अध्यापिका फान और उन के दो हजार बच्चे
2017-07-30 19:47:30 cri
ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्वीकार करने के लिये फान यूल्येन ने अपने घर में सब से बड़ा कमरा निकालकर कक्षा चलाती हैं। लेकिन वे छोटे कमरे में रहती हैं।
पढ़ाई के अंक की अपेक्षा फान यूल्येन बच्चों की अच्छी चरित्र पर ज्यादा ध्यान देती हैं। उन्होंने कहा कि,मैं सब से पहले उन्हें सिखाती हूं कि अच्छा चरित्र कैसे बनती है। बचपन से ही अच्छी आदतों की स्थापना करना पड़ता है। दूसरों के प्रति शिष्टाचार होना चाहिये। अब अगर मेरे बच्चे दुकान में जाएं, तो वे द्वार पर चाचा या चाची से नमस्कार बोलते हैं। दुकान के लोग हमेशा उन की शिष्टाचार की प्रशंसा करते हैं। यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई।
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