हाल ही में दक्षिण चीन के क्वांगतुंग प्रांत के सनचन शहर में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृति उद्योग मेले व्यापार में च्यांगसी प्रांत के नानछांग शहर के सात द्वार शैली नाम की एक कशीदाकारी कला प्रस्तुति ने देश विदेश के व्यापारियों को आकर्षित किया। यह कशीदाकारी कला प्रस्तुति श्री कू वी छुन द्वारा सूई के रेशमी धागों से निर्मित स्याही रंग से सुसज्जित एक विशेष कागज पर कढ़ाई की गयी अनोखी कला है। 12 मीटर लम्बे इस कशीदाकार चित्र पर सात स्थानों के 1200 से अधिक व्यक्तियों की अनेक शैलियों को दर्शाया गया है। इस चित्र ने प्राचीन काल के नानछांग शहर की रंगबिरंगी रीति रिवाजों व उनकी शैलियों को बड़ी खूबसूरती से प्रदर्शित किया है।
इस साल 55 वर्षीय श्री कू वी छुन बचपन से सौन्दर्य शहर च्यांगसी प्रांत की राजधानी नानछांग में पले बड़े हुए थे।पिछली शताब्दी के 80 वाले दशक के एक दिन वह च्यांगसू प्रांत के यांगचओ शहर में अपने गुजरे बुजुर्गों की पूजा करने गए । उन्होने वहां के बड़े बूढ़ों के मुंह से यह जानकारी हासिल की कि उनके पुराने बुजुर्ग बहुत पहले से ही कशीदाकारी कला का काम करते आए हैं, इस तरह उनके मन में इस कला के प्रति भारी रूचि पैदा हुई । उन्होने तब से इस कला की अनेक शैली का अध्ययन करना शुरू किया, इस पर उन्होने चीन के अनेक ब्रश चित्र कला पर भारी ध्यान दिया। चीन की परम्परा कला को उस समय डूबे करीब 20 साल हो चुके थे, ऐसे ही नाजुक समय में श्री कू वी छुन के मन में पुरानी कशीदाकारी कला से परम्परागत ब्रश कला को सूई के रेशमी धागों से कागज पर कढ़ाने का नया विचार दिमाग में आया।
उन्होने सबसे पहले कपड़े पर कशीदारी करना शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद उन्होने पाया कि परम्परागत कशीदाकारी कला पहाड़ों व नदियों के जल को ब्रश स्याही से चित्रित कर उन्हें दर्शाने में बहुत सी समस्याएं बनी हुई हैं। उन्होने कहा
कशीदाकारी को एक ढांचे में कढ़ाने के दौर में एक खिचान बनी रहती है, यदि ये खिंचाई सभी पहलुओं में बराबर नहीं रही तो इस से कपड़े को नुकसान पहुंच सकता है,और इस से कपड़े का ढंग में परिवर्तन उभर सकते हैं और उसमें रिन्कल निकलते हैं, जो राष्ट्रीय चित्र कला को बर्बाद कर सकते हैं और उसकी मनोरमता बहुत घट जाती है।
बहुत सोच विचार करने के बाद उन्हे इस समस्या को हल करने का एक उपाय सूझा, और वेबसाइट उनके इस उपाय को सुलझाने का एक मार्ग है। उन्होने हमें बताया वेबसाइट की एक जानकारी सूचना में इस तरह कहा गया है कि चीन की ब्रश चित्र कला के एक विशेष कागज ,जिसे स्वेन कागज कहते हैं, में अपने रंग को लम्बे समय तक बरकरार रख सकती है, कोई भी अन्य कागज इस कला को इतने लम्बे समय तक बरकरार नहीं रख सकता है। मेरे दिमाग में अचानक एक विचार उभरा क्यों न सेन कागज में चित्र की कढ़ाई की जाए, तो कितना अच्छा होगा।
लेकिन इस विचार को अपने दोस्तो के बताने पर उन्होने मिलकर मेरा विरोध किया। इस पर बोलते हुए कू वी छुन ने कहा सेन कागज पर कढ़ाई करने की बात सुनते ही मेरे दोस्तों और कर्मचारियों ने मिलकर विरोध जताया, उनके ख्याल में कागज में कशीदाकारी एक बिल्कुल एक अलग कला है, जिसे लोग स्वीकार नहीं करेंगे। और तो और कागज पर कशीदाकारी करना एक अत्यन्त कठिन काम है, जब सूई कागज में आगे पीछे से निकलती है तो कब कागज कभी भी फट सकता है, क्योंकि कागज आम तौर पर पतले होते हैं।
तो कहां से इस तरह का कागज ढूंढ निकाला जाए जिस पर कशीदाकारी की जा सके, यह कू वी छुन के आगे खड़ी पहली बाधा थी। उन्होने बहुत सोच विचार करने के बाद चीन के सेन कागज के गृहस्थान आनहुए प्रांत के सेनचओ शहर में जाने का निश्चय किया, वहां उन्होने अनेक सेन कागज के कारखानों व व्यापारियों के साथ अपनी रायों का आदान प्रदान किया और अपनी मांग के सेन कागज की मांग दोहरायी। सच है जहां चाह तहां राह, श्री कू वी छुन ने अनेक असफलताओं के बाद आखिरकर आम कागज से कहीं अधिक शक्तिशाली कागज के निर्माण में सफलता हासिल की। उन्होने इस की चर्चा करते हुए कहा मैंने अपनी जरूरत वाले यानी कशीदाकार कर सकने वाले कागज के लिए 80 हजार य्वान की धनऱाशि डाली। यह एक कशीदाकारी करने वाला विशेष कागज है, जो बाजार में बिकने वाले अनेक किस्मों के कागजों से एकदम अलग है। आम कागज बहुत मुलायम होते हैं, जबकि कशीदाकारी को काढ़ने वाले कागज में रूई फाइबर मिलाया गया है, इस में कुछ लम्बी फाइबर के कारक डाले गए हैं, वे न केवल बारीक है बल्कि शक्तिशाली भी है।
उचित कागज मिलने के बाद अब पहले चीन की परम्परागत ब्रश स्याही से इस कागज पर चित्र बनाना है, स्याही एक तरल कारक है, जो फैलती व खिसक सकती है, बाद में इस स्याही से तैयार चित्र को रंगीन रेशमी धागों से कढ़ाने के बाद इस चित्र की खूबसूरती दिखाई देती है, बात तो यह है कि सूई का धागा हिल नहीं सकता है। इस तरह खिसकने वाली ब्रश स्याही को न हिलने वाले धागे के साथ मिलाना और उनपर स्याही के अनेक रंगो से जीती जागती चित्र दृश्य दर्शाना एक नयी अविष्कार कला है, क्योंकि रेशमी धागे के विविध रंगों व उनकी चमक इस चित्र की जान हैं, लेकिन रेशमी धागे व उनकी चमक की अपनी गुणवत्ता एक अलग चुनौति है, जो शायद इस कला की सफलता या असफलता को निर्धारित करता है।
श्री कू वी छुन ने ब्रश स्याही से तैयार चित्र की खूबी के हिसाब से स्याही को पांच रंग में विभाजित करने की तकनीक अपनायी और इस पर भारी मानव शक्ति भी डाली। इन पांच रंगो के लिए रेशमी धागों को रंगना और उनका रंग न छूटना कागज कशीदाकारी की एक कठोर समस्या रही। आखिरकार सेन कागज पर कशीदाकारी करने की नयी तकनीक का जन्म हुआ। श्री कू वी छुन ने इस खुशी पर बोलते हुए कहा रेशमी धागे की चमक से कढ़ाई जाने वाले चित्र सेन कागज पर ब्रश स्याही के रंग का अहसास दिलाते हैं। ब्रश स्याही चित्र को कागज पर दर्शाने के लिए रेशमी धागे पर 10 किस्म के रंग रंगे जाते हैं, इन में गाढ़ा व हल्का सलेटी रंग व गाढ़ा व हल्का सफेद आदि रंग हैं। इन में सलेटी रंग में गाढ़ा, मध्यम व हल्का रंग भी शामिल होता है, यानी हर रंगों में गाढ़ा, मध्यम व हल्का रंग अनिवार्य है , कुल मिलाकर कम से कम 39 रंगों की जरूरत पड़ती है, तभी कागज पर कशादाकारी की कढ़ाई में सफलता हासिल की जाने की उम्मीद जतायी जा सकती है। वाकई यह श्री कू वी छुन द्वारा अविष्कृत चीन की एक अदभुत कला है, इस कला को सेन कागज पर कशीदाकारी कला का नाम दिया गया है, जिसे चीन के ब्रश स्याही कला के साथ बड़ी माहिरता के साथ तैयार किया गया है। आज दुनिया में दसेक देशों के कला प्रेमियों ने इस अदभुत कला को अपने सुरक्षित संग्राहलय में सम्मिलत कर लिया है।