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रूसी मीडिल स्कूलों के किशोर किशोरियों की पेइचिंग यात्रा
2009-08-10 16:29:25

 कुछ समय पहले की एक रात को पेइचिंग में शरीर को बीधंती ठंडी हवा चल रही थी, तो भी पेइचिंग विज्ञान तकनालाजीकल यूनिवर्सिटी की सभा हाल हर्षोल्लास के स्वरों से गूंज रहा था, सातंवा रूसी प्राइमरी व मीडिल स्कूलों के छात्रों का प्रतिनिधि मंडल ,चीन में सर्दी की छुटटी बिताने यहां आए हैं और इस वक्त वे सभा हाल में शरद कैम्प के उदघाटन समारोह में भाग ले रहे है। रूस के मास्को व सेनपीटर्सबर्ग शहरों से आए छह स्कूलों के 59 छात्रों व अध्यापकों ने इस मौके पर चीनी मित्रों को स्मृति उपहार व रौचकभरे संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

चीनी और रूसी किशोरों के बीच शरद कैम्प की स्थापना को सात साल हो चुके हैं। सात साल पहले चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ और पूर्व रूसी राष्ट्रपति पूतिन ने दोनों देशों के रणनीतिक साझेदार संबंध ढांचेगत के अन्तर्गत वर्ष 2001 से दोनों देशों के छात्रों के बीच यात्रा करने पर एक समझौता संपन्न किया, इस समझौते के अनुसार, रूसी किशोर किशोरियां सर्दी मौसम की छुटटियों में चीन की यात्रा करेगें और चीनी किशोर किशोरियां गर्मी मौसम की छुटटियों में रूस की यात्रा करेगें।

सात साल में रूसी किशोर किशोरियों ने अलग अलग तौर पर पेइचिंग, शांगहाए, हारपीन और सीसान पानना आदि 20 से अधिक शहरों की यात्रा की। उन्होने इस यात्रा के दौरान चीन की विभिन्न जगहों का आन्नद उठाया और पूर्वी प्राचीन देश चीन की अनोखी परम्परागत संस्कृति को महसूस किया, चीन की संस्कृति पर मंत्रमुग्ध हुए रूसी छात्रों ने चीन के छात्रों के साथ गहरी मैत्री भावना का संबंध स्थापित कर लिया है।

इस साल चीन और रूस के बीच राजनयिक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ व चीन में रूसी भाषा का वर्ष है, इस वर्षगांठ के दौरान शुरू इस पहली शरद कैम्प गतिविधियों का कहीं ज्यादा महत्व है। रूसी प्रतिनिधि मंडल में सबसे छोटी उम्र के छात्र की आयु 12 साल की है और सबसे बड़े की उम्र भी केवल 19 साल की है। हालांकि यह उनकी पहली मुलाकात है, लेकिन दोनों युवाओं के बीच मानो कोई अन्तर नहीं दिखाई देता है, दोनों युवा पीढी़ की मिलन घड़ी में वे साथ साथ खेलते गाते है और अपने मनपसंद की चीजों पर गहरी रूचि प्रकट करते हैं।

16 साल की आयु की लड़की नाताशा मास्को के पहली मीडिल स्कूल से आयी है। उन्होने हमारे संवाददाता को बताया कि उनके सहपाठियों को चीन के प्रति गहरी रूचि है। उसके स्कूल में चीनी भाषा , चीन संस्कृति व कला की क्लासें खोली गयी हैं, इस ने उसे चीन में आने के लिए बहुत उत्साहित किया है। उन्होने कहा चीन में आने के पहले दिन , मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। चीन में आने से पहले चीन का नाम लेते ही मेरे दिमाग में दर्शनशास्त्र जैसी चीजें सामने आती थीं, जब मैंने अपनी आंखो से चीन को देखा तो मेरा पुराना विचार पूरी तरह बदल गया, मैं लम्बी दीवार और स्वर्ण मंदिर आदि प्राचीन अवशेषों को देखने की प्रतिक्षा कर रही हूं।

इतनी अच्छी रौनक को देखते हुए रूसी प्रतिनिधि मंडल के नेता , मास्को शहर के दूमा सांसद बोरगियावा का खुशी का ठिकाना न रहा। चीन के पुराने दोस्त होने के नाते उसने चार बार चीन की यात्रा की हैं और चीन में आयोजित इस गतिविधि की सफलता को सीधे महसूस किया है। उन्होने कहा शरद कैम्प गतिविधि बहुत ही बढ़िया है। इस से पहले आए हमारे बच्चों ने चीन की संस्कृति, चीनी पकान आदि विषयों पर बहुमत ज्ञान हासिल किये हैं। मेरी जानकारी के अनुसार, तीन रूसी छात्रों ने इस गतिविधि में भाग लेने के बाद चीन की यूनिवर्सिटी की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद, चीन में पढ़ने का निश्चय लिया है। स्वदेश लौटने के बाद हमारे विद्यार्थियों ने चीन पर भारी ध्यान देना शुरू कर दिया है और अधिकाधिक चीनी पुस्तके पढ़ने में पहले से कहीं अधिक रूची दिखाई है।

शरद कैम्प के पहले दिन में रूसी बच्चों ने उत्साहपूर्ण लम्बी दीवार का दौरा किया। इस से कहीं ज्यादा खुशी उन्हे तब हुई जब उन्होने पेइचिंग के थुंग चओ डिस्ट्रिक्ट के लूहे मीडिल स्कूल का दौरा किया। वहां चीनी छात्रों ने उनके लिए बड़ी लगन से भरपूर चीनी पकवान तैयार किये थे और उन्होने जी भरकर पहली बार चीनी पकान का भरपूर आन्नद उठाया। इस के बाद रूसी कैम्प के सदस्यों को सात दलों में बांट दिया गया, उन्होने अलग अलग तौर से टेबल टेनिस, मार्शल आर्ट , पेपर कटिंग, पंखे में चीनी बर्श राइटिंग, जातीय नाच संगीत, चीनी चित्र आदि गतिविधियों में भाग लिया और इन गतिविधियों का अनोखा आन्नद उठाया।

चीनी बर्श राइटिंग क्लास में चीनी शिक्षक ने बड़ी माहिरता से एक पंखे पर चीनी शब्द लिखे, मास्को के नम्बर 1531 मीडिल स्कूल की छात्रा आन्ना ने अपनी उंगली दांतो में दबाते हुए कहा यह वाकई एक अनोखी व सुन्दर कला है, मैं जरूर अपने हांथो से इस को महसूस करूंगी। पहली बार चीनी बर्श को हाथ में लेते समय मेरा पूरा हाथ सख्त सा रहा, लेकिन एक दो बार अभ्यास करने के बाद, कुछ छात्रों ने अपने मन के चीनी अक्षरों को चीनी बर्श से लिख ही डाला। आठवीं क्लास की चीनी छात्रा ल्यो वी इंग ने बड़ी खुशी के साथ कहा इस तरह के मौके पर चीनी संस्कृति का प्रचार करने व चीन के बारे में जानकारी हासिल करने पर मुझे और मेरे सहपाठियों को बड़ी खुशी हुई है। उधर एक तरफ खड़े मास्कों के नम्बर एक मीडिल स्कूल के छात्र एलेग्जेन्डर शासा खुशी से फूली न समायी। उन्होने कहा मैं अपनी आंखो और हाथों से चीनी चित्र व कुंगफू कला को महसूस करना चाहता हूं, आखिर वास्तविक चीन, विचारों में समाया चीन से कहीं अधिक दिलचस्प है।

लूहे मीडिल स्कूल का कैम्पस बहुत ही सुन्दर है, रूसी छात्रों ने कहा कि यहां उन्हे अपने घर जैसा महसूस होता है। उनके दुभाषिया चीनी छात्र बड़ी अच्छी रूसी भाषा बोल सकती है। हमारे संवाददाता ने लूहे मीडिल स्कूल के उप प्रिन्सीपल छी चिंग संग के साथ साक्षात्कार लिया, उन्होने कहा कि चीन और रूस की मैत्रीपूर्ण माहौल में पेइचिंग के कुछ मीडिल स्कूलों में रूसी भाषा खोली जा चुकी हैं। उन्होने हमें बताया पेइचिंग के मीडिल स्कूलों में हमारे स्कूल ने बहुत पहले से ही रूसी भाषा क्लास खोली हैं। रूसी भाषा हमारे स्कूल के सातवीं, आठवीं, दसवीं व ग्यारहवीं क्लासों में खोली गयी है, इन में कुल तीन सौ से चार सौ छात्र हैं। रूसी भाषा कक्षा खोलने के लिए हमने विशेषतौर पर उच्च शिक्षालयों से रूसी भाषा के व्यक्तियों को आमंत्रित किया है।

इस के अलावा, लूहे मीडिल स्कूल ने चीन स्थित रूसी दूतावास के मीडिल स्कूल के साथ मैत्री स्कूल संबंध संपन्न भी किया है, समय समय पर लूहे स्कूल के छात्र व शिक्षक दूतावास की संस्कृति गतिविधियों में भाग लेते हैं और उन्होने अनेक बार रूसी मीडिल स्कूल प्रतिनिधि मंडल का सत्कार भी किया है।

प्रिन्सीपल छी की जानकारी सुनने के बाद, सेनपीटर्सबर्ग के नम्बर 652 मीडिल स्कूल की प्रिन्सीपल खेशीनीया ने चीनी भाषा में कहा कि रूस में भी अधिकाधिक प्राइमरी व मीडिल स्कूलों में चीनी भाषा सीखने की उमंगे तेज होती जा रही है, उनका स्कूल भी इन में एक है। उन्होने कहा हमारे स्कूल में कोई 600 छात्र चीनी भाषा सीख रहे हैं, उन्हे चीनी भाषा बहुत पसंद है। उन्होने सेनपीटर्सबर्ग में चीनी चित्र कला व चीनी लिपी पर रूचि दिखाई है और चीनी संस्कृति पर गहरी दिलचस्पी भी व्यक्त की है, कुछ छात्रों ने तो चीन की मशहूर उपन्यास भी पढ़े हैं।

जल्द ही रूसी प्रतिनिधि मंडल की चीन की शरद कैम्प गतिविधि समाप्त होने जा रही है, वे अगले पढ़ाव में हाएनान प्रांत का दौरा करेगें। विदा लेने से पहले, इस गतिविधि के समर्थक, चीनी अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा आदान प्रदान संघ की उप महा सचिव सुश्री वू चाओ फंग ने इस शरद कैम्प का मूल्यांकन करते हुए कहा सात साल के दौरान चीन और रूस के युवाओं के बीच का आदान प्रदान एक दूसरे के घरों में आने जाने की एक गतिविधि सी बन गयी है। हर साल की सर्दी में चीनी छात्र रूसी छात्रों की प्रतिक्षा करते हैं। दोनों जनता के बीच की मित्रता असल में युवाओं के बीच के आवाजाही से शुरू होनी चाहिए। छोटी उम्र से चीनी और रूसी युवाओं के बीच इस तरह का आदान प्रदान , चीनी छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि रूसी छात्रों के लिए भी बहुत मूल्यावान है और इस में दोनों युवाओं की भूमिका उल्लेखनीय है।

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