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"मधुर व सामंजस्यपूर्ण संगीत यात्रा"नामक संगीत सभा पेइचिंग में आयोजित
2009-06-29 16:03:21

 27 तारीख की रात को भारत और श्रीलंका से आए दो संगीत दलों ने पेइचिंग में शानदार संगीत प्रदर्शनी किया, भारत के"शीलोंग संगीत दल"और श्रीलंका के "आत्मा की आवाज़ संगीत दल"की संयुक्त प्रस्तुति ने पेइचिंग वासियों को दक्षिण एशिआई संस्कृति को समझने का अवसर प्रदान किया, जिस से चीन, भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतकि आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई, सुनिए एक रिपोर्ट

मौजूदा गतिविधि चीनी जन विदेशी मैत्रीपूर्ण संघ और चीन स्थित भारतीय व श्रीलंकाई दूतावासों ने सुयंक्त रूप से आयाजित की । भारतीय राजदूत सुश्री निरूपमा राव ने संगीत सभा के आयोजन की रस्म में भाषण देते हुए कहा:

"चीन स्थित भारतीय और श्रीलंकाई दूतावासों ने प्रथम बार संयुक्त रूप से इस प्रकार की गतिविधि आयोजित की है। आशा है कि मौजूदा गतिविधि के जरिए चीनी जनता को हमारी सुनहरी अभिलाषा पहुंचाई जा सकेगी, यानि कि शांति, मैत्री व सामंजस्य ।"

श्रीलंकाई राजदूत श्री करूनातिलाका अमुनुगामा ने संगीत सभा के पूर्व आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दो संगीत दल श्रीलंका और भारत के सांस्कृतिक दूत हैं । संगीत के जरिए तीनों देशों के बीच पुल स्थापित होगा और दर्शक संगीत का मज़ा ले सकेंगे । उन का कहना है:

"संस्कृति दो देशों के बीच आदान-प्रदान का पुल है, जबकि संगीत इस का एक महत्वपूर्ण अंग है । मेरी आशा है कि मौजूदा गतिविधि चीनी दर्शकों के मन को छू सकेगी, और चीनियों के दिल में श्रीलंका और भारत की नयी छवि पैदा होगी, और हमारे तीनों देशों के बीच नए मैत्रीपूर्ण संबंध बन सकेंगे।"

यह दो संगीत दल अपनी स्थापना के शुरू से ही उच्च स्तरीय पेशेवर अभिनय करने में संलग्न हैं और वे सारी दुनिया के सामने अपने देश की संस्कृति का प्रदर्शन करने आ रहे हैं ।

पेइचिंग में संगीत सभा में आयोजित इन दो संगीत दलों के अलग-अलग तौर पर बीस से ज्यादा सदस्य हैं । उन्होंने पेइचिंग वासियों के सामने भारत व श्रीलंका का आधुनिक संगीत, ओपेरा संगीत और लोक संगीत और नृत्य पेश किया ।

 

दोस्तो, अभी आप भारतीय शीलोंग संगीत दल द्वारा गाया गया गीत सुन रहे हैं । इस संगीत दल के संस्थापक नील नोंगक्यनिह एक प्रसिद्ध प्यानो संगीतकार हैं । उन्होंने लंदन में 13 साल तक पढ़ाई की है और उत्तर पूर्वी भारत के शीलोंग वापस लौटकर इस संगीत दल की स्थापना की । शीलोंग संगीत दल ने वर्ष 2006 के अगस्त माह में भारत की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में आयोजित एक रस्म में कार्यक्रम पेश किया । वर्ष 2009 के मार्च माह में इस संगीत दल ने भारत व ऑस्ट्रिया के बीच कूटनीतिक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भारत का प्रतिनिधित्व कर विश्वविख्यात विएना संगीत मंडली के साथ समान रूप से संगीत प्रस्तुति किया ।

 

दोस्तो, अभी आप ने सुना श्रीलंकाई"आत्मा की आवाज़"संगीत दल द्वारा गाया गया लोक गीत । उन की सुरीली आवाज़ पेइचिंग जोंगशान संगीत हॉल में गूंज उठी और दर्शकों के मन को छू लिया ।

विश्व में सब से मशहूर संगीत दलों में से एक के रूप में"आत्मा की आवाज़"संगीत दल की प्रस्तुति ने अनेक देशों के अनगिनत दर्शकों का मन छुआ है। संगीत दल में सभी सदस्य आम तौर पर बीस वर्ष की लड़कियां हैं । उन्होंने भारत, ब्रिटेन, चीन के शामन, आस्ट्रेलिया, कुवैत, आस्ट्रिया व फ्रांस में कार्यक्रम पेश किए हैं ।

"आत्मा की आवाज़"की संस्थापक सुश्री सोउन्द्रे डेविड संगीत दल के प्यानो बजाने वाले संगीतकार और कंडक्टर हैं । वे विश्व संगीत समिति में श्रीलंकाई प्रतिनिधि भी हैं । वर्ष 2004 में उन्होंने इस संगीत दल की स्थापना की । उन का विचार है कि गीत गाना संगीत दल की लड़कियों के लिए आत्मा की खोज करने वाली यात्रा है । पेइचिंग में प्रस्तुति के बाद अपनी मौजूदा चीन यात्रा की चर्चा में उन्होंने हमारे संवाददाता से कहा:

"मुझे लगता है कि आज रात की प्रस्तुति एक अच्छा मौका है, जिस से श्रीलंका, भारत और चीन के बीच त्रिपक्षीय संबंध के विकास को आगे बढ़ाया गया है। मुझे बड़ी खुशी हुई है कि संगीत के जरिए त्रिपक्षीय मैत्री मज़बूत हो सकेगी।"

 

प्रस्तुति के अंत में भारतीय शीलोंग संगीत दल और श्रीलंकाई"आत्मा की आवाज़"संगीत दल ने एक साथ चीनी भाषा वाला लोकगीत"जैस्मिन फूल"गाया, जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया । शानदार प्रस्तुति की पेइचिंग वासियों ने प्रशंसा की । संगीत सभा में भाग लेने वाले दर्शक श्री ली ने हमारे संवाददाता से कहा:

"आज की प्रस्तुति बहुत श्रेष्ठ है । मुझे भारत और श्रीलंका की संस्कृति की जानकारी मिली और आशा है कि भविष्य में इस प्रकार के और कार्यक्रम पेश होंगे ।"

मौजूदा संगीत सभा के आयोजन के साथ-साथ भारत और श्रीलंका की चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित हुई । जिस में इन दोनों देशों की विश्व सांस्कृतिक विरासतों समेत दर्शनीय स्थलों के शामिल हैं । चित्र प्रदर्शनी में भारत और श्रीलंका के पुराने इतिहास व संस्कृति की झलक दिखाई गई है, जिस का संगीत सभा में मधुर संगीत का मज़ा लेने आए दर्शकों ने भी आनंद उठाया।

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