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    030 जामुन से प्यास का अन्त
    2017-05-30 19:49:38 cri

    खूंखार बाघ की पीठ पर बैठना 骑虎难下

    "खूंखार बाघ की पीठ पर बैठना"नाम की कहानी को चीनी भाषा में"छी हु नान श्या"(qí hǔ nán xià) कहा जाता है। इसमें"छी"का अर्थ है सवार होना और"हू"का अर्थ है बाघ, जबकि तीसरे शब्द"नान"का अर्थ है मुश्किल और अंतिम शब्द"श्या"का अर्थ है उतरना।

    वर्ष 266 से वर्ष 420 तक प्राचीन चीन में चिन (Jin) राज्य का समय था। ली यांग नगर के सेनापति सू च्यन और साओ छुन नगर के सेनापति चु हअ ने मिलीभगत कर विद्रोह कर राजधानी च्यान कांग पर कब्जा कर लिया और सम्राट छङ ती को अपने नियंत्रण में रखा।

    इस नाजुक घड़ी में चांग चाओ नगर के नगर पालक वन छ्याओ और राजधानी से भाग आए सम्राट के निष्ठ अधिकारी ई ल्यांग ने मिलकर जङ चाओ नगर के नगर पालक थाओ खान को संयुक्त सेना का सेनापति चुना। तीनों सम्राट के निष्ठावान लोगों ने नवगठित संयुक्त सेना के साथ विद्रोही सेना को खदेड़ने की कोशिश की, लेकिन विद्रोही सेना अधिक शक्तिशाली थी और सम्राट भी उसके हाथ में था। इसलिए संयुक्त सेना को लगातार कई हार का मुख खानी पड़ी और उसके सामने चुनौतियां मुंह बाएं खड़ी रही।

    युद्ध में लगातार हारने पर संयुक्त सेना के सेनापति थाओ खान के मन में डर पैदा हो गया और अपनी विजय की उम्मीद नहीं रही। उसने वन छयाओ की बात पर आपत्ति जताते हुए कहा:"विद्रोही सेना के विरूद्ध युद्ध छेड़ते वक्त आप कहते थे कि जब युद्ध छिड़ेगा, तो सिपाही और रसद बड़ी मात्रा में मिलेगा, मेरा काम सिर्फ़ सेना का संचालन करना था, लेकिन अब देखो, सैनिकों की संख्या बहुत कम है, रसद भी अपर्याप्त है। ऐसी स्थिति में हम कैसे जीत सकते हैं। अब मैं अपनी टुकड़ी लेकर अपने नगर लौटूंगा, पूरी तैयारी के बाद फिर लड़ूंगा।"

    थाओ खान के मत पर असहमति जताते हुए वन छ्याओ ने कहा:"आप का मत ठीक नहीं है। विद्रोही सेना पर विजय पाने में वर्तमान की फौरी जरूरी काम हमारी सेना का एकजुट होना है। अब चिन राज्य संकट में है। सम्राट विद्रोही सेना के हाथ में है, राज्य और सम्राट को बचाने के लिए हम न्याय का युद्ध कर रहे हैं। विद्रोही सेना ताक्तवर है, पर वह अन्यायी सेना है। हम उसके खिलाफ़ लड़ रहे हैं, मानो खूंखांर बाघ पर बैठे हो, सिर्फ बाघ को खत्म करने से ही हम सुरक्षित हो सकते हैं। अगर बीच में रूक गये, तो बाघ हमें मार कर खाए जाएगा। वैसे ही यदि आप संयुक्त सेना की लाभ हानि का ख्याल न रखकर अपनी टुकड़ी को लेकर चले गए, तो इसका संयुक्त सेना के मनोबल पर बुरा असर पड़ेगा और विद्रोही सेना का नाश करने का काम विफल हो जाएगा। इसकी जिम्मेदारी आप पर होगी।"

    थाओ खान ने वन छयाओ का तर्क माना और अपनी सेना वापस लेने का विचार छोड़ दिया। दोनों ने विद्रोही सेना पर विजय पाने के लिए नई योजना बनायी। थल और जल दोनों मार्गों से विद्रोही सेना पर हमला बोलने का निश्चय किया। वन छयाओ के नेतृत्व में संयुक्त सेना की एक तगड़ी टुकड़ी ने घात लगा कर विद्रोही सेना पर धावा बोला, अन्त में पूरी तरह विद्रोही सेना का खात्मा करने में सफलता पायी।

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