पूर्वी चीन में एक एतिहासिक संस्कृति नानचिंग नाम का शहर है, इस एतिहासिक शहर में सौ साल पुराना एक उच्च शिक्षालय है जिस का नाम नानचिंग यूनिवर्सिटी है। अगर आप इस यूनिवर्सिटी का इतिहास खोलें, तो आप को पता चलेगा कि विश्व के बहुत से प्रतिभाशाली व्यक्ति इसी ही विद्यालय से स्नातक हुए थे, वह अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चीन की एक सर्वोच्च कोटि युनिवर्सिटी है।
वसंत के मौसम में जब हमने नानचिंग यूनिवर्सिटी में प्रवेश किया ,तो हमें चारों तरफ हरियाली व फूलों की क्यारियां दिखाई दी। चीनी शैली की छत व पश्चिम शैली की इमारत से बनी इस यूनिवर्सिटी की उत्तरी इमारत , इस यूनिवर्सिटी की एक अदभुत कला का मिसाल है।
नानचिंग यूनिवर्सिटी 1902 में स्थापित हुई थी। 1952 में वह अमरीका द्वारा निर्मित क्रिसच्येन स्कूल चिंगलिंग यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक हो गयी और आज के नानचिंग यूनिवर्सिटी के नाम से दुनिया भर एक मशहूर यूनिवर्सिटी बन गयी है। इस यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डाक्टर चांग रूंग ने कहा कि सौ साल के विकास के बाद, नानचिंग यूनिवर्सिटी एक विज्ञान व कला से संपूर्ण व शैक्षिक क्षेत्र में एक शक्तिशाली प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी बन गयी है। उन्होने कहा
विद्यालय के सभी आठ आधारभूत विषय, जैसे की गणित विज्ञान , भौतिक विज्ञान , रसायन विज्ञान , भूत्तव व जैविक विज्ञान, चीनी भाषा व कम्पयूटर विज्ञान शामिल हैं, जो चीन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा निश्चित प्रथम राष्ट्रीय श्रेणी के प्राथमिक विषय हैं। हमारे शिक्षकों में चीनी विज्ञान अकादमी, चीनी इंजीनीयरिंग अकादमी के 33 अकादमिशन भी हैं, जो चीन के उच्च शिक्षालयों में तीसरे स्थान पर गिनी जाती है।
डाक्टर चांग रूंग ने जानकारी देते हुए कहा कि चीन के अव्वल नम्बर की यूनिवर्सिटी होने के नाते, नानचिंग यूनिवर्सिटी की दाखिला की गुणवत्ता को हमेशा से भारी महत्व दिया जाता है, हर साल उच्च कोटि के छात्र ही इस यूनिवर्सिटी में अपनी शिक्षा पाने का मौका पा सकते हैं, इस यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षण बहुत से छात्र वर्तमान समाज के उच्च कोटि के सुयोग्य व्यक्ति बन गए हैं। उन्होने कहा
1971 में संयुक्त राष्ट्र में चीन की कानूनी स्थान की बहाली होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र में भेजे कुल सात उप महा सचिवों में तीन नानचिंग यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षत हुए थे , फिलहाल संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद संभाल रहे शा चू खांग इसी यूनिवर्सिटी के छात्र रह चुके हैं।
जानकारी के अनुसार, नानचिंग यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित शोध प्रबंध की संख्या लगातार सात साल तक चीन के उच्च शिक्षालयों में पहली पंक्ति में रही हैं। यूनिवर्सिटी में 400 अनुसंधानकर्ता के अलावा एक हजार मास्टर डिग्री प्राप्त लोगों से गठित एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला भी है। पिछली शताब्दी के 80 वाले दशक में नानचिंग यूनिवर्सिटी ने एक जत्थे के विदेशी यूनिवर्सिटियों के साथ मैत्री विद्यालय संबंध स्थापित किया है। उसने अमरीका के जौन्स हौपकिन्स यूनिवर्सिटी के सहयोग से चीन-अमरीका सांस्कृतिक अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की है, जो चीन में सबसे पहले व सबसे सफल सीमा पार शोध अनुसंधान संस्थाओं में माना जाती है। नानचिंग यूनिवर्सिटी ने जर्मनी के गोटिन्गन यूनिवर्सिटी के साथ चीन-जर्मन अर्थतंत्र कानून अनुसंधान केन्द्र की स्थापना भी की है। श्री चांग रूंग ने कहा कि नानचिंग यूनिवर्सिटी विज्ञान, शोध अनुसंधान व अनुसंधानकर्ताओं के दल की स्थापना कर अन्तराष्ट्रीय दिशा में कदम बढ़ाने के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध रही है। उन्होने हमें बताया
यूनिवर्सिटी में विदेशी शिक्षकों की संख्या कोई 20 हैं, विदेशों में अध्ययन करने के बाद स्वदेश लौटे चीनी स्कोलरों की संख्या 200 से अधिक हैं। यूनिवर्सिटी में फिलहाल 700 प्रोफेसर है जो शिक्षको की संख्या का एक तिहाई है। हर साल हमारी यूनिवर्सिटी के कई सौ छात्र विदेशों में आदान प्रदान के लिए भेजे जाते हैं।
नानचिंग यूनिवर्सिटी चीन में सबसे पहले विदेशी छात्रों को दाखिला देने वाली एक यूनिवर्सिटी है, और संयुक्त राष्ट्र के उच्च कर्मचारियों का प्रशिक्षण केन्द्र भी है। वर्तमान यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे विदेशी छात्रों की संख्या करीब 2200 है, इन में अमरीका के छात्र सबसे अधिक है। नानचिंग यूनिवर्सिटी के अन्तरराष्ट्रीय सहयोग विभाग के निदेशक चओ या च्वीन ने कहा कि यूनिवर्सिटी कैम्पस से बहुत से होनहार विदेशी छात्र यहां से अपने देश लौटे हैं। उन्होने हमें बताया
मिसाल के लिए, नाटो की सैन्य कमेटी के उपाध्यक्ष जनर कार्ल, विश्व के प्रसिद्ध चीनी भाषा के शास्त्री व तिब्बती-चीनी भाषा के विशेषज्ञ फ्रांस के विज्ञान अनुसंधान अकादमी के डाक्टर गाजाल , जापान के प्रसिद्ध प्राचीन साहित्य विशेषज्ञ योकायामा हिरोश, मशहूर भाषा विशेषज्ञ हिराता कुरानाका तथा प्रसिद्ध स्थानीय बोली के विशेषज्ञ इवाली देन आदि जाने माने व्यक्तियों ने हमारी ही यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की थी।
श्री चओ या च्वीन ने जानकारी देते हुए कहा कि नानचिंग यूनिवर्सिटी ने विदेशी छात्रों के लिए अनेक शैक्षिक तरीके अपनाए हैं, इन में लम्बे समय समेत लघु समय प्रशिक्षण , छात्रों की मांग के अनुसार तय किये जाते हैं, इन में अध्ययन विषयों की विविधता भी बढ़ती जा रही है। उन्होने कहा
फिलहाल विदेशी छात्रों की शिक्षा केवल भाषा से निकलकर अनेक विषयों में फैल रही है। बहुत से विदेशी छात्रों ने नानचिंग यूनिवर्सिटी के मानव सामाजिक विज्ञान में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई है, इन में इतिहास, दर्शनशास्त्र, अर्थतंत्र, वाणिज्य शामिल हैं, प्राकृतिक विज्ञान में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, पृथ्वी व जलवायु विज्ञान हैं। हमने विदेशों छात्रों के लिए डाक्टर डिग्री पढ़ने के अवसर भी प्रदान किए हैं, वे एक समय तक हमारी यूनिवर्सिटी में अनुसंधान कार्यों में सहयोग कर सकते हैं।
विदेशी छात्रों के जीवन व पढ़ाई की स्थिति को अधिक बेहतरीन बनाने के लिए इस साल की शरद से नानचिंग यूनिवर्सिटी ने श्येन लिंग नाम का एक अन्तरराष्ट्रीय कैम्पस का निर्माण किया है। श्री चओ या च्वीन ने इस पर जानकारी देते हुए कहा
हमारे विद्यालय ने विदेशी छात्रों के लिए विशेष शिक्षा इमारत निर्मित की है, इस का क्षेत्रफल 20 हजार वर्ग मीटर है, यहां की हार्ड वेयर स्थिति चीन के अन्य विश्वविद्यालयों से अव्वल दर्जे की है, इस में जीवन व शिक्षा की सुविधाए विदेशी छात्रों की मनपसंद से मेल खाती है।
नानचिंग यूनिवर्सिटी कैम्पस में हमारी भेट अमरीका के यूथा साल्ट लेक सिटी से आए पैट्रिक नाम के मास्टर डिग्री का अध्ययन कर रहे छात्र से हुई। उन्होने हमें बताया कि नानचिंग यूनिवर्सिटी की पढ़ाई व जीवन बहुत ही आरामदायक व आन्नदमय है। उन्होने कहा
मुझे बहुत ही अच्छा लगता है, मेरी हर एक ख्वाहिश को हमारे अध्यापक पूरी मदद देते हैं। रहने का बन्दोबस्त भी बहुत ही अच्छा है, साजसामान भी बेहतरीन है, पढ़ने की स्थिति तो कहीं ज्यादा बेहतरीन है, यहां मैं सचमुच बहुत सी अपने मन पसंद के विषय सीख सकता हूं।