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चीन में रहने वाले श्रीलंकाई युवक अनिल
2009-10-01 10:27:08

हम पेइचिंग के श्वान वू क्षेत्र के मा ल्यान डौ अंतर्राष्ट्रीय चाय केंद्र में अनिल से मिले तो उस ने श्रीलंका की चाय का परिचय दिया।

उन्होंने कहा कि चीन में रूपांतरण व खुलेद्वार की नीति लागू की जाने के बाद विश्व में बहुत विदेशी लोग चीन की यात्रा कर रहे हैं। वे चीन की संस्कृति को सीखने और चीन के विकास को देखने के लिए चीन आए हैं। चीन ने उन्हें अपने विकास के भी बहुत मौके दिए हैं।

14 साल पहले 19 वर्षीय अनिल पहली बार चीन आए। इस के बाद वे चीन में रहने लगे। श्री अनिल ने कहा कि वे चीन के कुंग फू को पसंद करते हैं। वे कुंग फू सीखने के लिए चीन आए हैं।

मैं चीन के कुंग फू को बहुत पसंद करता हूं। चीन आने से पहले मैं ने श्रीलंका में साढ़े तीन साल तक कुंग फू सीखा है। सन् 1995 में चीन सरकार ने श्रीलंका को कुंग फू सीखने के लिए एक छात्रवृत्ति दी। मैं ने विभिन्न परीक्षाओं को पास करके चीन में आने के इस मौके को प्राप्त किया है।

श्री अनिल ने मेहनत से चीनी खेल विश्वविद्यालय में कुंग फू की तीन साल की पढ़ाई समाप्त की। वे बहुत कठोर अभ्यास भी करते रहे। दो साल बाद उन्होंने चीन में पहले स्तर के सामुराइ बन गए।

इस के बाद श्री अनिल चीन की संस्कृति को ज्यादा पसंद करने लगे। सन् 2000 में श्री अनिल चीन के प्रसिद्ध क्रोसटोक मास्टर डिंग क्वांग छ्वान के छात्र बन गए। उन्होंने मास्टर से चीन की पेइचिंग ओपेरा आदि चीनी परंपरागत कला सीखी। उन्होंने अपने बहुत बढिया कुंग फू, बहुत अच्छी चीनी भाषा और चीनी परंपरागत कला से बहुत पुरस्कार व सम्मान प्राप्त किए। बहुत से चीनी लोग उन्हें पसंद करते हैं।

फूल व पुरस्कार प्राप्त करने के साथ-साथ श्री अनिल ने चीन में अपना प्यार भी प्राप्त किया। एक चीनी लड़की उन को प्यार करती है। श्री अनिल ने भी इस लड़की के लिए अपनी स्वदेश लौटने की योजना छोड़ दी। सन् 2003 में श्री अनिल ने इस लड़की के साथ शादी की। जिस से हमारे अनिल चीन के दामाद बन गए।

चीन आए हुए मुझे 14 साल हो गए हैं। इन 14 सालों को याद करते हुए श्री अनिल ने कहा कि चीन ने उन के लिए बहुत मौके दिए हैं। इन 14 सालों में चीन भी बहुत तेजी से विकास कर रहा है।

गत 14 सालों में चीन में बड़े परिवर्तन आए। मौजूदा पेइचिंग 14 सालों से पहले के पेइचिंग से बिलकुल अलग है। अब पेइचिंग में 6 रिंग रोड़ हैं और बहुत ऊंची इमारतें हैं। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि सभी चीनी लोगों ने चीन की समृद्धि के लिए अपना योगदान दिया है।

अब श्री अनिल पूरी तरह एक पेइचिंग वाले बन गए हैं। वे चीन में श्रीलंका की चाय का व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन ग्रीन चाय का उत्पादन करता है और श्रीलंका भी चाय का उत्पादन करता है। चाय भी संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर रही है। सन् 2009 मार्च की 6 तारीख को चीन में स्थित श्रीलंका दूतावास द्वारा संगठित किए गए चीन श्रीलंका की 52 वीं वर्षगांठ के समारोह में श्री अनिल को चीन श्रीलंका व्यापार पुस्कार भी दिया गया। उन्होंने प्रसन्नता से कहा कि भविष्य में वे चीन श्रीलंका के बीच व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए और ज्यादा कोशिश करेंगे।

मुझे आशा है कि भविष्य में हमारी कंपनी और विकास कर सकेगी। मैं श्रीलंका के शिल्प और नारियल शराब भी चीन में आयात करने को तैयार है। चीन के हाई नान प्रान्त में भी नारियल शराब का उत्पादन किया जा रहा है। लेकिन श्रीलंका में विश्व में सब से अच्छी नारियल शराब बनती है। मैं चीन और श्रीलंका के बीच व्यापार करने के लिए और ज्यादा कोशिश करूंगा

श्रीलंका मेरी मातृभूमि है। श्रीलंका में मेरा जन्म हुआ। लेकिन चीन भी मेरी मातृभूमि है। मैंने चीन में विकास किया। मैं अपनी दोनों मातृभूमियों को प्यार करता हूं। दोनों देश मेरे घर हैं। वास्तव में मैं चीन को और प्यार करता हूं। क्यांकि चीन में मेरी पत्नी रहती हैं, मेरे बच्चे रहते हैं।

श्री अनिल ने यह भी कहा कि वे हमेशा चीन में ठहरेंगे। चीन में उन का प्यार है, उन की कंपनी है, उन का कुंग फू, क्रोसटोक, पेइचिंग ओपेरा हैं।

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