2008 पेइचिंग ओलम्पिक को बीते अब एक साल हो चुके हैं, हालांकि खेल मैदान में तीव्र तकनीकी स्पर्धा की आवाजें हमसे दूर चली गयी हैं, लेकिन ओलम्पिक खेल से पेइचिंग को लाया परिवर्तन अब तक रूका नहीं है, पेइचिंग में रह रहे बहुत से विदेशी लोगों ने अपनी आंखो से पेइचिंग के परिवर्तन को सीधा महसूस किया है। आज हम आप को कुछ विदेशी मित्रों की जुबान से नए पेइचिंग के परिवर्तन की जानकारी देगें।
अहमद अबुजेल्द मिश्र से आए हैं, उन्हे पेइचिंग में रहते पांच साल हो चुके हैं। इस से पहले वह दुनिया के कई शहरों की यात्रा कर चुके हैं। उन्होने कहा(आवाज1) पेइचिंग दुनिया के अन्य शहरों से कहीं ज्यादा अच्छा है। पेइचिंग बहुत ही सुन्दर है, शहर बहुत साफ सुथरा है, हरियाली का क्षेत्रफल विशाल है, शहर व्यवस्था बहुत ही सुव्यवस्थित है, बहुत से काम नियमों के मुताबिक बड़ी अच्छी तरह चलाए जाते हैं।
पिछले साल ओलम्पिक में व्यस्त होने की वजह से उन्हे ओलम्पिक मैच देखने का मौका नहीं मिला। ओलम्पिक के बाद वह कई बार ओलम्पिक पार्क व बर्ड नेस्ट यानी राष्ट्रीय ओलम्पिक स्टेडियम व क्यूब वाटर यानी ओलम्पिक तैराकी आदि स्टेडियम गए, वहां उन्होने बहुत सी तस्वीरें भी खींची। उन्होने कहा यह उनकी हमेशा की बहुत सुन्दर याद रहेगी, स्वदेश लौटने के बाद वह अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से इस अनुभव व याद का आन्नद उठाएगें। ओलम्पिक का पेइचिंग पर होने वाले परिवर्तन पर बोलते हुए अहमद अबुजेल्द ने बेरूके हमें अपने दिल की बात बतायी(आवाज 2) पहले मैंने पेइचिंग की पुरानी बसों में यात्रा की थीं, भूमिगत रेलवे भी पुराने थे, सड़क परिवहन इतना सुविधाजनक नहीं था, ओलम्पिक के बाद विश्वास नहीं होता, पूरे पेइचिंग में आधुनिक बसें चलने लगी, यहां तक कि सभी बसों में एल सी डी टेलीवीजन देखने को मिलते हैं। सड़के चौड़ी ही नहीं उसकी सुन्दरता भी बढ़ गयी है, भूमिगत रेलवे की लाइने पहले से कहीं ज्यादा खोली गयी हैं।
उन्होने हंसते हुए हमें बताया कि उन्हे मालूम है कि सरकार ने आधारभूत संस्थापनों को परिपूर्ण करने में बहुत सी धनराशि लगायी हैं, इन में पूरे देश की जनता के प्रयास भी शामिल हैं, केवल धनराशि से पेइचिंग इतना भारी परिवर्तन करना नामुमकिन है।
इन जीते जागते परिवर्तनों के अलावा, अहमद अबुजेल्द की नजरों में पेइचिंग के जीवन व व्यवहार तौर तरीकों में भी धीरे धीरे परिवर्तन हो रहे हैं। अहमद ने कहा कि चीनी लोग बहुत ही मेहमानवाज हैं पर दिल की बात खुलकर नहीं कहते हैं। मैं जब पहली बार पेइचिंग आया था तो लगता था सड़कों पर कोई उन्हे नहीं पूछता न ही कोई उनकी ओर मुस्कराता था। उन्हे लगा कि चीनी लोग बहुत गंभीर रूख के होगें। पेइचिंग ओलम्पिक खेल के दौरान बहुत से टेलीवीजन कार्यक्रमों में ओलम्पिक से संबंधित जानकारी के अलावा, मेहमानों के साथ मुस्करहाट से मिलने, विदेशी मेहमानों को मेहमानवाजी का अहसास दिलाने की अनेक शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किए गए । अहमद अबुजेल्द को इस परिवर्तन ने नया अन्दाज दिया, उन्होने हमें बताया(आवाज 3) पेइचिंग के मजदूर व बाहर काम करने वाले श्रमिक इस से पहले गर्मियों में बिना बनीयान पहले खुली छाती काम करते दिखाई देते थे या रास्तों पर चलते नजर आते थे। ओलम्पिक से पहले पेइचिंग टेलीवीजन में इन लोगों से अपने तौर तरीके को बदलने की सलाह दी गयी और उन्हे बताया कि उनके इस तरह के व्यवहार विशेषकर विदेशी मेहमानों के आंखो में अच्छे नहीं लगते हैं। तब से पेइचिंग की सड़कों पर इस तरह बिना बनीयान पहने छाती खोले लोग बहुत कम नजर आने लगे हैं। बहुत सी बुरी आदतों में भी भारी सुधार आया है।
उन्होने यह भी कहा कि अब पेइचिंग की सड़कों पर थूकने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो गयी है, सड़कों पर नन्हे कुत्ते को सैर कराने के समय इन को पालने वाले उनकी टटियों को खुद ब खुद साफ कर लेते हैं।
फ्रांस से आए एन्टोनीयो पिछले साल पेइचिंग में काम करने आए थे, वह फिलहाल एक मीडिया में कार्यरत है, उनके विचार में ओलम्पिक ने पेइचिंग को जो सबसे बड़ी विरासत छोड़ी है वह है वायु की गुणवत्ता में भारी परिवर्तन। उन्होने कहा(आवाज4) ओलम्पिक के दौरान पेइचिंग का मौसम बहुत ही अच्छा रहा, क्योंकि रोजाना आधे से ज्यादा वाहनों पर रोक लगा दी गयी थी। आज इस रोक को खोल दिया गया है और वाहनों की संख्या कहीं ज्यादा बढ़ गयी है तो भी ओलम्पिक से पहले की तुलना में वायु गुणवत्ता बहुत अच्छी है, मुझे लगता है कि ओलम्पिक ने पेइचिंग को यह सबसे बड़ी विरासत छोड़ी है।
पिछले साल ओलम्पिक के समापन के बाद , पेइचिंग ने वाहनों की संख्या पर परिसीमन जारी रखी , अनेक कार्यवाहियों से रोजाना सड़कों पर कम से कम 20 प्रतिशत वाहनों को सड़कों पर चलने की रोक लगा रखी है। क्रोसीया से आयी अल्बर्टिना को पेइचिंग में काम करते हुए चार साल हो गए हैं, उनके ख्याल में चन्द संख्या के वाहनों पर पाबन्दी लगाने से प्राप्त बेहतरीन मौसम पाना वाकई कारगर व मुनाफेदार है। उन्होने कहा(आवाज5) हमारे लिए यह एक अच्छी बात है, मैं इस कार्यवाही का समर्थन करती हूं। पेइचिंग जैसे इतने बड़े शहर समेत चीन के बहुत से शहरों में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कार्यवाही चलायी जा रही है। आज हमने देखा है कि पेइचिंग की 80 प्रतिशत स्थिति में आकाश नीला व सुहावना रहता है, वायु व मौसम दोनों बराबर साफ रहती हैं । पेइचिंग का मौसम दुनिया के किसी जगह से कुछ कम नहीं है, यहां तक कि उनसे कहीं ज्यादा अच्छा है।
ओलम्पिक के बाद के पेइचिंग का जिक्र करते हुए अल्बर्टीना की सबसे गहरी छाप पेइचिंग के खेल संस्कृति में भारी परिवर्तन आना है, पेइचिंग के बूढे लोग हो या जवान या बालक ,उनके खेल संस्कृति में भाग लेने की उमंगे कहीं ज्यादा बढ़ गयी हैं। उन्होने हमें इस पर अपना ख्याल व्यक्त करते हुए बताया(आवाज 6) खेल संस्कृति में परिवर्तन ओलम्पिक के बाद का एक बड़ा परिवर्तन है। हालांकि चीन में हजारों साल की संस्कृति में खेल व्यायाम एक संस्कृति रही है, लेकिन उस में परिवर्तन लाना जरूरी है, ओलम्पिक ने युवाओं व बूढ़े लोगों के नए खेलों के प्रति उनका उत्साह बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। हम रोजाना जगह जगह में लोगों को घर के बाहर पार्कों पर किस्म किस्म के व्यायाम में भाग लेते देख सकते हैं, और खेल व्यायाम संस्थापना भी जगह जगह उपलब्द्ध हैं।
अहमद ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा (आवाज7) मेरी इमारत के आगे एक खुला पार्क है। मैने देखा कि रोजाना सुबह या शाम को बहुत से लोग यहां व्यायाम करने आते हैं। आजकल पार्कों व अन्य उद्यान स्थलों में लोगों के कसरत करने की संख्या बढ़ती जा रही है, कहने में यह दोगुने से भी अधिक है।
अल्बर्टीना ने कहा कि ओलम्पिक स्टेडियमों का इस्तेमाल जारी रखना खेल संस्कृति का एक भाग है। कुछ समय पहले राष्ट्रीय तैरानी स्टेडियम भी आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। आम लोग 50 चीनी य्वान से इस उच्च कोटि वाले तैराती स्टेडियम में तैराकी का आन्नद उठा सकते हैं। इस पर अहमद ने भी सहमति प्रकट करते हुए कहा कि वाकई ओलम्पिक खेल स्टेडियमों ने आम लोगों को खुशी का अवसर प्रदान किये हैं । उन्होने कहा(आवाज8) गेट टिकट जरूरी है, लेकिन इतना ऊंचा न हो कि आम लोग इस का खर्चा उठा न सकें। पेइचिंग वासियों को ही नहीं सभी चीनी लोगों को इन ओलम्पिक स्टेडियमों से खुशी मिलने का अवसर दिया जाना चाहिए।
8 अगस्त को राष्ट्रीय ओलम्पिक स्टेडियम यानी बर्ड नेस्ट में इटली सुपर कप फुटबाल मैच व अन्य किस्म की गतिविधियां चलायी जाएगीं, इस से इस भव्य व महान राष्ट्रीय़ स्टेडियम का भरपूर इस्तेमाल हो सकेगा। इस पर अल्बर्टीना ने कहा कि इन गतिविधियों से प्राप्त धनराशियों को पोपकारी कार्यों में लगाना चाहिए। उन्होने कहा(आवाज9) यह सचमुच एक अच्छा तरीका है, बात तो यह है कि इस से मिली आमदनी को कहां इस्तेमाल किया जाए, मेरी आशा है कि इन्हे पोपकारी कार्यों में प्रयोग किया जाए तो अच्छा होगा। क्योंकि ओलम्पिक का लक्ष्य केवल पैसा कमाना ही नहीं है। यदि इन धनराशियों को कठिन जीवन वाले व गरीब समूह के लिए खर्च की जाए तो कहीं ज्यादा बेहतर होगा।