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चीन अल्पसंख्यक जातियों की संस्कृति के संरक्षण व विकास को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है
2009-09-22 20:18:57

चीन एक बहु जातीय देश है। इतिहास के लम्बे विकास की प्रक्रिया में विभिन्न जातियों ने अपनी विशेषता वाली प्रचुर व रंगीन जातीय संस्कृति की रचना की है। अनेक वर्षों में सरकार, विद्वानों तथा विभिन्न जातियों के उभय प्रयास से चीन की अल्पसंख्यक जातियों की संस्कृति का संरक्षण व प्रसार किए जाने के साथ-साथ इस का निरंतर विकास होता रहा है। आधुनिक समाज में उस ने नयी जीवंत शक्ति प्रतिबिंबित की है।

आप ने जो गीत सुना, वह वांग जडं फांग नामक छ्यांग जाति की एक महिला के द्वारा गाया गया गीत है। गत वर्ष 12 मई को आए जबरदस्त भूकंप में उन के जन्मस्थान को भारी नुकसान पहुंचा। अब सरकार की मदद से, उन के जन्मस्थान बेईछ्वान काऊंटी में विशेष पर्यटन उद्योग का विकास किया गया है।वांग जडं फांग न केवल अच्छी तरह गा सकती हैं, बल्कि सुन्दर कढ़ाई भी कर सकती हैं।उन्होंने कढ़ाई शिल्प की एक दुकान भी खोली है। उन की दुकान ने देश-विदेश से आये पर्यटकों को आकर्षित किया है। आदमनी बढ़ने के साथ-साथ छ्यांग जाति की संस्कृति व रीति रिवाज़ों का प्रसार भी किया गया है।

भूकंप में गंभीर रुप से बर्बाद हुई छ्यांग जाति की संस्कृति का संरक्षण करने के साथ-साथ, चीन सरकार ने अनेक काम किये हैं। चीन ने छ्यांग जाति के सांस्कृतिक पारिस्थितिकी संरक्षण क्षेत्र की स्थापना की है। सांस्कृतिक धरोहर और गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासत आदि संरक्षण का मु्ख्य विषय है। चीनी संस्कृति मंत्रालय के उप मंत्री श्री च्यो ह फींग ने कहा कि छ्यांग जाति की अपनी भाषा नहीं है, इसलिए, संस्कृति का प्रसार मौखिक रुप से हुआ है। इसी वजह से सरकार गैरभोतिक संस्कृति की विरासत के संरक्षण को भी बड़ा महत्व देती है।श्री च्यो के अनुसार,

छ्यांग जाति की संस्कृति की विरासत का लोगों द्वारा प्रसार किया जा रहा है। इसलिए, लोगों का संरक्षण प्रमुख बात है। स्थानीय सरकार ने छ्यांग जाति की संस्कृति की प्रमुख सामग्री का संरक्षण किया है।हम डीजिटल संग्रहालय के विषयों का विस्तार करेंगे, डीजिटल आंकड़ों के भंडार की स्थापना करेंगे और आधुनिक विज्ञान व तकनीक से छ्यांग जाति की संस्कृति का संरक्षण करेंगे।

चीन में छ्यांग जाति की संस्कृति का संरक्षण चीन सरकार द्वारा अल्पसंख्यक जातियों का संरक्षण की जाने की एक झलक मात्र है। वर्ष 1949 में, चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद से ही चीन इस कार्य में संलग्न रहा है।चीन ने इस से संबंधित अनेक कानून, नियम व नीतियां बनायी हैं। मिसाल के लिए, जातीय क्षेत्र का स्वशासन कानून, सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण कानून और संविधान में अल्पसंख्यक जातियों की संस्कृति का संरक्षण, प्रसार व विकास करने की धाराएं लिखित हैं।

वर्ष 1949 से संबंधित विभागों ने विशेषज्ञों को आज्ञा देकर अनेक अल्पसंख्यक जातियों की परम्परागत सांस्कृतिक सामग्री इकट्ठा की है। चीनी सामाजिक व वैज्ञानिक अकादमी की जाति शास्त्र व मानव शास्त्र अनुसंधान संस्था के अनुसंधानकर्ता श्री ह शींग ल्यांग ने परिचय देते हुए बताया,

विभिन्न जातियों के सामाजिक रीति-रिवाज, त्योहार व उत्सव, संगीत व नृत्य, नाटक, परम्परागत उत्पादन की तकनीक, कढ़ाई, लोकगीत आदि सभी संरक्षण के विषय हैं।

इस के साथ-साथ, जाति शास्त्र, इतिहासकार एवं फिल्म निर्माताओं ने जातीय क्षेत्रों में जाकर अनेक फिल्में भी खींची, जिन में अल्पसंख्यक जातियों की परम्परागत सांस्कृतिक सामग्री की रिकॉर्डिंग शामिल है। संबंधित विभागों ने संग्रहालयों की स्थापना करके अल्पसंख्यक जातियों की संस्कृति के संरक्षण,प्रसार व अनुसंधान को भी आगे बढ़ाया है।वर्ष 2005 से चीन ने राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची बनाई । अभी तक कम से कम 55 अल्पसंख्यक जातियों की संस्कृति को इस नामसूची में शामिल किया गया है।

इस के अलावा, चीन ने अल्पसंख्यक जातियों की कला अकादमियां खोल कर अल्पसंख्यक जातीय कला का उच्च शिक्षालयों में दी जा रही शिक्षा के जरिये प्रसार करने का कार्य किया है। चीन ने राज्य परिषद तथा विभिन्न जातीय क्षेत्रों में अल्पसंख्यक जातियों की संस्कृति संस्थाएं भी खोलीं हैं, ताकि अल्पसंख्यक जाति की पुस्तकों तथा ऑडियो–वीडियो उत्पादों को और बेहतर रुप से बरकरार रखा जा सके। चीन की विभिन्न स्तरीय सरकारों ने विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन कर के अल्पसंख्यक जातियों की कला की ओर आम नागरिकों का ध्यान खींचने की कोशिश की है।

श्री ह शींग ल्यांग ने कहा कि नये चीन की स्थापना के पिछले 60 वर्षों में खासकर चीन में रुपांतरण व खुलेपन की नीति लागू होने के पिछले 30 वर्षों में चीन की अल्पसंख्यक जातियों की संस्कृति के संरक्षण की उपलब्धि बहुत स्पष्ट है।

नये चीन की स्थापना के बाद हम ने संरक्षण को महत्व देकर राहत कार्य किया। अब अल्पसंख्यक जातियों की परम्परागत संस्कृति का संरक्षण कार्य पहले से और परिपूर्ण हो गया है।

चीन में अल्पसंख्यक जातियों के सांस्कृतिक संरक्षण में भारी उपलब्धियां मिली हैं, लेकिन, इसे बड़ी चुनौती का सामना भी करना पड़ा है। यातायात व सूचना के विकास के साथ-साथ, विदेशों से सभ्यता, इंटरनेट और विभिन्न पॉप गीतों ने प्रत्यक्ष रुप से जातीय परम्परागत संस्कृति को धक्का लगाया है। कुछ सांस्कृतिक धरोहरें धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं। कुछ युवा परम्परागत कला नहीं सीखना चाहते हैं। ह शींग ल्यांग ने बताया कि इन समस्याओं का निपटारा करने के लिए हमें संरक्षण, इस्तेमाल व प्रसार को जोड़ना चाहिए। इस में मनुष्य सब से कुंजीभूत तत्व है। श्री ह के अनुसार,

हमें संस्कृति की विविधता का सम्मान व संरक्षण करना चाहिए। परम्परागत संस्कृति आधुनिक संस्कृति के निर्माण का आधार है। परम्परागत संस्कृति के संरक्षण , प्रसार, सांस्कृतिक सृजन व निर्माण के बिना आधुनिक जातीय संस्कृति नहीं टिक सकेगी। संरक्षण व सृजन को जोड़ा जाना चाहिए।हमें निरंतर परम्परागत संस्कृति में नये तत्व डालने चाहिएं। हर संस्कृति एक जैसी होती है। यदि समाज में उस की क्षमता खो जाती है, तो वह आधुनिक समाज से मेल नहीं खाएगी और इस का कठिनाई से प्रसार किया जा सकेगा।(श्याओयांग)

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