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विश्व थिन्क टैंक ने पेइचिंग में विश्व अर्थतंत्र पर विचार विमर्श किया
2009-07-30 15:26:43

मानवी बुद्धि का उपभोग और भूमंडलीय विकास पर विचार विमर्श नामक विश्व थिन्क टैंक का शिखर सम्मेलन हाल में पेइचिंग में समाप्त हुआ। विश्व के 30 से अधिक टॉप थिन्क टैंकों से आये प्रतिनिधियों, 100 से अधिक पूर्व सरकारी अधिकारियों व विश्व के 500 शक्तिशाली कारोबारों के सी ई ओ ने विश्व अर्थतंत्र पर विचार विमर्श के लिये मौजूदा सम्मेलन में भाग लिया और विश्व अर्थतंत्र से जुड़ी समस्याओं के समाधान की खोज की । आज के कार्यक्रम में हम मौजूदा शिखर सम्मेलन के बारे में कुछ जानकारी देंगे। सुनिये विस्तार से।

थिन्क टैंक का अर्थ श्रेष्ठ अनुभवी विशेषज्ञों, विद्वानों व राष्ट्रीय महत्वपूर्ण नीति बनाने में भाग लेने वाले पूर्व सरकारी अधिकारियों से गठित प्रतिभाशाली व बुद्धिमान लोगों की परामर्श संस्था से होता है। वर्तमान में विश्व के विभिन्न देश वैश्विक वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। अल्प समय में इस संकट को दूर करना और विश्व अर्थतंत्र की बहाली करना विभिन्न देशों के सामने खड़ी समान चुनौती है। इसलिए लोगों का ध्यान इस पर केन्द्रित है कि लगातार पैर पसार करने वाला विश्व वित्तीय संकट कब समाप्त होगा और विश्व आर्थिक वृद्धि कब बहाल होगी।

इस सवाल पर सम्मेलन में उपस्थितों का विचार अलग अलग है। कुछ लोगों के विचार में 1 से 3 सालों तक विश्व अर्थतंत्र बहाल होगा, कुछ लोगों का ख्याल है कि आर्थिक बहाली के लिये 3 से 4 सालों की जरूरत होगी । चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग के उपप्रधान श्री जांग श्याओ छ्यांग के विचार में मौजूदा वित्तीय संकट को दूर करने और विश्व अर्थतंत्र का पुनरूत्थान करने के लिये एक साल से अधिक समय की जरूरत होगी। उन के तर्क इस प्रकार हैः

अमरीका आदि प्रमुख विकसित देशों के संभावित वित्तीय जोखिम को अभी नहीं दूर किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि कर्ज और संपत्ति पर विश्व वित्तीय संस्थाओं का नुक्सान 41 खरब अमरीकी डालर पहुंचा है । इस क्षति की आपूर्ति करने केलिये वित्तीय संस्थाओं को कुछ समय चाहिये।

हालांकि विश्वव्यापी वित्तीय संकट की समाप्ति समय अभी तय नहीं की जा सकती है, लेकिन सब से पहले संकट से बाहर निकलने वाले क्षेत्रों पर सम्मलेन में उपस्थित लोगों का समान विचार प्रकट है। अधिकांश लोगों के विचार में एशियाई देश सब से पूर्व वित्तीय संकट से पिंड छुड़ा देंगे। अमरीका को और कुछ समय की जरूरत होगी। जब कि यूरोपीय संघ को अमरीका से अधिक समय चाहिये।

एशिया के चीन और कोरिया गणराज्य के उदाहरण ले लें, हालांकि चीनी अर्थतंत्र में कुछ अनिश्चित तत्व मौजूद हैं, फिर भी कुछ क्षेत्रों में पुनरूत्थान के वांछित आसार नजर आए है। कोरिया गणराज्य के अर्थतंत्र में गत साल के उत्तरार्द्ध से मंदी पैदा हुई, एक अवधि में नकारात्मक वृद्धि दर भी आयी, लेकिन कोरिया गणराज्य के वित्तीय अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान किम टाए जून का अनुमान है कि इस साल की चौथी तिमाही से कोरिया गणराज्य का अर्थतंत्र अच्छा होगा। उन का कहना हैः

मेरे विचार में अन्य विकसित देशों की तुलना में कोरिया गणराज्य का अर्थतंत्र तेजी से बहाल होगा। क्योंकि कोरिया गणराज्य का अर्थतंत्र निर्यात पर निर्भर रहता है, इसलिये निर्यात में आयी कमी से अर्थतंत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। जब कि निर्यात मुख्य आर्थिक समुदायों और उन के अर्थतंत्र की बहाली से जुड़ा हुआ है, इसलिये हमारा अनुमान है कि इस सालकी चौथी तिमाही से कोरिया गणराज्य का अर्थतंत्र अच्छा होगा।

वित्तीय संकट पैदा होने के बाद, वित्तीय निगरानी व प्रबंधन, व्यापार संरक्षणवाद, भूमंडलीय पूंजीनिवेश आदि मुद्दों पर लोगों में बहुचर्चित विषय बने हैं। इस के लिये मौजूदा शिखर सम्मेलन में इन मुद्दों पर गहन विचार विमर्श के लिये कई मंच भी आयोजित हुए हैं।

वित्तीय संकट गत साल अमरीका में हुए सबप्राइम संकट से पैदा हुआ है, जिस ने विश्वव्यापी वित्तीय निगरानी व प्रबंधन को सतर्क कर दिया है। छिंगह्वा-ब्रुकिनग्स सार्वजनिक नीति अनुसंधान केंद्र के प्रधान श्री श्याओ गेङ ने कहा कि मौजूदा वित्तीय संकट से पैदा व्यवस्थागत जोखिम का प्रमुख कारण यह है कि केंद्रीय बैंकों को नियंत्रण में नहीं रखा जा पाया । उन के विचार में स्थिर वित्तीय वातावरण बनाए रखने के लिए केन्द्रीय बैंकों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है। इस पर उन्हों ने कहाः

अगर विश्व में केंद्रीय बैंकों पर अंकुश लगाने की समान कोशिश नहीं की जाए और एक स्थिर मौद्रिक नीतिगत वातावरण तैयार नहीं हुआ, तो वर्तमान आर्थिक मंदी के मुकाबले के साथ साथ मौद्रिक नीति से और अधिक बड़ा बुलबुला पैदा होगा। उदाहरण के लिये अमरीका में लागू शन्यू ब्याज दर नीति और अन्य कुछ देशों में बड़ी मात्रा में मुद्रा छापने से भविष्य में और अधिक बुलबुला पैदा होने की बड़ी संभावना है।

जब कभी विश्व अर्थतंत्र में गिरावट आयी, तो व्यापार संरक्षणवाद का सिर उठ जाएगा। हालांकि मौजूदा वित्तीय संकट में पैदा हुआ व्यापार संरक्षणवाद गत शताब्दी की 30 वाले दशक से काफी सिकुड़ी हुई है, पर यह भी सच है कि संकट के सामने कुछ देशों ने व्यापार संरक्षणवाद की नीति अपनायी, जिस के परिणामस्वरूप कुछ देश संरक्षणवाद के बेगुनाह शिकार बने, जिन में चीन भी शामिल है। आंकड़ों के अनुसार इस साल की पहली तिमाही में विश्व भर में डम्पिंग विरोध, भत्ती विरोध और विशेष संरक्षण से जुड़े व्यापार जांच मामलों में जो 18.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जिन के दो तिहाई चीनी उत्पादों से संबंधित है। इसे लेकर चीनी उप वाणिज्य मंत्री श्री यी श्याओ जुन ने मौजूदा शिखर सम्मेलन में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहाः

विभिन्न देशों को विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन करने वाले कदम को उठाने से रोकना चाहिये और जी बीस शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के नेताओं द्वारा दिये गये वायदों को अमल में भी लाना चाहिये। संरक्षणवाद का विरोध करना एक-दो देशों की कोशिश काफी नहीं है और इस के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की समान कोशिश होनी चाहिये।

यूरोपीय आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोडी ने शिखर सम्मलेन में विश्व से संयुक्त रूप से व्यापार संरक्षणवाद का विरोध करने की अपील की। विभिन्न देशों के बाजारों का व्यापार संरक्षणवाद को दूर करने के लिये विश्व व क्षेत्र के दायरे में अच्छा समायोजन करना और देशों के बीच समान उपभोग की नीति बनाना चाहिये।

विभिन्न किस्मों के व्यापार संरक्षणवाद का विरोध करने विषय मौजूदा शिखर सम्मेलन की समाप्ति से पहले एक प्रस्ताव में शामिल किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि वित्तीय संकट के मुकाबले के दौरान खुली आर्थिक व्यवस्था बनाए ऱखकर विभिन्न देशों के समान विकास और अर्थतंत्र की हरित बहाली को मुर्त रूप दिया जाना चाहिये। प्रोडी ने मुल्याकंन करते हुए कहा कि मौजूदा शिखर सम्मेलन से वित्तीय संकट के मुकाबले में विश्व भर की प्रयत्न बढ जाएगा। उन का कहना हैः

विश्व थिन्क टैंक शिखर सम्मेलन का आयोजन चीन सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भेजी गयी एक सकारात्मक सिगनल है, जिस से जाहिर है कि चीन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अपनी मूल व अहम भूमिका अदा करने को तैयार है। मौजूदा शिखर सम्मेलन वित्तीय संकट के मुकाबले के लिये बलवान बढ़ावा दिया जाएगा।(रूपा)

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