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इतालवी ओपेरा की मशहूर चीनी महिला गायिका चांग ली फिंग
2009-07-20 14:48:59

वर्तमान दुनिया के इतालवी ओपेरा मंच में चीन से आयी महिला ओपेरा गयिका चांग ली फिंग दुनिया के अनेक मशहूर ओपेरा थियेटरों में अपने ओपेरा गायन के विलक्षण अभिनय से एक जानी मानी गायिका के नाम से मानी जाती है । उसकी सुरीली सोपराना आवाज व भावनापूर्ण अभनिय ने विश्व के अनेक जगहों के दर्शकों का मन जीत लिया है। इस कार्यक्रम में हम आप को इस मशहूर गयिका का परिचय देगें।  अभी आप ने जो सुर सुनी है वह चांग ली फिंग द्वारा तोस्का नाम के एक ओपेरा का एक गान है, हाल ही में इस ओपेरा को चीन के राष्ट्रीय थियेटर में चीन व विदेशी कलाकारों द्वारा संयुक्त रूप से प्रदर्शित किया गया, चांग ली फिंग ने इस ओपेरा में मुख्य पात्र तोस्का का रोल अदा किया ।

तोस्का ओपेरा ओपेरा के गुरू पुछीनी का प्रतिनिधित्व प्रस्तुति है, यह प्यार, राजनीतिक, नफरत व साजिश से संबंधित एक दिन को छू लेने वाली कहानी है, इस ओपेरा को पिछले एक सौ सालों में लगातार दिखाने पर भी लोगों का मन नहीं भरा है। इस की मरमस्पर्श कहानी में एक मासूम लड़की तोस्का के हाथों से तीन लोगों की मौत होने की रहस्मय कहानी को बड़ी भावनापूर्वक रूप से दर्शाया गया है, यह ओपेरा दुनिया का सदा बहार ओपेरा माना जाता है। दुनिया के अनेक जगहों के ओपेरा कलाकार तोस्का का पात्र निभाने पर हमेशा अपना ऊंचा गर्व महसूस करते है, जबकि चांग ली फिंग ने अपनी कई सालों की ओपेरा अनुभवों के आधार पर आखिरकार इस ओपेरा का मुख्य पात्र निभा कर अपनी कला को एक नयी मंजिल में पहुंचा दिया है, उनकी कला माहिरता ने तोस्का के पात्र को नयी जान दी है, और लोगों के मन को इतना तीव्रता से छू लिया कि सभी उनके अभिनय से मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होने हमें बताय: मैंने इस पात्र को निभाने के लिए बहुत लम्बी तैयारी की है, इस तरह मैंने इस पात्र के अभिनय को पूरी तरह समझ लिया है। मैं एक चीनी हूं, तोस्का एक सौ साल पहले की एक इटालवी लड़की है, लेकिन मोहब्बत में हमारे बीच ज्यादा फर्क नहीं है, मेरे ख्याल में कोई ज्यादा अन्तर नहीं है, औरत के लिए मोहब्बत का पात्र उसके चेहरे के रंग से अलग नहीं किया जा सकता है, वह इस के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी कर सकती है, और तोस्का इसी तरह की एक लड़की है जो प्यार के लिए कुछ भी कर सकती है, यह आजकल के हमारे समाज को भी एक नया संकेत देती है।

असल में इस से पहले चांग ली फिंग को तोस्का के पात्र का अभिनय करने का मौका मिला था, लेकिन उन्होने इसे ठुकरा दिया , वजह यह कि उनको मालूम है कि इस पात्र के लिए वह अभी पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इस पात्र को निभाने से पहले उसके गीत ओपेरा की सुर तय कर लेते है, और यही सुर उसकी मर्मस्पर्शी कहानी की नींव डालती है, आवाज की शक्ति इतनी ऊंची होती है उसके सुर काबू में रखना इतना आसान नहीं होता है।

चांग ली फिंग दुनिया के ओपेरा जगत की एक जानी मानी चीनी सोपरानो गयिका होने के नाते , वह इस से पहले कोई 20 ओपेराओं में मुख्य पात्र निभा चुकी हैं और उनकी आवाज दुनिया के कोने कोने में गूंज रही है, जहां जहां वह जाती हैं वहां लोगों की भीड़ उमड़ उठती है। उनकी उल्लेखनीय सफलता की बदौलत केन्द्रीय संगीत यूनिवर्सिटी नें उन्हे प्रोफेसर की उपाधि से सम्मानित किया और वह फिलहाल वोकल संगीत विभाग की प्रमुख निदेशिका भी हैं।

चांग ली फिंग अबतक एक मात्र दुनिया की उच्च कोटि ओपेरा थियेटर में मुख्य पात्र निभाने वाली चीनी ओपेरा गायिका हैं, उन्होने ब्रिटिश शाही ओपेरा थियेटर में तोलान्तो, मेडम बटरफलाए आदि ओपेराओं में मुख्य पात्र निभाया था। 40 वर्षीय चांग ली फिंग का जन्म चीन के हूपए प्रांत में हुआ था, उन्हे बचपन से ही गाना गाने व नृत्य करने का भारी शौक रहा था, लेकिन उन्होने कभी ओपेरा से संबंध नहीं रखा, अपने पिता के कला प्रभाव से उन्होने चीनी ओपेरा में भारी दिलचस्पी दिखायी। उन्होने कहा: छोटी उम्र में मुझे मालूम था कि पिताजी को पेइचिंग ओपेरा बहुत पसन्द था, मैं बचपन से ही उनके साथ पेइचिंग ओपेरा देखने जाया करती थी, स्कूल की छुटटी के बाद मैंने उनके साथ कई पेइचिंग ओपेरा देखे और कुछ ओपेरा को तो कई बार देखा , कितनी बार देखने पर भी मेरा दिल नहीं भरता था, मुझे स्कूल की छुटटी के बाद पेइचिंग ओपेरा सुनना बहुत पसन्द था।

चांग ली फिंग ने अपनी दस साल की उम्र में चाय बगान की लड़की नाम का ओपेरा देखा था, हालांकि वह ओपेरा की कहानी को पूरी तरह समझ तो न सकी, लेकिन ओपेरा की धुन व सुर उनके दिल में समा गयी, ओपेरा की सुन्दरता ने उनके नन्हे से दिल को जीत लिया। चांग ली फिंग 1989 में चीनी केन्द्रीय संगीत यूनिवर्सिटी के वोकल विभाग से स्नातक होने के बाद एक साल बाद ,यानी 1990 में कनाडा के वैनकूवर संगीत कालेज में पढ़ने चली गयी, 1992 में उसने अभिनय की डिग्री हासिल की। वैनकूवर ओपेरा थियेटर द्वारा प्रदत्त एक मौके पर उसने अपनी अभिनय की माहिरता का मिसाल दिया और वह तब से अन्तरराष्ट्रीय ओपेरा मंच में एक नयी अभिनेत्री के रूप में जानने लगी। मेडम बटरफलाए इटली ओपेरा के गुरू पुछीनी की मशहूर रचना है, वह इस ओपेरा की मुख्य पात्र चुनी गयी। 1994 में पहली बार इटली में इस ओपेरा को दिखाने के बाद चांग ली फिंग ने अपनी उल्लेखनीय ओपेरा कला की माहिरता से मेडम बटरफलाए को तबसे एक नयी जिन्दगी प्रदान की है। उन्होने अपनी अदभुत स्वर से मेडम बटरफलाए की जटिल भावना को इतनी विस्तृत से प्रदर्शित किया कि दर्शक अपने को खो बैठे और उनकी आवाज से मंत्रमुग्ध हो गए। पश्चिमी दर्शकों ने चांग ली फिंग की प्रशंसा करते हुए कहा कि चांग ली फिंग वाकई चीन की मेडम बटरफलाए हैं। अपनी सुरीली स्वर की रहस्य के राज पर बोलते हुए चांग ली फिंग ने कहा: मंच में लोगों के दिल को छू लेने वाली चीज आप की कला ही नहीं बल्कि सबसे महत्वपूर्ण आपका संगीत होता है, इस संगीत को किस तरह सजाया जाए, गाते समय इसे अदा से गाया जाए या दिल की सीमा से गाया जाए, इस में बहुत फर्क होता है, दर्शक इसे बड़ी अच्छी तरह महसूस कर लेते हैं।

चांग ली फिंग अक्सर विभिन्न देशों के ओपेरा थियटरों में किस्म किस्म के पात्रों का अभिनय करती आयी है, और उन्होने विभिन्न जातीय कलाकारों के साथ सहयोग किया है, उनकी सबसे बड़ी मुसिबत अपने अकेलेपन को हल करने पर रहा है। हर एक नयी जगह में आसपास के लोग आपसे अपरिचित होते हैं, ओपेरा निर्देशक व संगीत निर्देशक की समझदारी भी अलग अलग होती है, इतने थोड़े समय में इस पर सहमति पाकर एक ओपेरा को तैयार कर लेने के लिए मुझे अनेक कठिनाईयों का मुकाबला करना पड़ा । उनकी सबसे बड़ी फिक्र यह रहती है कि किस तरह अपने अच्छे अभिनय से दर्शकों के दिल में खुशियां लायी जा सके। उन्होने इस पर चर्चा करते हुए कहा: हालांकि मैंने करीब 20 से अधिक ओपेरा में गाया है, इस लिए यह कोई नयी चीज नहीं है। मैं ओपेरा को बेहद प्यार करती हूं, मैं अपने जीवन को अपना ओपेरा मान कर दिल से प्यार करती हूं, ओपेरा मेरे लिए जान से भी बढ़कर है।

चांग ली फिंग को एक साल में अक्सर आधे साल तक बाहर अभिनय में बिताना पड़ता है। हरेक बार बाहर जाने पर उसे अपने नौ साल की उम्र के बेटे की बड़ी फिक्र रहती है, वह बहुत ही कम अपने बेटे के साथ खेल सकती है, और अपना प्यार दे सकती है, इस पर वह हमेशा अपने को कोसती रहती है, खुशी की बात तो यह है कि उनका बेटा अपनी मां को बड़ी अच्छी तरह समझता है। एक बार उनके बेटे ने उनसे कहा कि मां तुम अकेली बाहर बहुत थक जाती होगी, मैं घर में बहुत खुश रहता हूं, क्योंकि पापा, नानी उनके साथ रहते हैं। चांग ली फिंग जब जब यह सुनती है तो उसका हौसला बढ़ जाता है, वह अपने को खुशकिस्मत समझती है।

चांग ली फिंग ने अपने पूरी लगन से न केवल ओपेरा के विकास के लिए अपना योगदान किया है, बल्कि संगीत कालेज के लिए ओपेरा कलाकार व गायक गायिकों को तैयार करने में अपनी माहिरता भी अर्पित की है, इस के साथ वह चीन में पश्चिम संगीत के प्रसार के लिए भी बहुत से कामों में व्यस्त रहती हैं, ताकि अधिकाधिक चीनी लोगों को पश्चिम ओपेरा की नयी जानकारी प्रदान की जा सके।

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