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तिब्बत के प्रति अमरीकी दंपत्ति का प्रेम
2009-11-17 14:30:59

अमरीका में 50 वर्षों से अधिक तक रहने वाले प्रोफेसर शन ई राओ महा वाशिंगटन में जाने माने प्रोफेसर हैं। पत्नी ह्वांग रेई वो इंडोनेशिया में जन्मी चीनी हैं। 10 वर्ष पहले अमरीकी मीडिया की एक रिपोर्ट पढ़कर उन्होंने खुद तिब्बत की यात्रा करने का निर्णय लिया। उस बार की तिब्बत यात्रा में उन्हें तिब्बती प्राकृतिक दृश्यों व रीति रिवाज़ों से गहरा प्रेम हो गया । इस के बाद उन्होंने 10 वर्ष से अधिक तक तिब्बत का अनुसंधान किया।

82 वर्षीय प्रोफेसर शन ई राओ प्रवासी चीनियों के इतिहास का अनुसंधान करते हैं।क्वांग तुंग के जुंग शैन विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उन्होंने थाईवान में पढ़ाना शुरु किया।वर्ष 1957 में वे सीखने के लिए अमरीका गये। स्नातक होने के बाद वे क्रमशः मैरिलैंड विश्वविद्यालय , अमरीकी एसेम्बली पुस्तकालय और कोलम्बिया डिस्ट्रिक विश्वविद्यालय में पढ़ाने का काम करते रहे।इधर के वर्षों में तिब्बत उन के अनुसंधान का केंद्र बन गया है। उन्होंने क्रमशः तिब्बती समस्या की असलियत और तिब्बती समस्या के स्रोत आदि लेख लिखे हैं। ये लेख चीनी तिब्बत, चीनी दैनिक पत्र आदि मीडिया में प्रकाशित हुए हैं। इन के अलावा, उन्होंने तिब्बती समस्या का अनुसंधान नामक पुस्तक भी लिखी, जिस पर अमरीकी प्रवासी चीनियों तथा तिब्बती शास्त्र जगत के लोगों का ध्यान गया है।

उस समय अमरीका की खबर में कहा गया कि तिब्बत में 10 लाख से ज्यादा तिब्बतियों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने मार दिया है। मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने अनेक पुस्तकें पढ़ीं और पता लगाया कि वर्ष 1950 में तिब्बत की आबादी केवल 10 लाख थी, यदि यह खबर सही है, तो तिब्बत के सभी लोग मारे गये हैं। यह असंभव है। इसलिए, मुझे इस खबर के प्रति संदेह हुआ।मैं खुद तिब्बत की यात्रा करना चाहता था।

पति के इस सुझाव का ह्वांग रेई वो ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि उन के पति बहुत साहसी हैं। वर्ष 1973 में जब शन ई राओ ने सुना कि अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन ने चीन की यात्रा की, तो उन्होंने स्वदेश वापस लौटना चाहा।उस समय चीन में अमरीकी दूतावास नहीं था, इसलिए, उन्होंने विवश होकर कैनेडा जाकर वीज़ा के लिए आवेदन किया। वर्ष 1973 से ह्वांग रेई वो ने हर वर्ष अपने पति के साथ चीन की मुख्यभूमि की यात्रा की। हर बार जब वे चीन आये,तो चीन में हुए भारी परिवर्तन को देखा । लेकिन, ह्वांग रेई वो ने कहा कि तिब्बत जाना उन की कल्पना नहीं थी।

मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं तिब्बत जा सकती हूं। हम चीन के अनेक स्थल, मिसाल के लिए, ह्वांग शैन, नानचिंग और शांगहाई आदि गये थे। लेकिन, तिब्बत नहीं । उस दिन, जब मेरे पति ने कहा कि वे तिब्बत जाना चाहते हैं, तो मैंने उन का विरोध किया। चूंकि पठार पर जाने पर मुझे तकलीफ होती है। मेरी कल्पना में तिब्बत एक बहुत पिछड़ा क्षेत्र था, जहां बहुत गंदगी थी।

लेकिन, अपने पति के समझाने-बुझाने पर, ह्वांग रेई वो ने अंततः पति के साथ तिब्बत जाना कबूल किया ।ह्वांग रेई वो के चाचा ह्वांग मी सुंग 30 के दशक में क्वांग तुंग प्रांत की सरकार के अध्यक्ष थे और वर्ष 1934 में सरकार के विशेष दूत की हैसियत से वे तिब्बत गये। उन्होंने अपनी तिब्बती यात्रा के आधार पर तिब्बत की डायरी नामक पुस्तक लिखी और बाद में यह इतिहासकारों द्वारा तिब्बत का अनुसंधान करने वाली प्रमुख पुस्तकों में से एक मानी गई। सुश्री ह्वांग रेई वो की तिब्बत यात्रा ने भी विश्व के विभिन्न स्थलों के मित्रों को आकर्षित किया। सुश्री ह्वांग ने कहा कि उन की तिब्बत यात्रा उन्हें आजीवन अविस्मरणीय रहेगी।

उस समय मैं एक हॉलीडे ईन होटल में रहती थी। मुझे बहुत आराम महसूस होता था, चूंकि होटल में चीनी व पश्चिमी शैली का खाना उपलब्ध था। पर्यटन करते समय हम अक्सर स्थानीय दुकानों में जाकर आम लोगों के जीवन को देखना पसंद करते हैं।तिब्बती बच्चे बहुत प्यारे होते हैं। मेरे पास एक फोटो अभी तक रखा हुआ है जिस में दो छोटी बच्चियां मेरे पति के हाथों में हाथडाल कर गा और नाच रही हैं। कुछ तिब्बती लोग चीनी भाषा बोल सकते थे। तिब्बत में हान जाति के लोग भी थे, और वे वहां खुशी से रहते थे। मुझे लगा कि तिब्बती लोग आशा करते हैं कि हान जाति के लोग तिब्बत में जाकर वहां के अर्थतंत्र का विकास करेंगे। मुझे लगा कि तिब्बत के सात दिनों की यात्रा बहुत कम थी। जाते समय हवाई अड्डे पर मैं रोयी, चूंकि तिब्बत के प्रति मेरा इतना गहरा प्रेम है कि मैं तिब्बत को नहीं छोड़ना चाहती थी।

एक हफ्ते की यात्रा में शन ई राओ दंपत्ति ने ल्हासा, शिकाचे और च्यांग ज आदि स्थलों का दौरा भी किया और पोटाला महल, जुखलांखांग मठ आदि की यात्रा की। प्रोफेसर शन ई राओ ने कहा,

विभिन्न स्थलों के तिब्बतियों के लिए जीवन में एक बार तीर्थयात्रा करना बहुत जरूरी है। सड़कों पर मैं अक्सर तीर्थयात्रा करने वाले तिब्बती लोगों को देखता था।तिब्बत में मठों का अच्छी तरह संरक्षण किया गया है। तिब्बत में सुन्दर प्राकृतिक दृश्य हैं और लोग उदार हैं। उस समय तिब्बत में रेल मार्ग नहीं था, लेकिन, अब तिब्बत में रेल मार्ग की स्थापना की गयी है। तिब्बत में हुआ तेज़ विकास सब लोगों की कल्पना से बाहर है।

प्रोफेसर शन ई राओ ने कहा कि तिब्बत में उन्हें अनेक युरोपीय पर्यटकों से मिलने का मौका मिला। सब लोगों ने तिब्बत के सुन्दर दृश्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

युरोप से आये लोगों ने कहा कि तिब्बत स्वर्ग जैसा सुन्दर है। युवा विदेशी पर्यटक साइकिल के जरिये तिब्बत की यात्रा करना पसंद करते हैं।

अमरीका वापस लौटने के बाद ह्वांग रेई वो ने तिब्बत यात्रा संबंधी डायरी लिखी। उन्होंने अपने डायरी में तिब्बत का वर्णन किया, ल्हासा में चौड़ी-चौड़ी सड़कें हैं, समृद्ध वाणिज्य है। तिब्बत में हर एक पहाड़ व नदी की अपनी-अपनी कहानियां हैं। तिब्बत में हर एक घास व पेड़ पवित्र माना जाता है। सुश्री ह्वांग की नजर में तिब्बत पूर्वी रोम या येलुशलम की तरह है। तिब्बत यात्रा ने उन पर गहरी छाप छोड़ी है।

तिब्बत वापस लौटने के बाद शन ई राओ दंपति ने आंखों देखे दृश्यों व अनुभवों को अपने मित्रों को बताया। उन के अनेक मित्रों ने भी तिब्बत की यात्रा की। शन ई राओ ने तिब्बत के इतिहास व यथार्थ स्थिति का गहरा अनुसंधान करना शुरु किया और अनेक लेख प्रकाशित किए। अनेक अमरीकी मित्रों ने उन के विचारों को मंजूरी नहीं दी। शन ई राओ ने कहा कि अधिकांश अमरीकी सच्चे तिब्बत को नहीं जानते हैं। तिब्बत के प्रति उन का रुख पश्चिमी मीडिया से प्रभावित हुआ है।

अब अमरीकी मीडिया अक्सर यह कहता है कि तिब्बती लोग बहुत दुखी हैं। मेरे विचार में विश्व के दूसरे देशों की तुलना में चीन में अल्पसंख्यक जातियों के प्रति बनाई गई सरकार की नीति बेहतर है। अमरीका की अल्पसंख्यक जातियां, उदाहरण के लिए, इंडिएनज़ को विवश होकर सीमांत पिछड़े क्षेत्रों में धकेला गया है।

शन ई राओ ने कहा कि तिब्बत के बारे में उन्होंने अनेक लेख लिखे। ये लेख लिखने पर उन्हें वाशिंगटन क्षेत्र के तिब्बती स्वाधीनता संगठनों और आतंकवादियों से पत्र या फोन मिले । उन्होंने कहा कि तिब्बत की असलियत अक्सर पश्चिमी मीडिया के प्रसार में छिपायी गयी है। उन्होंने आशा जताई कि ज्यादा से ज्यादा अमरीकी उन की तरह खुद तिब्बत की यात्रा करेंगे , अपनी आंखों से सच्चा तिब्बत देख सकेंगे और वे तिब्बत के बारे में और ज्यादा जानकारी पा सकेंगे।(श्याओयांग)

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