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    चीन-भारत सांस्कृतिक आदान-प्रदान में लगे चीनी प्रोफेसर चिन तींगहान
    2014-09-10 13:27:27 cri

    डॉक्टर चिन तिंग हान को भारतीय दोस्तों के साथ संपर्क की यादें अब भी ताजा हैं। उन्होंने कहा कि मूल रूप से कहा जाए, तो भारतीय लोग चीन से भावमय हैं। भारत में जो भारतीय लोग मुझे मिले, वे सब मेरे दोस्त हैं। भारत पर चीनी नागरिकों का रवैया भी हमेशा से दोस्ताना रहा है। अगर चीन और भारत एकजुट हो जाए, तो भला कौन हमारा मुकाबला कर सकता है?

    डॉक्टर चिन ने कहा कि वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में, विशेषकर चीन और भारत के लिए उच्च स्तरीय आवाजाही ज़रूरी है। चीन और भारत के नेताओं के लिए द्विपक्षीय संबंधों पर वार्ता के माध्यम से मतभेदों का समाधान करना वैश्विक संबंधों के लिए अहम है।

    डॉक्टर चिन ने यह भी कहा कि युवा समाज की आशा और भविष्य हैं। भविष्य की दुनिया में युवा अवश्य ही अपने देश के मेजबान होंगे। इसलिए चीन और भारत के युवाओं के बीच आदान-प्रदान बढ़ाना, एक दूसरे देशों को भेजने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ाना, यात्रा के मौके बढ़ाना और सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार करना बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में दुनिया के कई क्षेत्रों में कन्फ्यूशियस संस्थान और क्लास चल रही हैं। तमाम विदेशी युवा हान भाषा सीख रहे हैं। इस क्षेत्र में भारत भी बहुत काम कर सकता है, ताकि युवा ग चीन की कन्फ्यूशियस संस्कृति के साथ संपर्क कर सकें।

    चिन तिंग हान ने कहा कि अगर भारत के सांस्कृतिक नेता यहां आकर अपने देश के आम लोगों को चीनी संस्कृति सीखने के लिए प्रेरित करते हुए अधिक व्यावहारिक काम करते हैं, तो दोनों देशों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान में उनकी व्यापक भूमिका होगी।


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