोल पाते थे, वे मानक चीनी भाषा नहीं बोल पाते थे। आजकल, सिंगच्यांग की ज्यादातर स्कूलों में "हान और अल्पसंख्यक जाति संयुक्त पाठशाला", "द्विभाषीय शिक्षा"को बढावा दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप हान जाति और अल्पसंख्यक जाति के बच्चों को एक ही स्कूल में शिक्षा दिया जा रहा है। इस परिवर्तन के क्या-क्या परिणाम हुए हैं?
चीन और कजाकिस्तान के सीमा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर, सिंगच्यांग के ईली इलाके के छापुछार जिला के चाखुछिनिलू नगर में एक केन्द्रिय स्कूल है, जिसमें एक कजाक जाति के शिक्षक, चीनी और कजाक भाषा की मदद से बच्चों को पढाते हैं। इस "हान और अल्पसंख्यक जाति संयुक्त पाठशाला"स्कूल में प्राथमिक विद्यालय के पहली कक्षा से लेकर मध्य विद्यालय के तीसरी कक्षा तक कुल 1200 छात्र हैं, जिनमें आधे से ज्यादा कजाख जाति के, लगभग 20% सीपो जाति के, और अन्य हान जाति, मुस्लिम जाति, वैईवुर जाति के छात्र हैं। इतने सारे अल्पसंख्यक जातियों के बीच, छात्रों को भाषा चुनने की स्वतंत्रता है कि वे मानक चीनी भाषा में पढना या अपनी मूल भाषा में पढना चाहते हैं।
इस विद्यालय में, हमारी मुलाकात एक सीपो जाति के लङके से हुई, जिसका नाम कुआन रूंग हुआ है। वह प्रथम वर्ष से ही चीनी भाषा वाली कक्षा में पढ रहा है, आठ साल की पढाई के बाद, आज वह धाराप्रवाह चीनी बोल सकता है।
पत्रकार:"क्या तुम प्राय:चीनी भाषा का प्रयोग करते हो ?"
कुआन रूंग हुआ :घर में माता-पिता जी के साथ सीपो भाषा बोलता हूँ, कभी-कभी चीनी भाषा भी बोलता हूँ। स्कूल में चीनी बोलता हूँ, और कभी-कभी दूसरे जाति के दोस्तों को सीपो भाषा भी सिखाता हूँ।
पत्रकार- आप बङे होकर क्या बनना चाहते हो ?
कुआन रूंग हुआ—"मैं बङा होकर डाक्टर बनना चाहता हूँ, दूसरों की मदद करना चाहता हूँ "
वह आगे कहता है, चीनी भाषा न केवल हान जाति और दूसरी जाति के दोस्तों से बातचित करने में हुई बाधा को दूर करता है, बल्कि आगे की पढाई के लिए एक मजबूत आधार भी प्रदान करता है। बच्चों के भविष्य के विकास के मद्देनजर, अब अधिक से अधिक अल्पसंख्यक जाति के परिवार, चाखुछिनिलू केंद्रिय विद्यालय में बच्चों को चीनी भाषा कक्षा में दाखिले के ईच्छुक हैं।
स्कूल की प्राध्यापिका श्री मती ल्यु जी हुआ कहती हैं, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए स्कूल ने इससे संबंधित पठन-पाठन सामग्री और शिक्षकों के लिए बहुत सारा प्रयास कर रही है।
सरकार द्विभाषीय शिक्षा को बहुत प्रोत्साहीत कर रही है, सरकार ने अल्पसंख्यक जाति शिक्षकों के लिए मुफ्त चीनी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम की व्यवस्था की है। हमारे विद्यालय में 30 से ज्यादा अल्पसंख्यक जाति के शिक्षक इस कार्यक्रम का लाभ ले चुके हैं। द्विभाषिय कक्षा के लिए विशेष पाठ्य सामग्री भी है।
आज सिनचियांग में, चाखुछिनिलू केंद्रिय स्कूल की तरह द्विभाषीय शिक्षा को बढावा देने वाली स्कूलों की संख्या काफी ज्यादा है। 1980 और 90 के दशक में, सिनचियांग के कुछ ही माध्यमिक विद्यालयों में द्विभाषीय शिक्षा का प्रयोग किया जा रहा था, लेकिन आजकल पूरे सिनचियांग में द्विभाषीय शिक्षा पाने वाले बच्चों की संख्या लगभग 860000 को पार कर चुकि है, जो कि अल्पसंख्यक जाति के बच्चों की संख्या का लगभग 40 प्रतिशत है।
36 वर्ष की मिकराई अब्दुकतील, ईनीन शहर के पायेनताए कस्बा की प्रमुख हैं। उन्होनें प्राथमिक विद्यालय की तीसरी कक्षा के बाद चीनी भाषा सिखना शुरू किया था, वे भी सिनचियांग के द्विभाषीय शिक्षा कार्यक्रम की लाभकर्ताओं में से एक हैं। उन्होनें हमें बताया कि, एक वैईवुर जाति के अधिकारी के लिए, चीनी भाषा ने उनके काम को बहुत आसान बना दिया है। चीनी भाषा का मेंरे काम में बहुत बङा योगदान है। मैंने काम शुरू करने के समय, मेंरा मुख्य काम खेतिबारी के ग्रीन क्यारि के अनुसंधान से था, जिसमें ज्यादातर क्यारि हान जाति के लोगों का था। उस समय चीनी भाषा के प्रयोग से मैने उनलोगों से बहुत सारी बातें सीखीं। बाद में मैंने जानकारियों को अल्पसंख्यक जाति के लोगों को दिया। अब अल्पसंख्यक जाति के लोगों ने भी इस तकनीक को अच्छी तरह समझ लिया है।
मिकराई अब्दुकतील के कस्बे के 70 प्रतिशत लोग वैईवुर जाति, ह्वेई जाति, कजाख आदी के हैं।वे कहती हैं, अभी हमारे कस्बे में लोग चीनी भाषा, वैइवुर भाषा आदी के टीवी कार्यक्रमों, समाचार पत्रों, मैगजिनों को देख सकते हैं, यहां तक कि यहां की हरेक सरकारी दस्तावेज भी चीनी भाषा के अलावा अन्य भाषाओं में भी है।
मिकराई अब्दुकतील जी कहती हैं, मेंरे दोनों बच्चे चीनी भाषा स्कूल में जाते हैं, उनकी चीनी, मुझसे ज्यादा अच्छी है। घर में हमलोग ज्यादातर वैइवुर भाषा बोलते हैं, लेकिन मुझे उनसे चीनी भाषा में बात करना पसंद है।
द्विभाषीय शिक्षा का मुख्य उद्येश्य जातिय भाषा के साथ-साथ चीनी भाषा के जानकारों को प्रशिक्षित करना है, सिनचियांग में इस कार्यक्रम का लोगों ने बहुत स्वागत किया है। रिर्पोट से पता चला है कि सिनचियांग में द्विभाषीय शिक्षा को नर्सरी की स्कूलों में भी पहुचाने की योजना है। केंद्र सरकार और स्थानिय सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए बहुत सारा पैसा भी निवेश किया है, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक जाति नर्सरी द्विभाषीय शिक्षा का निर्माण किया है। ऐसी आशा है कि, वर्ष 2012 तक सिनचियांग में इसकी संख्या 80प्रतिशत से बढ जाएगा। इसके साथ ही सिनचियांग में 6 वर्षों के भीतर 16000 द्विभाषि शिक्षकों की बहाली की योजना है।
इनीन शहर में हमने एक नवनिर्मित द्विभाषीय नर्सरी स्कूल में 3 से 5 साल के 40 बच्चों को देखा, जिनमें अधिकतर अगल-बगल के परिवारों से हैं। अभी उन्होनें कुछ महीने ही चीनी भाषा सीखी है, लेकिन हमें देखते ही बङे उत्साह के साथ चीनी भाषा में गाना सुनाया।