यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, साप्ताहिक कार्यक्रम चीन में विकास और सुधार अब आरंभ होता है। मैं आप की दोस्त रूपा। कार्यक्रम सुनने के लिये आप लोगों का हार्दिक स्वागत। दोस्तो, 10 से 12 सितम्बर तक विश्व आर्थिक मंच का तीसरा वार्षिक सम्मेलन यानी 2009 ग्रीष्मकालीन दावोस मंच उत्तर पूर्व चीन के ताल्यान शहर में आयोजित हुआ। मंच के दौरान चीनी आर्थिक विकास व इस से विश्व पर पड़े प्रभाव मंच में उपस्थितों का ध्यानाकर्षक व बहुचर्चित विषय रहा।
मौजूदा ग्रीष्मकालीन दावोस मंच का प्रमुख विषय आर्थिक वृद्धि को दोबारा बढ़ाना है। विश्व के 80 से अधिक देशों व क्षेत्रों से आये 1400 राजनीति व वाणिज्य जगतों के सुशिष्ट व्यक्तियों ने मंच में भाग लिया और सृजन व विज्ञान तकनीक, उत्पादन व अनवरत उपभोक्ता, वित्त व पूंजी निवेश आदि मुद्दों पर गहरा विचार विमर्श किया। मौजूदा दावोस मंच के आयोजन के समय पूरी दुनिया के अर्थतंत्र की बहाली हो रही है, जब कि मौजूदा वित्तीय संकट के मुकाबले में श्रेष्ठ निकले चीनी अर्थतंत्र ने मंच में उपस्थित सभी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
मिस्री पूंजी निवेश मंत्री श्री महमोद मोहीलदिन के ख्याल में मौजूदा मंच विश्व की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एक अच्छा माध्यम ही नहीं, बल्कि विभिन्न देशों से आये लोगों को आज के चीन की मोहन शक्ति महसूस करने का एक मौका भी है। इस की चर्चा करते हुए श्री मोहीलदिन ने कहाः
चीन में मौजूदा मंच के आयोजन का भारी महत्व है। विश्व आर्थिक मंच दुनिया के आर्थिक विकास के बारे में जानकारी लेने के लिये बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है। इस के साथ इस बार चीन में मंच के आयोजन से हमें चीन द्वारा आर्थिक व सामाजिक विकास में प्राप्त बड़ी सफलता को भी स्वयं महसूस हुआ है। जो चीन और मित्र जैसे देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए मददगार होगा।
मौजूदा मंच से इतने अधिक संख्यक संभ्रांत लोगों को आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे चीनी अर्थतंत्र के तेज पुनरूत्थान से वित्तीय संकट के सफल मुकाबले की आशा देख चुके हैं। 10 सितम्बर की रात को आयोजित मंच के उद्धाटन समारोह में चीनी प्रधान मंत्री वन चा पाओ ने कहा कि वर्तमान दुनिया के अर्थतंत्र का कदम ब कदम पुनरूद्धार हो रहा है। वित्तीय संकट के मुकाबले में चीन द्वारा लागू अर्थतंत्र को प्रेरणा देने वाली नीतियों से उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं। वर्तमान तक चीन की आर्थिक वृद्धि में गिरावट रूक गयी है और इस साल के पूर्वार्द्ध में चीन के कुल घरेलू उत्पादन मूल्य की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत तक पहुंची। पूंजीनिवेश तेजी से बढ़ गया है और घरेलू मांगों से अर्थव्यवस्था उत्साहित की गयी है। इस के साथ इस साल के पहले 7 माहों में शहरी व ग्रामीण निवासों की आय भी बढ़ गयी, सामाजिक स्थिरता बनी रही। ऐसी सफलता चीन द्वारा एकमुश्त अर्थतंत्र को उत्साहित करने वाली नीति लागू करने से प्राप्त हुई है। श्री वन चापो ने कहाः
बढ़ती विश्व आर्थिक मंदी की पृष्ठभूमि में ऐसी सफलता प्राप्त करना आसान नहीं है। ये सफलता चीन सरकार व जनता द्वारा अपनी स्थिति के अनुसार सकारात्मक वित्तीय नीति व उचित तौर पर उदार मौद्रिक नीति लागू करने का परिणाम है।
मंच के आयोजन के दौरान चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चीनी अर्थतंत्र स्थिर रह कर वृद्ध हो रहा है। और साल में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त होने की बड़ी संभावना है।
लेकिन चीनी अर्थतंत्र के भावी विकास के सामने बहुत चुनौतियां भी मौजूद हैं। विश्व अर्थतंत्र के विकास में बहुत से अस्पष्ट तत्व मौजूद हैं। घरेलू मांगों के विस्तार में अल्प समय में बहुत सी बाधाएं उपस्थित हैं। ढ़ांचागत रद्दोबदल का काम भी बहुत कठिन है। इसलिये वन चा पाओ ने अपने भाषण में कहा कि ऐसी पृष्टभूमि में चीन अपनी मौजूदा सकारात्मक नीति नहीं बदलेगा। उन का कहना हैः
हम अर्थतंत्र के तेज व स्थिर विकास को प्राथमिकता देते रहेंगे और दृढ़ता के साथ सकारात्मक वित्तीय नीति व उचित तौर पर उदार मौद्रिक नीति लागू करते रहेंगे तथा एकमुश्त योजना को संपूर्ण करेंगे। इस के साथ ही साथ हम मुद्रास्फीति समेत विभिन्न निहित चुनौतियों पर नियंत्रण करने की हरसंभव कोशिश करेंगे, ताकि चीनी अर्थतंत्र के तेज व स्थिर विकास व सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा मिल सके।
मौजूदा वित्तीय संकट के मुकाबले के दौरान चीनी अर्थतंत्र के अच्छे प्रदर्शन पर दुनिया के वाणिज्य जगत के सुशिष्ट जनों का ध्यान आकर्षित हुआ है। मौजूदा मंच में भाग लेने वाले फ्रांसीसी पाब्लिसिस ग्रुप के सी ई ओ मोरीस लेवी ने कहा कि इधर वर्षों में चीन द्वारा अर्थतंत्र को प्रेरित करने में, विशेषकर वर्तमान में वित्तीय सकंट का मुकाबला करने में उठाये गये कदम विभिन्न देशों के लिए सीखने के योग्य है। उन्होंने कहाः
मेरे यहां आने का एक कारण सीखना भी है। क्योंकि आर्थिक वृद्धि में चीन ने अविश्वसनीय शानदार सफलता प्राप्त की है, जिस तरह की सफलता मैं ने पश्चिमी देशों में नहीं देखी है। मैं यह जानना चाहता हूं कि चीन द्वारा वर्तमान सफलता प्राप्त करने का कारण क्या है। मैं ने चीन के कुछ माइक्रो अर्थक्षेत्रों, युवा पीढ़ी के काम और सरकार की भूमिका में कुछ कारण पाया है।
वास्तव में आर्थिक भूमंडलीकरण की पृष्ठभूमि में विश्व के विभिन्न देशों को चीनी अर्थतंत्र के तेज विकास से काफी लाभ मिला है। मंच में भाग लेने के लिये चीन में आये मंगोलिया के उप खनन् मंत्री श्री जोरिगट ने हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में कहा कि मंगालिया के सब से बड़े पूंजीनिवेश व व्यापार साझेदारी वाले देश के रूप में इधर के वर्षों में चीन के अर्थतंत्र के तेज विकास, विशेषकर मालों की मांग की वृद्धि से मंगोलिया ने बहुत से लाभदायक मौके प्राप्त किये है। उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि मंगोलिया चीन व पड़ोसी देशों को मंगोलिया में अधिक पूंजीनिवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि मंगोलिया में अधिक रोजगार के मौके तैयार हो सके। उन्होंने कहाः
चीनी अर्थतंत्र का विकास हमें बहुत से अच्छे मौके लायता है। मंगोलिया अधिक से अधिक रूसी व चीनी उद्यमों को खनिज उद्यमों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करता है। क्योंकि इस से मंगोलिया के लिए अधिक रोजगार के मौके तैयार हो सकेंगे और मंगोलिया के औद्योगिकीकरण के लिये लाभदायक होगा।
मौजूदा वित्तीय संकट में चीन द्वारा दिखाई गयी पुनरूत्थान की क्षमता से बहुत से लोगों को यह मनवाया गया है कि चीन विश्व के अन्य देशों की वित्तीय संकट से निकलने में रहनुमाई कर सकता है। किन्तु संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव श्री शा जू खांग के ख्याल में वर्तमान में चीन की यह क्षमता नहीं है। उन का कहना हैः
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार चीन एक मध्य-निम्न स्तरीय आय वाला देश है। विश्व अर्थतंत्र के विकास का नेतृत्व करना चीन के लिये बहुत कठिन है। मेरा विचार है कि एक बहुत लम्बी अवधि के भीतर अमरीका और यूरोप फिर विश्व अर्थतंत्र के विकास की प्रमुख प्रेरक शक्ति रहे हैं।
चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग के उप प्रभारी श्री जांग श्याओ छांग श्री शा जु खांग के विचार पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहाः
चीन दुनिया में सब से अधिक जनसंख्या वाला देश है, जो दुनिया की कुल जन संख्या का छठा भाग बनती है। इस साल चीन 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर प्राप्त कर सकेगा। इस पहलु की दृष्टि से चीन सचमुच विश्व के आर्थिक व सामाजिक विकास को उत्साहित करने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका कर सकता है। लेकिन चीन फिर भी एक निम्न आय वाला देश है। हमारे लिये आगे बढ़ने के लिए बहुत लम्बा रास्ता चलना पड़ेगा ।
ग्रीष्मकालीन दावोस मंच के दौरान मंच में उपस्थित लोगों ने कहा कि विश्व अर्थतंत्र में गहरा परिवर्तन और मोड़ आ रहा है। विश्व के विभिन्न देशों के भविष्य पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़े हुए है। इसलिए सभी देशों को अधिकाधिक सक्रिय रूख से एकजुट होकर सहयोग करते हुए आगे बढ़ना चाहिये। (रूपा)