चीन का शानतुंग प्रांत भौगोलिक दृष्टि से कोरिया गणराज्य के नज़दीक है । इधर के वर्षों में शानतुंग प्रांत में पूंजी लगाने आने वाले दक्षिण कोरियाई लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है । वे चीन में मेहनत से काम करते हैं और सुखचैन का जीवन बिता रहे हैं, उन्होंने चीन कोरिया गणराज्य के आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान व स्थानीय समाज के विकास के लिए भारी योगदान दिया है। आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को कोरिया गणराज्य के एक कांसुलर की कहानी से अवगत कराऊंगा।
" चीन के साथ मेरा संबंध बहुत घनिष्ठ और पुराना है । वर्ष 1982 में मैंने चीन के थाईवान प्रांत की राजधानी थाईपे शहर में एक साल तक चीनी भाषा सीखी । बीस साल बाद मैं ने दक्षिण चीन के शांगहाई शहर में अढ़ाई साल काम किया और इस के बाद मैं सीधे पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत में आ गया हूं । अब यहां रहते हुए मुझे एक साल हो चुका है । मेरे तीन बेटों में से दो का जन्म चीन में हुआ है । मुझे लगता है कि मेरा चीन के साथ गाढ़ा घनिष्ठ संबंध रहा है ।"
श्री किमसुन होंग पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत के छिंगताओ शहर स्थित कोरिया गणराज्य के जनरल कांसुलेट में कांसुलर हैं । वे एक स्नेह भाव वाले राजनयिक हैं और धाराप्रवाह चीनी भाषा बोल सकते हैं । बीस साल पूर्व चीन के थाईपे शहर जाकर चीनी भाषा सीखने के बाद उन का भाग्य चीन से जुड़ गया । उन्होंने कहा कि उन के तीन बच्चों में से दूसरे का जन्म चीन के थाईपे शहर में हुआ था और तीसरे बच्चे का जन्म शांगहाई शहर में । श्री किम सुन होंग ने मुस्कराते हुए कहा कि किस्मत में लिखा हुआ है कि स्वयं उन का और उन के बच्चों का जीवन चीन के साथ घनिष्ठ रूप से बंध गया है और उनके परिवार के सभी सदस्य चीन के प्रति एक विशेष प्यार स्नेह की भावना रखते हैं ।
इस की चर्चा में कांसुलर श्री किम सुन होंग ने कहा:
"कोरिया गणराज्य की संस्कृति और चीन के शानतुंग प्रांत की संस्कृति मिलती-जुलती है । लम्बे अरसे से कोरिया गणराज्य की संस्कृति शानतुंग प्रांत से प्रभावित होती आयी है । चीन के कंफ्युशियस और मङसेयस की विचारधारा कोरिया गणराज्य की संस्कृति की बुनियाद है । इस के साथ ही कोरिया गणराज्य की संस्कृति के अनेक अन्तगर्भित विषय शानतुंग प्रांत से मिले हुए हैं । कोरिया गणराज्य के लोग चीनी प्राचीन उपन्यास《ल्यांगशान पर्वत के एक सौ आठ वीर बागियों की कहानी》बहुत पसंद करते हैं । कोरिया गणराज्य में चीनी संस्कृति के जो चिन्ह मिलते है , उन के अधिकांश भाग का शानतुंग प्रांत से संबध है । मसलन्, कोरिया गणराज्य में लोकप्रिय कंफ्युशियस, मङ सेयस , उपन्यास《ल्यांगशान पर्वत के एक सौ आठ वीर बागियों की कहानी》में वर्णित 108 वीर बागी ,《सुन ची युद्ध रणकौशल 》के लेखक सुन वु और चीपो शहर के मशहूर प्राचीन राज सलाहकार च्यांग थाई कोंग आदि ऐतिहासिक हस्ती शानतुंग प्रांत से संबंधित है ।"
मिलती-जुलती भौगोलिक स्थिति और जलवायु के कारण ज्यादा से ज्यादा कोरिया गणराज्य के लोग पूंजी निवेश करने, पढ़ने और काम करने के लिए चीन आते हैं । वर्तमान में कोरिया गणराज्य की पूंजी से स्थापित कारोबारों द्वारा शान तुंग प्रांत में लगाई गई पूंजी की राशि बीस अरब अमरीकी डालर को पार कर गई है, जो चीन में लगाई गयी कुल दक्षिण कोरियाई पूंजी का 57 प्रतिशत है । इस तरह शानतुंग प्रांत कोरिया गणराज्य का सब से बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है । कोरिया गणराज्य के कारोबार क्यों शानतुंग प्रांत को पसंद करते हैं?कांसुलर श्री किम सुन होंग ने कहा कि भौगोलिक स्थिति के अलावा दूसरे अनेक कारण भी हैं । उन्होंने कहा:
"शानतुंग प्रांत की जलवायु, रीति रिवाज़ और खान पान कोरिया गणराज्य के समान है , इस के साथ ही उस की भौगोलिक स्थिति भी अच्छी है । शानतुंग वासी बहुत मेहमाननवाज और खुले स्वभाव के हैं । मुझे लगता है कि यहां के माहौल में कोरिया गणराज्य के लोगों को जरा भी परेशानी नहीं महसूस होती है । वे शानतुंग को विदेश के बजाए अपनी जन्मभूमि जैसी समझते हैं।"
शानतुंग प्रांत के छिंगताओ शहर के यानएर मार्ग में एक किम जिन ओ नामक कोरियाई दोस्त भी रहते हैं। 35 वर्षीय श्री किम जिन ओ चीन में 15 साल से रह रहे हैं और अच्छी चीनी बोलते हैं। सन् 2005 में उन्होंने छिंगताओ शहर के यानएर मार्ग में एक चिकित्सा सेवा केंद्र खोला। वे चीन और छिंगताओ शहर को पसंद करते हैं। उन्होंने कहा
मैं चीन में स्थित अपने घर को पसंद करता हूं। मैं सन् 1994 में चीन आया। उस समय यहां की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी।
श्री किम जिन ओ चीन की परंपरागत चिकित्सा को पसंद करते हैं। सन् 1994 में वे चीन में चिकित्सा की पढाई करने के लिए आए। आठ साल की पढ़ाई में उन्होंने चीन के तेजी से विकास होते देखा। उन्होंने चीनी में कहा
चीन में बड़ा परिवर्तन हुआ है। अब अस्पताल में भी बहुत विकसित तकनीक आयात की गई हैं। आम लोगों के पास भी बहुत नई तरह के मोबाइल फोन हैं। रास्ते में भी विभिन्न देशों से आयात की गई गाड़ियां देखने को मिलती हैं।
चीन में जीवन बिताते हुए श्री किम जिन ओ खुद को एक चीनी की तरह ही महसूस करते हैं। वे चीन को प्यार करते हैं। उन के मन में चीन उन की दूसरी मातृभूमि है। उन्होंने चीनी में कहा
चीन का तेजी से विकास हो रहा है। बहुत से विदेशी दोस्तों ने चीन की यात्रा की है। सन् 2008 में आयोजित हुआ ऑलंपिक विश्व में सब से बड़ी गतिविधियों में से एक है। बहुत से विदेशी दोस्त चीन की संस्कृति का अध्ययन करने के लिए अपने बच्चों के साथ चीन आते हैं।
अब देखने में श्री किम जिन ओ पूरी तरह एक चीनी व्यक्ति ही लगते हैं। उन के लिए भी यह एक प्रसन्नता की बात है।