सुबह तीन शाम को चार 朝三暮四
"सुबह तीन शाम को चार"नाम की कहानी को चीनी भाषा में"चाओ सान मू स"(zhāo sān mù sì) कहा जाता है। इसमें"चाओ"का अर्थ है सुबह, दूसरा और चौथा शब्द"सान"और"सी"संख्या-सूचक शब्द है, सान तीन है और स तो है चार। तीसरा शब्द"मू"का अर्थ है शाम को।
प्राचीन काल के सोंग राजवंश(960-1279) में एक बूढ़ा रहता था। वह बंदरों को बहुत पसंद करता था और उसके घर में बड़ी संख्या में बंदर थे।
बंदरों के साथ लम्बे समय रहने के बाद इस बूढ़े को बंदरों के बारे में काफ़ी जानकारी मिली और वह बंदरों के स्वभाव को खूब जानता था। बंदर भी बूढ़े की बोली समझ सकते थे। इस तरह बड़ा आनंद मिलने पर वह बंदरों को और अधिक पसंद करता रहा। पसंद इतनी बढ़ गयी कि बंदरों को संतोष से खाना खिलाने के लिये उसने परिवार के सदस्यों के खाने में से भी कटौती कर दी।
बंदरों का पेट बहुत बड़ा था। बूढ़े के घर में सुरक्षित अनाज दिनोंदिन कम होता चला गया। अंत में उसे बंदरों का भोजन सीमित करना पड़ा। सो उसने बंदरों से कहा :"आज सुबह से तुम्हारे भोज की मात्रा निश्चित करूंगा। सुबह तुम्हें तीन-तीन खजूर के फल दूंगा, शाम को चार-चार। ठीक है ना?"
बूढ़े की घोषणा सुनकर बंदर बहुत नाखुश हुए। और कूदते उछलते हंगामा मचाते रहे। बूढ़ा समझ गया कि बंदरों को लगता है कि खाना कम है, तो उसने फिर से घोषणा की:"सुनो। तुम खाने को कम समझते हो, तो अब से सुबह चार खजूर खिलाया जाएंगे, शाम को तीन। ठीक है ना? हो जाएगा ना?"
बंदरों को लगा कि खाने के लिए पहले तीन फल देने की बात कही थी, अब बढ़ाकर चार कर दी है, वे बड़ी खुशी के साथ उछल गए और दुम हिलाते हुए मान गए।
अच्छा दोस्तो, अभी आपने जो नीति कथा सुनी, उसका नाम था"सुबह तीन शाम को चार"। इसे चीनी भाषा में"चाओ सान मू स"(zhāo sān mù sì) कहा जाता है। इसमें"चाओ"का अर्थ है सुबह, दूसरा और चौथा शब्द"सान"और"सी"संख्या-सूचक शब्द है, सान तीन है और स तो है चार। तीसरा शब्द"मू"का अर्थ है शाम को।
बड़ी मज़ेदार कथा है ना यह, बंदर घटना की असलियत से अनजान थे, वे केवल बाहरी चीज़ जानते थे और समझते थे, इसलिए वे धोखे में आ गए।