दक्षिण पेइचिंग के श्वैन वू डिस्ट्रिक में एक मशहूर सड़क न्यू च्यैई है। वह पेइचिंग में सब से बड़ा मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। यहां 10 हजार से ज्यादा मुस्लिम रहते हैं। वे लोग अन्य जातियों के लोगों के साथ सामन्जस्यपूर्ण रुप से रहते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से धार्मिक रस्म में अपनी परम्परा का प्रसार करते हैं।
हर हफ्ते के शुक्रवार के तीसरे पहर, न्यू च्यैई की मस्जिदों में नमाज पढ़ने का दिन है। मुस्लिम लोग हर हफ्ते के शुक्रवार के तीसरे पहर मस्जिद में धार्मिक रस्म का आयोजन करते हैं। 1000 से ज्यादा मुस्लिम लोग मस्जिद आकर नमाज पढ़ने की तैयारी कर रहे हैं। 69 वर्षीय यांग छोंग छींग उन में से एक हैं। वे बचपन से ही न्यू च्यैई में रहते हैं। रिटायर होने के बाद वे हमेशा रोज यहां नमाज पढ़ने आते हैं। यह पुरानी मस्जिद मानो उन की मानसिक जन्मभूमि है।
मुझे लगता है कि मस्जिद मेरी सुन्दर जन्मभूमि एवं निवास स्थल है। मेरे जीवन में अनिवार्य बात मस्जिद में नमाज पढ़ना है। न्यू च्यैई की मस्जिद में नमाज अदा करना मेरे दादा एवं पिता की भी आदत थी। अब मेरे बच्चे भी यहां नमाज पढ़ते हैं।
न्यू च्यैई में स्थित मस्जिद पेइचिंग की सब से बड़ी व पुरानी मस्जिद है। और वह न्यू च्यैई की प्रतीक इमारत भी है। मस्जिद की स्थापना ईसा वर्ष 996 में हुई थी। उसे पुराने चीन के ल्याओ राजवंश के एक अरबी विद्वान द्वारा निर्मित किया गया था। पेइचिंग मुस्लिम धर्म संघ के अध्यक्ष, 76 वर्षीय इमाम श्वेई थ्यैनली ने संवाददाताओं को बताया कि इस्लाम के अनुसार, मस्जिद में रोज पांच बार नमाज पढ़ने की रस्म का आयोजन की जाती है। हर बार कम से कम 200 मुस्लिम रस्म में भाग लेते हैं।
मुस्लमानों के धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता को कानून का संरक्षण प्राप्त है। नमाज के लिए सरकार भी मदद देती है। मिसाल के लिए, ईद अल फितुर एवं गुर्बान जैसे मुस्लमानों के त्योहारों पर सरकारी व्यवस्था की जाती है , ताकि मुस्लमान अच्छी तरह त्योहार मना सकें।
मस्जिद में आने वाले मुस्लमानों में 40 से ज्यादा विदेशी हैं। मस्जिद के धार्मिक सूत्रों के परिचय के अनुसार, यहां दैनिक धार्मिक गतिविधियों का आयोजन करते समय पाकिस्तान, तुर्की, अफ्रीका तथा मध्य एशिया के विदेशी लोग भी अक्सर यहां आते हैं। वे लोग पेइचिंग में जीवन बिताने या काम करने वाले मुस्लमान हैं। मस्जिद के पुराने व गंभीर वातावरण ने उन पर गहरी छाप छोड़ी है।उन के अनुसार,
यह मस्जिद बहुत सुन्दर है। यहां शांति है और सुव्यवस्थित है। मस्जिद के लोग मैत्रीपूर्ण है। इस्लाम धर्म शांति व प्रेम फैलाने वाला धर्म है। हर एक मुस्लिम अपने विश्वास का पालन करता है।
मस्जिद में पवित्र नमाज पढ़ने की आवाज़ गूंज रही है, जबकि बाहर व्यस्त यातायात है। न्यू च्यैई में घूमते हुए हम ने देखा कि यहां आधुनिक नागरिक डिस्ट्रिक एवं इस्लामी शैली वाली इमारतें एक साथ खड़ी हैं। इस क्षेत्र में रहने वाले लोग मुख्यतः मुस्लिम धर्म पर विश्वास रखते हैं, जो मुख्यतः ह्वेई जाति के लोग हैं। उन के रीति रिवाजों का सम्मान करने के लिए यहां हलाल खाद्य, ह्वेई जाति अस्पताल, ह्वेई जाति के मीडिल व प्राइमरी स्कूल, मुस्लिम लोगों के अंतिम संस्कार का प्रबंधन कार्यालय आदि सब हैं। 20 से ज्यादा वर्षों से यहां रहने वाले इमाम श्वेई थ्यैनली ने इधर के वर्षों में न्यू च्यैई में हुए परिवर्तन के बारे में बताया,
पहले यह जगह मुहल्ले जैसी छोटी थी, सड़कें बहुत चौड़ी नहीं थी। नागरिक टूटे-फूटे मकानों में रहते थे। अब सड़क का विस्तार किया गया है।सड़क की चौड़ाई 40 मीटर तक है। नागरिकों के टूटे हुए मकानों की मरम्मत की गयी है और कुछ का पुनः निर्माण किया गया है।आज लोग साफ सुथरे मकानों में रहते हैं और आराम से हलाल वाले खाद्य सुपर मार्केट से खरीदते हैं।
59 वर्षीय ह्वेई जाति के नागिरक चिन श्याओ छ्वन ने संवाददाता से कहा कि सरकार मुस्लमानों के जीवन पर बड़ा ध्यान देती है। विभिन्न जातियों के बीच संबंध भी बहुत सामन्जस्यपूर्ण हैं।
न्यू च्यैई पहले मुस्लिम लोगों का जीवन बिताने का स्थल था, जो अपेक्षाकृत सुविधाजनक है।दक्षिण में ह्वेई जाति का एक अस्पताल भी है, जिस का निर्माण सरकार द्वारा किया गया है। हमारे यहां हान जाति के लोग ह्वेई जाति के लोग एक ही इमारत में मेल से रहते हैं।
न्यू च्यैई में मस्जिद का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। इसे अच्छी तरह बरकरार रखा गया है। मस्जिद के इमाम श्वेई थ्यैनली ने परिचय देते हुए बताया कि नये चीन की स्थापना के पिछले 60 वर्षों में मस्जिद में कुल मिलाकर चार बार बड़े पैमाने वाली मरम्मत व विस्तृत निर्माण किया गया है। खासकर वर्ष 2005 में चीन सरकार ने 2 करोड़ 50 लाख चीनी य्वान लगा कर मस्जिद का विस्तृत निर्माण किया। मस्जिद का क्षेत्रफल दुगुना हो गया है।
पहले मस्जिद का क्षेत्रफल केवल 4000 से ज्यादा वर्गमीटर था। इस के विस्तृत निर्माण के बाद इस का क्षेत्रफल 10 हजार से ज्यादा वर्गमीटर तक पहुंचा है। इसी तरह, इस्लाम धर्म के तीन प्रमुख त्योहारों के दौरान मुस्लमानों द्वारा नमाज पढ़ने की कठिनाई को दूर किया गया है। इस से पहले, मस्जिद छोटी थी, इसलिए, ज्यादा मुस्लिम अंदर नहीं जा सकते थे। अब इस मस्जिद में महिलाओं के लिए विशेष स्थान है।हर वर्ष के ईद उल फितुर के दौरान, इस मस्जिद में चार पांच हजार मुसलमान आते हैं।
72 वर्षीय सईद ने नमाज पढ़ने के बाद संवाददाता से कहा,
सरकार के प्रयास से मस्जिद बहुत अच्छी तरह बरकरार है। वह ऐतिहासिक व मानसिक संपत्ति है। इस मस्जिद से मुसलमानों का इतिहास ही नहीं, बल्कि चीन का इतिहास भी प्रतिबिंबित होता है।