चाइना रेडियो इंटरनेशनल के चीनी विदेशी पत्रकारों का तिब्बत रिपोर्टिंग दल 18 अगस्त को तिब्बत के दौरे पर गया और वह कुल मिलाकर तिब्बत में दस दिन ठहरा । इन दस दिनों में इस रिपोर्टिंग दल के देशी विदेशी पत्रकार दिन रात एक करके क्रमशः ल्हासा , सिकाजे , जाम और च्यांगज आदि क्षेत्रों के राजनीतिक व आर्थिक विकास व स्थानीय रहन सहन शैलियों का पता लगाने के लिये गये । इस बीच इस दल के देशी विदेश पत्रकारों ने न सिर्फ विभिन्न स्तरीय सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत की , बल्कि स्थानीय वासियों के बीच जाकर भूदासियों की संतानों , चाय घर के मालिकों और चीनी नेपाली राजमार्ग पर ट्रक चलाने वाले ड्राइवरों से भी इंटरव्यू लिया , इस से इस रिपोर्टिंग दल के सभी देशी विदेशी पत्रकार अत्यंत प्रभावित हुए ।
तिब्बती वातावरण संरक्षण मामले को लेकर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उपाध्यक्ष बादमा त्सिलिन ने इस रिपोर्टिंग दल के साथ बातचीत में भावावेश में आकर कहा कि तिब्बत हरेक पड़ाड व नद नदी तिब्बती जनता की ही नहीं , बल्कि हमारे चीनी राष्ट्र की है , यदि उन्हें नष्ट किया जायेगा , तो हम चीनी राष्ट्र के सामने क्या मुंह दिखा देंगे । जब नीला आसमान , सफेद बादल , बर्फीला पहाड़ व झील और मोती जैसी गायों व बकरियों के झुंट घाम मैदान पर जड़े हुए दिखायी देते हैं , तो हम स्वभावतः उन लोगों पर बेहद आभारी हैं , जिन्हों ने यहां के हरित पहाड़ों व स्वच्छ पानी के संरक्षण के लिये अथक प्रयास किये हैं ।
पारा फार्म के बाहर भूदासों की संतानों ने राज्य की सुख निवास परियोजना की सहायता से दुमंजिली इमारतें निर्मित की हैं , साथ ही हरेक घर में स्वर्गीय माओ त्से तुंग , तंग श्याओ फिंग और पूर्व राष्ट्राध्यक्ष च्यांग त्से मिन इस तीसरी पीढी वाले नेताओं की तस्वीरें लगी हुई हैं , यहां के सीधे सादे वासी इसी तौर तरीके के जरिये अपने नये जीवन के प्रति अपना एहसान प्रकट करते हैं ।
जाम पोर्ट ठहरने के एक शाम को सी आर आई के पांच नेपाली श्रोता विशेष तौर पर इस रिपोर्टिंग दल से मिलने आये , जब इन पांच नेपाली श्रोताओं ने चीन व नेपाल दोनों देशों की जनता की मैत्री को बढाने में सी आर आई के योगदान के प्रति आभार प्रकट करने के लिये गीत गाया , तो हमारे रेडियो में कार्यरत कनाडियन पत्रकार पाउल ने अचानक नेपाली श्रोताओं का सी आर आई के समर्तन पर शुक्रिया अदा करने के लिये जाम पेश किया । उन्हों ने कहा कि क्योंकि इंटरनेशनल रेडियो और श्रोताओं के बीच का फासला बहुत दूर है , इसलिये कभी कभार हताशा महसूस होती है । इस बार तिब्बत में सी आर आई के श्रोताओं के साथ प्रत्यक्ष रुप से आदान प्रदान करने का मौका मिला है , जिस से लगता है कि अपने काम का बड़ा मूल्य होता है ।
इटालवी पत्रकार श्री गाब्रिल्ला बोनिनो ने इस दौरे की चर्चा में कहा कि मुझे बड़ी खुशी हुई है कि मुझे फिर तिब्बत आने का मौका मिला , फिर एक बार यहां के नीले आसमान , हरे भरे घास और निश्चिंत रुप से जीवन बिताने वाली तिब्बती संतानों देखने का मौका मिला । मुझे उम्मीद है कि तिब्बती जनता अपना मूल रहन सहर बनाये रखेगी , साथ ही वह आधुनिक समाज के सभी परिणामों का उपभोग करेगी ।
नेपाली पत्रकार आजालिया ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि तिब्बत की रेल लाइन व राजमार्गों का बड़ा विकास हुआ है , जिस से स्थानीय वासियों का जीवन स्तर उन्नत हुआ है और तिब्बत की आर्थिक व सामाजिक प्रगति को भी बढ़ावा मिला है , कामना है कि तिब्बत व यहां रहने वाले वासियों का भविष्य और उज्जवल हो ।
जर्मनी से आये पत्रकार लिमब्रुनेर ने कहा कि तिब्बत एक असाधारण जगह है , खासकर प्रकृति प्रेमियों के लिये यहां देखने लायक है । पठारीय प्रभाव के अनुकूल होने के बाद ल्हासा शहर से निकलकर दूसरे क्षेत्रों को देखने से पठार का रहमय मोह महसूस करना चाहिये । आप को पता है कि जर्मनी में सब से ऊंची चोटी केवल तीन हजार मीटर की है , पर यहां की झीलें तो समुद्र की सतह से चार मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं , यहां का पहाड़ी दृश्य और निर्माण वास्तु शैली विशेष पहचान बना देती है , यहां पर हम ने नजदीगी से तिब्बत के साधारण वासियों के साथ सम्पर्क किया है और उन की संस्कृति भी समझ ली है । इसलिये तिब्बत का दौरा करने बिलकुल लायक है ।
चेक की पत्रकार गास्कोवा इवाना ने कहा कि मुझे तिब्बत बहुत पसंद आया है , आशा है कि यहां की झीलों का पानी हमेशा के लिये इतना स्वच्छ व निर्मल बरकरार रहेगा , विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले पर्यटक यहां के तिब्बती वासियों के साथ तिब्बत का सौदर्य बरकरार रखने की कोशिश करेंगे ।
हमारे रेडियो के अंग्रेजी विभाग में कार्यरत पत्रकार पाउल ने कहा कि दस दिवसीय तिब्बत यात्रा मैं जिंदगी भर में भुला नहीं सकता । हम हमेशा यहां की सफेद चोटियों , बादलों , नीला आसमान व झीलों और मेहमाननवाज तिब्बती बंधुओं को याद रखेंगे ।
सी आर आई के न्यूज केंद्र विभाग के चीनी पत्रकारों ने कहा कि दस दिवसीय तिब्बत यात्रा अल्पकालिक तो है , पह उस से हम बहुत प्रभावित हुए हैं ।
हार्दिक आशा है कि दस दिवसीय यात्रा के दौरान हम ने अपने स्वरों , शब्दों और चित्रों के जरिये आप को असलियत व वास्तुगत तिब्बत से अवगत करा दिया है ।
श्रोताओ , अब लीजिये सुनिये , तिब्बत रिपोर्टिंग दल के विदेशी पत्रकार पाउल ने तिब्बत के जाम कस्बे के दौरे पर क्या देखा है सुना है ।
21 अगस्त 2009 के शाम को तीन बजकर 48 मिनट मेरे जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण है । इस से पहले मैं ने कभी नहीं सोचा था कि एक न एक दिन मैं यहां आ पाऊं । इसी वक्त मैं शिकाजे से जाम की ओर जाने के रास्ते पर हूं , जाम चीन व नेपाल की सीमा पर स्थित एक छोटा कांऊटी शहर है । रास्ते में मैं ने अजीबोगरीब हिमालाया पर्वत को देख लिया है , इसलिये मैं आप को बताना चाहता हूं कि यह वक्त अपने जिंदगी भर के लिये एक बेहद महत्वपूर्ण क्षण ही है ।
22 अगस्त को हम जाम पोर्ट पहुंच गये । जाम कस्बे के रोड टेढे मेढे हैं और बहुत सी परियोजनाएं निर्माणधीन हैं । जब हमारी बस पोर्ट के पास पहुंची , तो इस कस्बे की पूरी सूरत हमारे सामने इतनी साफ नजर आयी कि पूरा क्षेत्र एक सीधी खड़ी चट्टान पर लटका चित्र मालूम पड़ता है । जबकि अभी अभी हम जिस मोटर सड़क से गुजर कर यहां आ पहुंचे हैं , वह बिलकुल एक पतला रेश्मी धागा जैसा है । हालांकि हम ड्राइवर की दक्षता पर शंकित नहीं हैं , पर फिर भी इस खतरनाक मोटर सड़क को देखकर मन में डर का भाव एकदम उत्पन्न हो उठा ।
मैं अपना ध्यान जबरदस्ती से हालिया भू दृश्य पर दिला दिया । मैं ने देखा कि सड़क पर लाइन में रंगीन पोस्टों से सुसज्जित ट्रक खड़े होकर नेपाल वापस लौटने की प्रतीक्षा में हैं। सामने झरने ऊंचे पर्वत के ऊपर से नीचे गिरकर नाछू नदी में जा मिले हैं , नदी पर चीन नेपाल मैत्री पुल बांधा हुआ है । नेपाली वासियों की भीड़े सीमांत पोर्ट के पास इकट्ठी हुई है । वे रंगारंग जातीय पोषाकों से सजधज कर बड़े व्यस्त दिखाई देते हैं ।
जाम पोर्ट समुद्र सतह की 1900 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा हुआ है और वह हिमालाया श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है । सैकड़ों हजारों नेपाली वासी यहां पर व्यापार करते हैं , इसलिये बड़ी चहल पहल नजर आती है । पोर्ट की जाने वाले संकरे रोड़ के दोनों किनारों पर चीनियों की छोटी छोटी दुकानें भी स्थापित हुई हैं , चीनी दुकानदार रोजमर्रें में आने वाली वस्तुएं नेपाली वासियों को बेच देते हैं । यह सच है , अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बाजार में जाम पोर्ट कुछ भी नहीं है , पर यहां की सीमा पर रहने वाली दोनों देशों की जनता के लिये अपना जीविका ही है ।