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तूफान और तेज बारीश से निकलकर उज्जवल की ओर कदम बढ़ाने के 60 साल
2009-10-12 16:18:49

हाल ही में चीन के मशहूर लेखक वांग मंग ने जन दैनिक अखबार के लिए एक आलेख लिखा है जिसमें उन्होने चीन के पिछले 60 सालों के उतार चढ़ाव व परिवर्तन का वर्णन किया और लोगों को बताया कि चीन को आज मिली महान उपलब्द्धियां की प्राप्ति कोई सरल काम नहीं था। वांग मंग इस वर्ष 75 वर्ष उम्र के हैं, उन्होने 1949 में नए चीन की स्थापना को देखा था, और पिछले 60 सालों में चीन के भारी परिवर्तन को स्वंय महसूस किया था।

इस से पहले रूस की एक मीडिया ने अपनी चीन की एक रिपोर्ट में कहा था कि हालांकि चीन ने पिछले 60 सालों में बहुत सी कठिनाईयों का मुकाबला किया था, लेकिन वे कभी संकट के आगे नहीं गिरा। इस आकलन से मालूम होता है कि उक्त मीडिया चीन के इतिहास की जानकारी को सही रूप से समझता ही नहीं बल्कि कहीं अधिक आज के नए चीन को नजदीक से समझता है।

चाहे लेखक श्री वांग मंग हो या रूस की मीडिया, उनकी एक सहमति यह जरूर रही है कि चीन राष्ट्र ने अपनी एकता व सुदृढ़ निश्चय से तनमन से एक जुट होकर कठिनाईयों का मुकाबला कर चीन की महान भावना को निखारा है। यह भावना न केवल चीन के पिछले हजारों सालों के राष्ट्रीय इतिहास में देखे गए हैं बल्कि पिछले गुजरे 60 सालों के नए चीन के इतिहास में भी देखे गए हैं। 

 अधिकतर चीनी लोगों के लिए यह परिवर्तन जैसे कल रात को देखा एक सपना ही रहा हो। 12 मई 2008 में एक भंयकर भूंकप ने एक लाख लोगों की जान ले ली। कल का फलता फूलता वनछुआन शहर आज एक मलबे से ढका , एकदम पहचाने न जाने वाला एक शहर बन गया है। आकस्मिक भंयकर घटना ने पूरे चीन की एकता व राष्ट्रीय भावना को उजागर किया, लोगों ने भूंकप से घायल दिलों को परे रखकर , संकट से लड़ने के हौसले को बुलन्द किया है। इस भंयकर भूंकप ने चीन को एक सूत्र में बांध दिया। एक अरब 30 करोड़ जनता ने मिलकर ऊंची आवाज में दुनिया से कहाः मेरा चीन, तू कभी नहीं झुकेगा, आगे बढ़ो मेरे वतन। आंसू और लहू से भरी चट्टान को हिला देने वाली यह आवाज आकाश में गूंज उठी और वह एक प्रबल प्रेरित शक्ति बन गयी। चीनी राष्ट्राध्यक्ष ने एन वक्त पर भूंकप स्थल में जाकर पीड़ित लोगों का हौसला बढ़ाया।

 मुझे विश्वास है कि कोई भी संकट व कठिनाई बहादुर चीनी जनता की एकता को कतई नहीं हिला सकती है। उधर चीनी प्रधान मंत्री वन च्या पाओ ने भी पहले समय में भूंकपग्रस्त क्षेत्र जनता के पास जाकर कहा

 भूंकप पहाड़ को हिला सकता है, नदी को बांध सकता है, लेकिन वह हमारी जनता के दृढ़ता को कभी हिला नहीं सकता। विपत्ति ने हमारे परिजनों की जान ले ली है, हमारे घर को बर्बाद कर दिया है, किन्तु हम जीवित लोग अपने जीवन को आगे ले जाएगें और आने वाले जीवन को और अधिक सुन्दर बनाएगें।

वाकई एक साल के बाद के कठोर प्रयासों से भूंकप से नष्ट हुआ वनछुआन अब पहचाना नहीं जा रहा है, मलबे के उपर नयी नयी इमारतें दिनों दिन खड़ी होती जा रही हैं। मानव के इतिहास विकास के दौर में चीन राष्ट्र ने बेशुमार संकटों का सामना किया था और आखिर में चीनी जनता ने उस पर विजय हासिल कर देश को निरंतर आगे की ओर बढ़ाते ले जाया है। नए चीन की स्थापना के पिछले 60 साल भी संकट व मुश्किलों से भरा दौर रहा है, लेकिन इस के बावजूद चीन ने देश के निर्माण में करिश्मा कर दिखाया है।

पिछले 60 सालों के दौर में पिछली शताब्दी के 50 व 60 वाले दशक में प्राकृतिक आकाल ने चीन पर गहरा वार किया , 1976 में थांगसान भंयकर भूंकप व 1998 में सर्वनाशी बाढ़ तथा 2003 में सार्स की विपत्तियों ने चीन के आगे ढेर सारी गंभीर चुनौती लाकर रख डाली, चीन आखिर इन विपत्तियों से मुकाबला करता अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ाता आगे बढ़ता रहा।

60 साल पहले नए चीन की स्थापना के समय चीन एक अत्यन्त गरीब व कमजोर देश था, उपर से पश्चिमी देशों द्वारा चीन को घेर कर उसे अकेला करने व नए चीन पर तरह तरह की पाबन्दी लगाने की नाजुक घड़ी में चीन राष्ट्र न ही इन चुनौतियों से डरा है न ही इन प्रहारों के आगे झुका है, चीन ने अपने देश की वास्तविकता के अनुरूप स्वतंत्र व स्वंय निर्भरता की नीति लागू की और अपनी ताकत व बुद्धिमता से पश्चिमी देशों की पाबन्दी का डटकर मुकाबला किया और विजय के रास्ते में लगातार आगे चलता रहा।

चीन के इतिहास या पिछले 60 सालों पर एक नजर डाले तो आप को मालूम होगा कि चीन राष्ट्र ने कैसे अनेक अनदेखी व अनसुनी कठिनाईयों को एक एक कर के जूझता आया है, इन सभी को राष्ट्र की एकता व जनता की दृढ़ता व निश्चय से अलग नहीं किया जा सकता है, इस एकता से बनी भावना ने आज चीन को अपनी मंजिल तक पहुंचने में उत्साहित किया है और उसे दुनिया की मान्यता प्राप्त होने लगी है।

हम यह कह सकते हैं 1978 से शुरू आर्थिक सुधार व खुलेपन नीति के बाद के 30 सालों में हमें जो महान उपलब्द्धियां मिली हैं वह सामूहिक रूप से चीन राष्ट्र की एकता का सुफल व उसकी दृढ़ता व अविष्कार का आदर्श मिसाल है। चीनी विद्वान छिंग श्याओ इंग को याद है कि उस समय चीनी जनता ने तेज स्वर में पुकार कर कहा था कि पिछले दस सालों में खोए समय को वे हर कीमत में वापस लेकर आएंगा। तब से एक एक मिनट एक एक घन्टे के हिसाब से चीन ने अपने जनता के जीवन का काया पलट करना शुरू किया, देश की नयी सूरत ने दुनिया को चकमा दिया। श्री छिंग श्याओ इंग ने कहा

 उस समय में मैं चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी में कार्यरत था , चाहे बुजुर्ग वैज्ञानिक हो या जवान वैज्ञानिक कार्यकर्ता , सभी एक दिन में दो दिन के कार्यों को पूरा करने पर जुटे हुए थे। उस समय हमारे दिल में एक ही तमन्ना थी जितना जल्दी हो सके हम खोए हुए समय को वापस ले आए। उस समय हमारे नेता भी न रात न दिन की तरह काम में जुटे हुए थे, सभी लोगों सभी नेताओँ ने अपनी कोई कसर नहीं छोड़ी, स्वर्गीय तंग श्याओ फिंग उस समय 70 से ज्यादा उम्र के थे तो भी वे पूरी लगन से आर्थिक सुधार व खुलेपन नीति के बखूबी अंजाम देने के लिए जीतोड़ से काम में लगे हुए थे। सभी लोग अपने मन में राष्ट्र के पुनरूत्थान, अपने देश को समृद्धशाली व मजबूत बनाने की भारी उम्मीद लिए , राष्ट्र के आधुनिकीकरण के कार्य में अपनी जान दे रहे थे।

इसी जी तोड़ व प्रबल एकता की भावना से ही चीन ने केवल पिछले 30 सालों में विश्व इतिहास में महान करिश्मा करके दिखाया है, चीन का काया पलट हो गया है, राष्ट्र आधुनिकीकरण के रास्ते में चल रहा है, चीनी जनता अपने सपने को साकारने में सफल रही है।

लेखक छिंग श्याओ इंग ने कहा कि एकता भावना से वंचित देश एक प्रतिस्पर्धाहीन देश होगा, एकता व राष्ट्र प्रेम ही हर संकट व हर मुश्किलों को पार करने की अनमोल व कभी भी खतम न होने वाली विशाल शक्ति है, यही चीन के पिछले 60 सालों के विकास की मूल जड़ है। उन्होने कहा

 एकता व राष्ट्र प्रेम शक्ति ने ही चीन को दबाव से मर रहे गरीब देश को स्वतंत्रता व स्वंय निर्भरता की दिशा में चलने की बेशुमार शक्ति मिली है। इसी ही भावना व शक्ति से ही चीन ने अपने उपर मढ़े पिछड़ी आर्थिक व सामाजिक स्थिति का तख्ता उलट दिया है और आज एक विशाल आबादी वाला देश वर्तमान एक खुशहाली जीवन में प्रवेश कर चुका है। चीन को न जाने कितनी मुश्किलों व संकटो ने घेरा था, चीनी राष्ट्र की एकता व देश प्रेम शक्ति ने ही उसके हौसले को बुलन्द किया और हमारी जनता अनेक गंभीर मुश्किलों को पार कर एक उज्जवल व आशा से भरे देश के निर्माण में एक से एक सफलता पाने में सफल रही हैं।

एक अरब 30 करोड़ आबादी वाला विशाल देश चीन अपनी हर मुश्किलों को जनता के साथ मिलकर हल करेगा और इस विशाल जन संख्या की प्रचुर शक्ति से आने वाले दिनों में राष्ट्र की एकता व राष्ट्र प्रेम के आधार पर एक नया करिश्मा करके दिखाएगा और नए चीन की सुन्दरता व उसके उज्जवल भविष्य का नया श्रृंगार करेगा

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