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भारत-श्रीलंका टेस्ट सीरीज
2009-12-04 15:52:11

जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था कि भारतीय टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ काफी अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन परिणाम इसके बिल्कुल विपरित रहा। भारतीय टीम अभी आस्ट्रेलियाई टीम से जूझ ही रही थी कि श्री लंका की टीम भारतीय दौरे पर अपना दस्तक दे चुकी थी। आस्ट्रेलियाई टीम के साथ निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम से किसी उम्मीद का आशा नहीं की जा रही थी, क्योंकि श्री लंका की टीम मेजबान की धरती पर अपना कलंक मिटाने के लिए पूरी तैयारी के साथ आयी थी, वहीं आस्ट्रेलियाई टीम से मिली शिकस्त के बाद भारतीय टीम के कप्तान काफी दबाब में लग रहे थे। जहां श्री लंका के टीम के लिए यह दौरा एक सुनहरा अवसर के रूप में दिख रहा था, वहीं भारतीय टीम के लिए यह दौरा अपने रिकार्ड को बचाने के नजर से काफी महत्वपूर्ण लग रहा था। अंतत:दोनो टीमों के लिए परीक्षा की घङी आ ही गई।

भारत और श्री लंका के बीच टेस्ट सीरीज का पहला मैच 16 नवंबर को अहमदाबाद के सरदार पटेल मैदान में शुरू हुआ। भारत ने टास जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। भारत की तरफ से गौतम गंभीर और सहवाग ने ओपनिंग के लिए आए, लेकिन दोनों को श्री लंका के गेंदबाज ने मैदान पर देर तक नहीं टिकने दिया। बाद में राहुल द्रविङ, धोनी और युवराज सिंह के मदद से भारत ने पहली पारी में 10 विकेट पर 426 रन बनाए जिसमें द्रविङ और धोनी के क्रमश 177 और 110 रनों का योगदान था। श्री लंका की टीम ने इसके जबाब में काफी अच्छी शुरूआत करते हुए 7 विकेट पर 760 रनों का विशाल लक्ष्य बनाकर पारी को घोषित कर दिया। श्रीलंका की ओर से दिलशान और जयवर्धने ने 112 और 275 रनों का योगदान दिया। जैसा कि मैच के चौथे दिन हि काफी स्पष्ट हो गया था कि मैच ड्रा हो जाएगा। भारत ने तीसरी पारी की शुरूआत करते हुए खेल खत्म होने तक 4 विकेट पर 412 रन बनाए और इस तरह पहला टेस्ट ड्रा रहा।

पहले टेस्ट मैच के खत्म होने के बाद भारतीय टीम ने यह तो साबित कर दिया था कि यह सीरीज आसानी से श्रीलंका के हाथ में नहीं जाने देंगे, वहीं भारतीय टीम के प्रदर्शन से श्रीलंका को भारतीय जमीन पर अपनी पहली जीत के लक्ष्य को पाना काफी मुश्किल लग रहा था। सभी की नजर सीरीज के दूसरे मैच पर थी।

सीरीज का दूसरा मैच 24 नवंबर को कानपुर के ग्रीनपार्क मैदान में शुरू हुआ। भारतीय टीम में दो फेरबदल की गई थी। टीम में श्रीसंत और ओझा को बुलाया गया था। श्रीसंत काफी दिनों से आराम कर रहे थे और ऐसे में उन्हें टीम में बुलाना एक रिस्क लेना नजर आ रहा था। लेकिन कप्तान धोनी की सूझ-बूझ ने एक बार फिर से भारतीय टीम को एक निर्णायक जीत दिला दी। यह जीत सिर्फ कप्तान धोनी के लिए ही नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए भी एक महत्वपूर्ण जीत साबित हुई। यह जीत भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास की 100वीं जीत है।

टेस्ट सीरीज के दूसरे मैच में भारतीय टीम के कप्तान धोनी ने टास जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया। जैसा कि पहले मैच में श्रीलंका के गेंदबाजों ने कोई अच्छा प्रदर्शन साबित नहीं किया था, उसी तरह दूसरे मैच में भी श्रीलंका के धुरंधर गेंदबाज मुरलीधरन और मेंडिस ने कोई गुल नहीं खिलाया। हालांकि दूसरे मैच में हेराथ ने अच्छी गेंदबाजी का प्रदर्शन करते हुए पाँच विकेट चटकाए मगर भारतीय बल्लेबाजों को रन बटोरने से नहीं रोक सके। भारतीय टीम के शुरुआती बल्लेबाजों के अच्छी शुरूआत से पहली पारी के समाप्ती पर टीम ने श्रीलंका के सामने 642 रनों का लक्ष्य रखा, जिसमें गौतम गंभीर, विरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविङ के क्रमश 167, 131 और 144 रनों का योगदान था। इसके जबाब में श्रीलंका के बल्लेबाज श्रीसंत और ओझा की कसी हुई गेंदबाजी के आगे पानी मांगते नजर आए। भारतीय टीम की कसी हुई गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण के सामने श्रीलंका का कोई भी गेंदबाज पचास का आंकङा भी नहीं पार कर सका और श्रीलंका की पूरी टीम मात्र 84 ओवर में 229 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। धोनी की मंजी हुई रणनीति ने श्रीलंका की टीम को फालोऑन खेलने के लिए मजबूर कर दिया। श्रीलंका के सामने फालोऑन से बचने के लिए 413 रनों का विशाल लक्ष्य था। जैसा कि मैदान ने टर्न लेना शुरु कर दिया था, धोनी ने इसका फायदा उठाया और दूसरी पारी में श्रीलंका के उपर जबर्दस्त दबाब आ गया। मैच के दूसरी पारी में समरविरा को छोङकर बाकी बल्लेबाज मैदान पर जूझते हुए ही नजर आए और एक बार फिर से समरविरा के अलावा कोई भी बल्लेबाज महज 30 के आंकङा को भी नहीं छू सका। मैच बङी आसानी के साथ भारतीय टीम की झोली में आ गई और इसका सारा श्रेय श्रीसंत को मिला। श्रीलंका यह मैच पारी से हार गई।

दूसरे मैच की समाप्ति भारतीय खेमे के लिए काफी नई उपलब्धियाँ लेकर आई। इस मैच में जीत दर्ज करने के साथ भारतीय टीम ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सौवीं जीत हासिल करके 100 टेस्ट मैच जीतने वाली दुनीया की छठी टीम बन गई है। श्रीसंत ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि अभी भी उनमें जलवा दिखाने की ताकत है। गौतम गंभीर ने फिर से अपने आपको श्रेष्ठ बल्लेबाज साबित कर दिखाया है।

दोस्तों अभी तक के लिए इतना ही, तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच शुरू हो चुका है। अगली बार फिर से आपको मैच के रोमांचक स्थिति से परिचय कराने के लिए हाजिर होंगे। तबतक के लिए आज्ञा दीजिए। नमस्कार।

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