सी छियेन त्योहार, तीरंदाजी, सिलीमामा, सीपो भाषा......... ये सभी सीनचियांग स्वायत प्रदेश के छापुछार के सीपो अल्पसंख्यक जाति की अविस्मरणिय गौरवपूर्ण स्मृति है। यह चीन का एकमात्र सीपो अल्पसंख्यक जाति वाला जिला है। चीन के उत्तर-पूर्वी भाग शन यांग से आये हुए सीपो अल्पसंख्यक जाति की दो सौ वर्षों से भी पुरानी रीति-रिवाज यहाँ पर आज भी कायम है।
छापुछार जिला के चाखुछिनिलू नगर में सीपो अल्पसंख्यक जाति के एक 70 वर्ष के वृद्ध व्यक्ति हैं, जिनका नाम पाय ह छांग है। उस समय इनके पूर्वज चीन के ऊत्तर-पूर्वी भाग से आये थे, पाय ह छांग अपने पूर्वज के दसवीं पीढी हैं। जवानी के दिनों में, पाय ह छांग स्थानिय लोगों की तरह खेति, शिकार, चरवाही करके अपना जीवन-यापन करते थे। लेकिन आज, वे अपने दो-मंजिले इमारत पर बैठे हुए अपने पुराने दिनों के जीवन के बारे में सुना रहे हैं।
पहले का समय आज की तरह सुविधापूर्ण नहीं था। अगर उस समय जनसंख्या नियंत्रण कानून होता तो मैं एक या दो बच्चा ही पैदा करता। उस समय मेरे बहुत बच्चे थे, जिसके कारण पारिवारिक जीवन बहुत कठिन था।
चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद, पाय ह छांग का पारिवारिक जीवन सुधरने लगा, अब वे खेति ही नहि बल्कि व्यवसाय भी करने लगे। उनके बङे लङके ने एक मिनरल कंपनी खोल ली है, दूसरे लङके ने एक छोटा क्लिनिक खोल लिया है, नौ बच्चों में सभी का घर बस गया है, घर बच्चों से भर गया है। बच्चों ने मिलकर यह ईमारत बना दिया है, जिससे मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है।
हमारा जीवन खुलेपन के नीति लागू होने के बाद बेहतर हो रहा है। जमीन भी मिल गया है, हमने पैसा भी कमा लिया है, बच्चों को पढाई के बाद काम भी मिल गया है। बच्चे प्रत्येक महिने कुछ पैसा भेज देते हैं, मैं भी कुछ काम कर लेता हूँ, इसलिए जीवन अब आरामदायक हो गया है।
बढती उम्र और आरामदायक जीवन होने के बावजूद, पाय ह छांग रोज सुबह उठकर अपने खेत मे कुछ काम करते हैं। घर में उन्हें सबसे ज्यादा खुशी बच्चों के साथ सीपो भाषा में बात करने से मिलती है। सीपो अल्पसंख्यक जाति शिक्षा, अपनी भाषा और लिपि का बहुत महत्व देती है। कुछ समय पहले, जब पाय ह छांग अपने पूर्वज की खोज मे चीन के उत्तर-पूर्वी भाग शन यांग गये तो ईसबार उन्हें जाति के संस्कृति की विशेषताओं का पता चला।
इस साल मैंने बीस दिनों तक उत्तर-पूर्वी भाग की यात्रा की, वहाँ के कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि अब यहां सीपो भाषा बोलने वाले नहिं हैं, सभी चीनी भाषा बोलते हैं। लेकिन हमारे यहां, बच्चों को सीपो भाषा बोलने पर जोङ दिया जाता है। बच्चे बाहर चीनी भाषा बोलते हैं, लेकिन घर मे सीपो भाषा बोलते हैं। वे कहते हैं, " भाषा और लिपि के बिना अल्पसंख्यक जाति का अस्तित्व ही नहि है। मैं आशा करता हूं कि घर मे बच्चों को सीपो भाषा बोलने पर जोङ दिया जाएगा। अब तो स्कूलों मे भी सीपो भाषा सीखने पर जोङ दिया जाता है।"
सीनचियांग के दूसरे अल्पसंख्यक जाति के तरह पाय ह छांग भी हरेक साल अपनी जाति का सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक त्यौहार "सी छियेन"मनाते हैं। 1764 में, छिंग राजवंश के राजा छिन लुंग के आदेश पर चार हजार से ज्यादा सीपो जाति के सैनिक, सिनचियांग क्षेत्र के विकास और रक्षा के लिए रवाना हुए, रवाना होने के समय वे सभी सीपो जाति के मन्दिर के आगे मिलन समारोह का आयोजन किया गया। उसी समय से इस दिन को मातृभूमि के प्यार, बलिदान, त्याग के रूप में, सीनचियांग के सीपो जाति के लोगों द्वारा मनाया जाने लगा।
इस त्योहार के दिन, सीपो जाति के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों जैसै- कुश्ती, तिरंदाजी, गाना, नाच आदी के अलावा , अपने-अपने घरों में सीलीमामा भगवान की तस्वीर लगाते हैं। सीलीमामा, सीपो जाति के नारी भगवान है, जो घर मे सुख-शांति और सुरक्षा का प्रतिक हैं। वास्तव में यह छह मीटर लम्बा रस्सी है, जिसके उपर एक धनुष, जूता, तरकश, टोकरी, तांबे का पैसा, कपङा, लकङी का फावङा, लकङी का चम्मच आदी सामान बंधा होता है।
धनुष जवान लङके का प्रतिक है, कपङे का लम्बा टुकङा, लङकी का प्रतिक है, टोकङी, जूते आदी छोटे बच्चों का प्रतिक है, तरकश एक कुशल तीरंदाज का प्रतिक है, सिक्का खुशहाल जीवन को दिखाता है, तो फावङा और चमचा खेतीबारी को दिखाता है। रस्सी पर बंधा सामान जितना अधिक होता है, लोगों का जीवन उतना हि खुशहाल माना जाता है।
पाय ह छांग कहते हैं, "सी छियेन त्योहार" हमारा सबसे हर्ष और उल्लास का त्योहार है। सभी लोग एक साथ ईकट्ठे होते हैं, और मिलजुल कर खुशियाँ मनाते हैं, साथ हि बच्चों को अपनी इतिहास, परंपरा की शिक्षा देते हैं।
मेरे सभी बच्चे, पोते-पोतियां भी वापस आ गये हैं। हमलोगों का परिवार बहुत बङा है। जब सभी लोग वापस आ जाते हैं तो दिन बहुत खुशीपूर्वक कटता है। घर पहले के जैसा हि है, बच्चों को सीलीमामा दिखाता हूँ, हमारे घर में शन यांग से आने के समय से ही हमारे पूर्वजों के नाम के पत्र है, इस पत्र में बच्चों को उनके पूर्वजों के नाम बताता हूं और उनके नाम याद करवाता हूँ।
सीपो जाति अतिथि का बहुत आदर-सत्कार करते हैं। हमारे स्वागत के लिए, पाय ह छांग ने विशेषरूप से बहुओं से कहा कि, हमारे लिए सीपो जाति की विशेष परंपरागत भोजन तैयार किया जाए। भोजन मे कई प्रकार के स्वादिष्ट और सुगंधित व्यंजन थे जैसै- सीपो जाति की मुलायम रोटी, कई प्रकार के मिर्च, गाजर, थोङी खट्टी सब्जी, और चीन के उत्तरी भाग के डंपलिंग भी थे, साथ ही वीवुअर जाति की तरह हाथ से खाने वाला मटन भी था।
भोजन के समय, सीपो जाति का गाना भी बज रहा था। पाय ह छांग चाचा और उनके बच्चों ने हमलोगों को नाचने के लिए भी आमंत्रित किया।
हाल में, चीनी सरकार ने चीन के अल्पसंख्यक जातियों के अभौतिक वस्तुएँ और संस्कृति को बचाने का कार्य तेज कर दी है। छापुछार सीपो जाति स्वायत प्रदेश मे भी सीपो जाति की अभौतिक वस्तुएं और सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने वाली विशेषज्ञों की समिति बनाई गई है। पाय ह छांग के बहु चाउ सु ली के जीजा जी सु शुंग आन ईस संस्था के पहले विशेषज्ञ हैं। वर्ष 2008 में वे स्वायत क्षेत्र के अंतर्रत अभौतिक वस्तुएं और सांसकृतिक अवशेषों के सीपो जाति के "सी छियेन त्योहार" के उत्तराधिकारी बन गये।
सु शुंग आन, सीपो जाति के इतिहास, संस्कृति, रिति-रिवाज के शोधकर्ता हैं, इनहोनें सीपो जाति के इतिहास के बारे मे बहुत सारा लेख लिखा है। हाल हि में, इन्होनें सिनचियांग के "सीपो जाति के प्रसिद्ध कलाकारों के नाम की सूचि" नामक पुस्तक प्रकाशित की है। वे आशा करते हैं कि, इस पुस्तक के माध्यम से, प्रत्येक अल्पसंख्यक जाति के लोग विशेषकर सीपो जाति के लोग, सीपो जाति के इतिहास और संस्कृति को अच्छी तरह से समझ पायेगें।
हमलोग विदा होने के समय, बहुत ही दुखी भाव से पाय ह छांग और उनके बच्चों से हाथ मिलाकर विदा लिए। मन में, धिरे-धिरे ओझल होते हुए पाय ह छांग के परिवार के लोगों की स्मृति ताजा हाने लगी, खासकर सी छिएन त्योहार, सीलीमामा क्योंकि सीपो भाषा में "सीली"का अर्थ "फिर दुबारा"होता है।