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    चीन-भारत सांस्कृतिक आदान-प्रदान में लगे चीनी प्रोफेसर चिन तींगहान
    2014-09-10 13:27:27 cri

    चीन व भारत का इतिहास बहुत पुराना है और दुनिया में वे प्राचीन सभ्यता वाले देश भी हैं। इतिहास में चीन व भारत के संबंध बहुत मजबूत थे। 627 ईंसवीं में थांग राजवंश के महाभिक्षु ह्वेन त्सांग पैदल चीन से भारत गये और चीन वापस लौटने के बाद महा थांग राजवंश में पश्चिमी क्षेत्र की यात्रा नामक पुस्तक लिखी। ह्वेन त्सांग द्वारा लिखी गयी इस पुस्तक में 1300 वर्ष पहले के भारतीय समाज व जीवन के बारे में जानकारी दी गयी। इसलिए भारत के इतिहास के अनुसंधान में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।

    आधुनिक ह्वेन त्सांग के नाम से प्रसिद्ध विद्वान थैन युनशान ने सितंबर 1928 में भारतीय महा कवि रविंद्रनाथ टैगोर के बुलावे पर भारत की यात्रा की। वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे और चीनी संस्कृति के प्रसार में जुटे हुए थे। थैन युनशान चीन-भारत मैत्री के अग्र दूत थे, जिन्होंने चीन व भारत की संस्कृति के बीच पुल का निर्माण किया और आजीवन चीन-भारत संस्कृति का प्रसार करने में लगे रहे। थैन युनशान के आह्वान पर दोनों देशों में चीन-भारत संस्कृति संघों की स्थापना की गयीं, जिन्होंने द्विपक्षीय आवाजाही को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका अदा की है। वर्ष 1937 में थैन युनशान ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में चीनी अकादमी की स्थापना की। इसके बाद यह अकादमी भारत में चीनी संस्कृति का प्रसार करने का प्रमुख केंद्र बन गई और चीन व भारत को व्यापक रूप से जोड़ने में भी सफल रही। थैन युनशान के नेतृत्व में चीनी अकादमी ने चीन व भारत के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान करने, चीनी व भारतीयों के बीच मैत्री मजबूत करने और शांति व विकास को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाया। पिछले दसों सालों में यह अकादमी चीन व भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने वाला प्रमुख केंद्र बन चुका है।

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