उन्होंने कहा, बच्चों के बीच आदान-प्रदान और युवाओं के बीच आदान-प्रदान को देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का महत्व होना चाहिये। वह भी सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक अनवरत तरीका है। पिछले वर्ष से हमने अंतर्राष्ट्रीय बाल चित्र प्रदर्शनी इस ब्रांड की स्थापना शुरू की। वास्तव में यह विदेश में जाने की एक कोशिश है। इस बार हमने प्रदर्शनी में एक नया विषय शामिल किया कि दोनों देशों के बच्चों ने एक साथ चित्र बनाये। हूपेइ के बच्चों ने हूपेइ की राजधानी वूहान में आधे चित्र बनाये, और टोलुन के बच्चों ने बाकी आधे चित्र बनाये। हांलाकि वे भिन्न-भिन्न जगहों में रहते हैं, लेकिन उनका सपना व इच्छा एक ही है।
टोलुन बाल कला केंद्र के अध्यक्ष दारिउस्ज़ देलिक ने संवाददाता से कहा कि,यह एक बहुत अच्छा क्रिएटिव विचार है। पोलैंड के बच्चों ने चीनी बच्चों की चित्र पर अपना कल्पना दिखाकर एक साथ एक सुन्दर चित्र बनाये। चीनी बच्चों ने अपनी नज़र में दुनिया की छवि बनायी, उधर टोलुन के बच्चों ने अपने शहर की छवि बनायी। इस सुन्दर चित्र से यह देखा जा सकता है कि बहुत चीज़ें हमें एक साथ जोड़ सकती हैं। मानव के रूप में हमारे बीच बहुत समानताएं हैं, और कला हमें जोड़ती है।