वर्ष 2005 में सिनच्यांग वेवुर जाति की मूखामू कला औपचारिक रुप से युनेस्को की गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल की गयी है। मूखामू कला में वेवुर जाति की संस्कृति, संगीत, गीत, नृत्य, जीवन के रीति रिवाज़ तथा भाषा आदि विषय शामिल हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि मूखामू वेवुर जाति के जीवन का संपूर्ण है, जो संगीत व नृत्य-गान के तरीकों से प्रतिबिंबित वेवुर जाति का शब्दकोश है, जो चीनी संस्कृति की मूल्यवान विरासत है।
चीन के सब से पश्चिम में काशी क्षेत्र की साछ काऊंटी 12 मूखामू की काऊंटी मानी जाती है। कुछ समय पहले, हमारे संवाददाता साछ काऊंटी के सांस्कृतिक चौक में आये। हम ने देखा कि इस चौक में अनेक दर्शक खड़े हुए मूखामू का अभिनय देख रहे हैं।
मूखामू संगीत के साथ दर्शक भी नाचते हैं। यहां संगीत,गाना व नृत्य लोगों के आदान प्रदान की सब से अच्छी भाषा है। सिनच्यांङ में यह कहावत प्रचलित है कि जब लोग बोलना शुरु करते हैं, तो गाते हैं, जब लोग चलना शुरु करते हैं, तो नाचते हैं।2 साल की उम्र के बच्चे से 80 साल की उम्र वाले वृद्ध , सब लोग गा सकते हैं और नाच सकते हैं।
63 वर्षीय रोज रारेपु एवं 71 वर्षीय तुर्सन नयाउछिरी हर हफ्ते सांस्कृतिक चौक पर अभिनय करते हैं। समय मिला, तो वे मूखामू का अध्ययन भी करते हैं और उन्होंने मूखामू कला का कोर्स भी किया है।
पहले मूखामू के कलाकार बहुत गरीब थे, अब सरकार ने मूखामू कला का संरक्षण किया है और मुखामू कलाकारों को भारी मदद दी है। हर महीने, मूखामू के कलाकारों को सरकार से भत्ता मिलता है। इतना ही नहीं, मूखामू के कलाकार अकसर विदेशों में भी अभिनय करते हैं।
श्री रोज रारेपु ने कहा,
विदेशी दर्शकों ने हमारी मूखामू कला के प्रति बड़ी रुचि दिखायी है। मेरा पक्का विश्वास है कि हम अपनी संस्कृति का विदेशों में परिचय दे सकते हैं।
इन दो वृद्धों के लिए सब से अविस्मरणीय बात यह है कि वर्ष 2007 में जब उन्होंने जापान में मूखामू का अभिनय किया था, उन की मुलाकात चीनी प्रधान मंत्री वन चापाओ से हुई।
श्री रोज ने कहा कि चीन सरकार गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को बड़ा महत्व देती है। नये चीन की स्थापना के समय मूखामू कला विलुप्त होने वाली थी। वर्ष 1950 से चीन सरकार ने मूखामू कला को राहत की प्रमुख किस्मों की कला सूची में डालने का निर्णय लिया और मूखामू कला के संग्रहण, संपादन व संरक्षण की भारी कोशिश की।मूखामू कला के ज्ञान का प्रसार प्रचार करने के लिए चीन ने 12 मूखामू के सी डी, वी सी डी एवं डी वी डी आदि अनेक किस्मों के ऑडियो वीडियो उत्पादों का प्रकाशन किया।
चीन के अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों में से एक होने के नाते, सिनच्यांङ में प्रचुर भौतिक सांस्कृतिक विरासतें हैं। मूखामू जैसी अनेक कलाओं का अच्छी तरह संरक्षण किया गया है। इधर के दो वर्षों में चीन सरकार जातीय परम्परागत संस्कृति के संरक्षण में हर वर्ष लगभग 2 करोड़ से ज्यादा चीनी य्वान की पूंजी देती है। सिनच्यांङ में कुल 72 गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की संस्थाओं की स्थापना की गयी है। मूखामू जैसी जातीय लोक कलाओं का प्रसार किया जा रहा है।