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आधुनिक वन व फल उद्योग ने यूनान प्रांत के सीमांत क्षेत्रों के किसानों को अमीर बनाने में गति दी
2009-09-24 16:21:36

मानलोंग लेइ चीन के यूनान प्रांत के शी श्वांग बना ना प्रिफेक्चर की मेन ला काऊंटी का एक अल्पसंख्यक जातीय गांव है। इधर के वर्षों में मानलोंगलेइ ने आधुनिक वन व फल उद्योग का जोरदार विकास किया है, जिस से न केवल गांव के पारिस्थितिकी पर्यावरण की रक्षा की गयी है, बल्कि स्थानीय किसानों को अमीर बनाने में गति भी दी गयी है।

गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक से मानलोंगलेइ में उष्णकटिबंधीय फसल—रबर पेड़ के रोपण का प्रयास करना शुरू किया गया और इसमें आरंभिक सफलता भी मिली। इस शताब्दी के आरंभ में गांव भर में रबर पेड़ रोपण के समुन्नत तकनीक का प्रसार-प्रचार शुरू हुआ। वर्तमान में गांव में रबर वृक्ष का क्षेत्रफल 82 हैक्टर तक पहुंचा है, जिस में से 20 हैक्टर में रबर का दूध निकालने का काम चालू हो गया है । वर्षों के व्यवहारिक प्रयासों के परिणामस्वरूप ग्रामीणों को पता चला है कि रबर पेड़ का उत्पादन मूल्य चावल व केला आदि फसलों के मूल्य से कहीं अधिक है। मानलोंगलेइ गांव के नये ग्रामीण निर्माण कार्य के निर्देशक श्री जुन यू छांग ने परिचय देते हुए कहाः

हम ने 1 हजार से अधिक मू की भूमि पर रबर वृक्ष का रोपण किया है। हार्वेस्ट के बाद रबर उद्यम बाजार मूल्य के अनुसार इन्हें खरीदते हैं। अब लोगों को मालूम है कि यहां रबर वृक्ष के रोपण से सब से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं, इसलिये अधिकांश भूमि पर रबर वृक्ष का रोपण होता है।

रबर व अनाज के लिए पर्याप्त भूमि सुरक्षित होने के आधार पर मानलोंगलेइ के कुछ गांव वासियों ने अपनी बाकि भूमि को उद्यमों को किराये पर मुहैया किया है और उन में केला पेड़ रोपे जाते है। मेनला काऊंटी के मेनला कस्बे के प्रधान श्री यान ला श्यांग ने संवाददाता को बतायाः

किसान अपनी जरूरत से ज्यादा भूमि को उद्यमों को केला पेड़ के रोपण के लिये किराये पर मुहैया करते हैं। अगर किसान खुद धान की खेती करते हैं तो हर मू की भूमि पर सालाना आय सिर्फ 250 से 300 य्वान तक होती है। लेकिन अगर उद्यमों को किराये पर केला उत्पादन के लिए देते हैं तो इस से एक मू की भूमि पर किसान की सालाना आय 1100 से 1200 य्वान तक पहुंच सकती है। खेतीबाड़ी से अवकाश पाकर स्थानीय किसान ग्रामीण पर्यटन सेवा, फार्म में मजदूरी तथा कंपनी में नौकरी के लिए भी जा सकते हैं।

मानलोंगलेइ गांव में संवाददाता ने देखा है कि हर परिवार में घरेलू उपयोगी विद्युत उपकरण पूरे के पूरे उपलब्ध हैं और हर व्यक्ति के पास एक न एक मोबाइलफोन है, यहां तक कुछ परिवारों ने ट्रैक्टर व कृषि रिक्शे खरीदे हैं। 60 वर्षीय किसान श्री बो खान ल्यू ने कहा कि अब सरकार ने ग्रामीणों के हित में बहुत सी सहायता नीतियां लागू की हैं। 2005 से गांव के अधिकांश फसलों के उत्पादन के साधन सरकार द्वारा दिये गये हैं, जब कि उत्पादन की स्थिति के सुधार से कृषि उत्पादन की कार्यक्षमता बहुत बढ़ गयी है। अब उन की जितनी सालाना आय आयी है, उतनी के लिए पहले उन्हें कभी सोचने का साहस भी नहीं था। उन्होंने कहाः

मेरे परिवार में छह लोग हैं। मेरे पास 12 मू धान के खेत व रबर पेड़ के 30 मू की भूमि है। इन दो सालों में धान के खेत को भीतरी इलाके से आए उद्यमों को किराये पर दे दिया गया। इस से हम हर साल 30 हजार य्वान की आय कमा सकते हैं। 10 साल पहले हमारा जीवन इतना अच्छा नहीं था, आज का जीवन 10 सालों से बहुत अधिक समृद्ध हो गया है। और तो हमारा जीवन साल ब साल सुधरता जा रहा है।

मानलोंगलेइ गांव के आधुनिक वन व फल उद्योग का तेज विकास बड़ी हद तक सामूहिक वन अधिकार व्यवस्था के सुधार के गहन रूप से बढ़ने से जुड़ा हुआ है। गत शताब्दी के 90वाले दशक से मानलोंगलेइ गांव ने वन अधिकार व्यवस्था का कई बार सुधार किया। लेकिन संपत्ति पर अस्पष्ट अधिकार व्यवस्था, संचालन के स्वामित्व की कमजोरी व असमान मुनाफा वितरण पद्धति आदि सवाल मौजूद होने के कारण वन उद्योग का विकास बाधित हो गया ।

2008 में मानलोंगलेइ गांव ने राष्ट्रीय नीति के अनुसार सामूहिक वन के व्यापार अधिकार व वन स्वामित्व को सीधे गांववासियों को सौंपा है। मानलोंगलेइ गांव के नये ग्रामीण निर्माण कार्य के निर्देशक श्री जुन यू छांग ने कहा कि व्यवस्था सुधार से न केवल गांव की सब से बड़ी समस्या का समाधान किया गया, बल्कि व्यापक गांववासियों का समर्थन भी प्राप्त हुआ है।

शी श्वांग बना ना प्रिफेक्चर की मेन ला काऊंटी में वन्य आच्छाद दर 66 प्रतिशत पहुंची। वन उद्योग के विकास को गति देने के साथ साथ मेनला काऊंटी ने वन संरक्षण संबंधी नीति भी बनायी और पारिस्थितिकी व्यवस्था के प्रबंधन पर बल दिया गया जिस से वन्य संसाधन की वृद्धि वन्य खपत से अधिक होने का परिणाम निकला । मेनला काऊंटी के उप जिलाधीश श्री डो च्या श्यांग ने कहा कि इस साल देश की आर्थिक वृद्धि बनाए रखने व घरेलू मांगों का विस्तार करने की नीति को अमल में लाने के दौरान मेनला काऊंटी ने वन संसाधान के संरक्षण के लिए मुआवजा व्यवस्था को संपूर्ण बनाने में विशेष पूंजी जुटायी और अनेक नीतियों के चलते वन्य संसाधनों को विकसित करने पर जोर लगाया । उन्होंने कहाः

हम वन संरक्षण व वृक्षारोपण की नीति लागू करते हैं यानी वन कटाई पर पाबंदी का निश्चित दायरा बनाते है और विशेष क्षेत्रों में रबर पेड़ को हटाकर सामान्य पेड़ लगाते हैं। इस कदम के कारण किसानों को पहुंची क्षति की आपूर्ति करते हैं जो वन संसाधन मुआवजा व्यवस्था कहा जाता हैं। इस व्यवस्था से किसानों को वन का संरक्षण कराने के लिये सरकार से भत्ता मिलती है।

उल्लेखनीय बात यह है कि मानलोंगलेइ गांव ने वन संरक्षण की धाराओं को गांव की नियमावली में शामिल किया है, जिस से गांववासियों में वन व पारिस्थितिकी संरक्षण की चेतना काफी बढ़ी है और वे खुद अपनी कार्यवाही को नियंत्रित करते हैं । गांव के पृष्ठभाग में 6 सौ हैक्टर के हरेभरे पेड़ों की एक विशाल राजकीय जंगल है, लेकिन गांव में ऐसा कोई व्यक्ति सामने नहीं आया है जो अपनी मर्जी से एक ही पेड़ कटाता। गांववासी श्री बो खान ल्यू ने संवाददाता को बतायाः

गांव के मुखिया, बुजुर्गों, कार्यकर्ताओं ने एक साथ मिलकर गांववासियों को नियमित करने के लिये नियमावली बनायी। उन्हें मनमानी से पेड़ काटने व बेचने की अनुमति नहीं दी जाती, क्योंकि नियमावली में सभी विषय साफ साफ लिखा हुआ है।

मेनला काऊंटी के मेनला कस्बे के प्रधान श्री यान ला श्यांग ने कहा कि एक तरफ मेनला कस्बे ने वन व भूमि के संरक्षण के साथ साथ वन उद्योग का ढ़ांचे में समायोजन किया है ताकि किसानों की आय बढ़ सके। दूसरी तरफ काऊंटी ने स्थानीय भूमि व संसाधन की श्रेष्ठता के आधार पर वनस्पति विकास उद्योग व पशु मत्स्य पालन उद्योग जैसे कृषि उत्पादन का विकास किया है, जिस से तीन सालों के भीतर पूरे कस्बे की औसत व्यक्ति आय में 2 हजार य्वान का इजाफा होगा। उन का कहना हैः

अब हम जंगल में स्थानीय विशेष मुर्गा और थाई जाति की मुर्गी पालते हैं और बांस उद्योग का विकास करते हैं। इस के अलावा वन्य भूमि में चीनी जड़ी बूटी के पौधे उगाते है, इस तरह के बहुमुखी उद्योग का विकास यदि कामयाब हो, तो हम इस का व्यापक प्रसार-प्रचार करेंगे। 2012 तक हमारी औसत व्यक्ति आय 5 या 6 हजार य्वान तक पहुंचेगी।(रूपा)

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