चायना रेडियो इन्टरनेशनल द्वारा आयोजित विविध मीडियाओं व पत्रकारों के चीन की झलक -- चीन की सीमांत यात्रा का चीलिन प्रांत का साक्षात्कार दल, इस प्रांत के कोरियाई जाति बहुल क्षेत्र येन प्येन कोरियाई जाति प्रिफेक्चर पहुंचा। इस बार के साक्षात्कार दल में भारत के पत्रकार एन्टोनी क्लेटस एग्जेविर भी येनप्येन की यात्रा में हमारे साथ थे, येनप्येन कोरियाई जाति प्रिफेक्चर ने उनपर क्या छवि छोड़ी है, उन्ही की जुबान से सुनते हैं इस यात्रा का विस्तृत हाल।
लोकप्रिय कोरियाई गीत आलीलांग की धुन , जहां तहां फैली हरियाली, लाल व नीली छतों से सुसज्जित कोरियाई जाति के मकान, कोरियाई व हान भाषा से लिखित सड़क बोर्ड, यही थी येन प्येन पहुंचते हमारी नजरों में आयीव वहां की पहली झलक। भारतीय पत्रकार एग्जेविर को तो यहां के अदभुत नजारों ने मंत्रमुग्ध कर दिया, उन्होने खुशी भरे स्वर में कहा कि उन्हे यहां का जीवन बहुत ही अच्छा लगा। उन्होने हमें बताया
येनप्येन प्रिफेक्चर प्राकृति के साथ इतनी सोन्दर्यता से निखारा गया है कि यहां पर आते ही मुझे उसकी सुन्दरता ने बहुत लुभाया है, मुझे बहुत ही आराम व खुशी महसूस हुई।
येनप्येन कोरियाई जाति प्रिफेक्चर चीन, रूस व जनवादी कोरिया की सीमाओं से सटा हुआ है, वहां पर एक कहावत है कि मुर्गे की बांग तीन देशों में सुनाई देती है, कुत्ते की भौंक तीन सीमाओं में गूंजती हैं। उत्तर पूर्व चीन का चमकता सीमांत हीरा होने के नाते, येनप्येन का अपना एक अनोखा स्थान है, वे रूस , जनवादी कोरिया व कोरिया गणराज्य तथा जापान आदि जगहों से लोगों को यहां पर व्यापार करने व पर्यटन करने के लिए आकर्षित करती है। श्री एग्जेविर ने कहा
मुझे मालूम हुआ कि यहां का आर्थिक विकास बहुत ही बढ़िया है। हुएछुन सीमा चौकी रूस की सीमा से जुड़ी है, जबकि थूमनखओ सीमा चौकी चीन और जनवादी कोरिया के बीच के व्यापार को बहुत अच्छी तरह से जोड़ती है। येनची व हुएछुन आदि जगहों में आप कई किस्म की भाषा सुन सकते हैं, जैसे कि कोरियाई, चीनी व रूसी भाषाएं, बहुत से रूसी व मंगोलियाई लोग भी यहां पर्यटन करने आते रहते हैं।
लुंग हे शहर में हमने आशा कल्याण आश्रम का दौरा किया, हमारी मुलाकात इस आश्रम के प्रबंधक ली वन चे से हुई। वह कोरियाई जाति के हैं, 1974 से अब तक वह पिछले तीस सालों से इस जगह में रहते आए हैं, और उन्होने 130 से अधिक अनाथ व गरीब बच्चों को पनाह दी है, इन में हान , कोरियाई व मान आदि अन्य जातीयों के अनाथ बच्चे हैं।
साक्षात्कार के बाद, श्री एग्जेविर ने इन बच्चों के साथ इस आश्रम के आंगन में एक तस्वीर खींची। उन्होने हमें बताया कि उनके पास एक बेटा एक बेटी हैं, इन प्यारे बच्चों को देखते उन्हे बहुत ही अच्छा लगा, आश्रम के प्रबंधक ली वन चे की कहानियों ने उनपर गहरी छाप छोड़ी है। उन्होने कहा
श्री ली वन चे ने अपनी शक्ति से अनाथ आश्रम के लिए बहुत से कल्याण कार्य किए हैं , बच्चों की बड़ी अच्छी देखभाल की है, उन्हे रहने के लिए बड़ी अच्छी स्थिति प्रदान की है और उन्हे पढ़ाने के लिए स्कूल भी भेजा है। यहां एकदम परिवार जैसा लगता है।
साक्षात्कार का समय हालांकि कुछ कम ही था, लेकिन इस दौरे में बहुत से दिल को छू लेने वाली कहानियों ने लोगों पर गहरी छाप छोड़ी है, येनप्येन में जितने लोगों से उनकी मुलाकात हुई हैं, उन सब की दयालुता व भावुकत व सादी भावनाओं ने सभी पत्रकारों पर बहुत ही अच्छी छवि छोड़ी है। श्री एग्जेविर ने भारत की परम्परा के अनुसार, हाथ जोड़े सभी को सिर झुका कर प्रणाम किया. उन्होने कहा
यहां के सभी लोग बहुत ही मेहमानवाज हैं, उन्होने हमें बहुत सी कहानियां सुनायी हैं, इन कहानियों ने मुझे बहुत ही प्रेरित किया है।
एन्टोनी क्लीटस एग्जेवियर चायना रेडियो इन्टरनेशनल के तमिल ब्राडकास्टिंग के तमिल भाषा के सलाहकार व पत्रकार हैं। सीमांत इलाके के एक छोटे शहर हुएछुन ने उनको बहुत ही उत्तेजित किया। इस छोटे शहर के 10 फुट चौड़ी सड़के के उस किनारे की ओर रूस की सीमा दिखाई देती है, जनवादी कोरिया की सीमा इलाका भी बड़ी साफ तौर से नजर आता है। जब हम एक सीमा चौकी पर पहुंचे तो देखा कि यहा चौकी असल में जनवादी कोरिया और रूस को जोड़ने वाला संगम स्थल है, यह भारतीय पत्रकार के लिए एक अजनबी माहौल है।
चीलिन प्रांत के येनप्येन कोरियाई प्रिफेक्चर की कोरियाई जाति के लोगों ने हमारा हार्दिक स्वागत किया। वहां हमने सच्ची कोरियाई की मेहमानवाजी का अहसास किया, न केवल वहां की कोरियाई जाति की अदभुत जातीय शैली को देखा, बल्कि उनके पकान व खाद्यपदार्थों का भी जी भरकर आन्नद उठाया। चीलिन प्रांत के अधिकारियों ने हमें वहां के अर्थतंत्र ,सामाजिक व सांस्कृतिक विकास से अवगत कराया और हमारे पूछे सवालों का जवाब भी दिया।
चीलिन की मीडियाओं ने भी सी आर आई के भव्य साक्षात्कार दल का हार्दिक स्वागत किया और मौके पर हमने एक दूसरे के साथ समान रूचि वाले सवालों का आदान प्रदान किया। चीलिन उत्तर पूर्वी चीन का एक महत्वपूर्ण प्रांत है। इस प्रांत की चौड़ी सड़कें और सड़कों किनारे खड़े बृहद वृक्षों की झुरमुट व कतारें, हमारे आगे से गुजरती पर्वतमालाएं , नदियों की कलकल झरना तथा हरी भरी चमकती हरियाली इस प्रांत के अर्थतंत्र विकास, पर्यवारण संरक्षण व फलते फूलते जन जीवन का बेहतरीन आदर्श मिसाल पेश कर रही हैं। चीलिन प्रांत व येनप्येन कोरियाई जाति प्रिफेक्चर की यात्रा हमारी एक अमिट व उम्रभर की याद बनी रहेगी।