एक पट्टी एक मार्ग अंतर्राष्ट्रीय शिखर मंच अभी अभी चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित हुआ। भारत से किसी भी सरकारी अधिकारी ने इस मंच में नहीं भाग लिया। यह इस बात का द्योतक है कि एक पट्टी एक मार्ग पहल के प्रति भारत के मन में संदेह है। क्या भारत को इस पहल से लाभ मिल सकेगा? हाल में चीन के सछ्वान प्रांत के सामाजिक व विज्ञान अकादमी के इंडिया अनुसंधान केंद्र के महासचिव य्वेई छाओमिन ने पत्रकार के साथ साक्षात्कार में कहा कि भारत का "मेक इन इंडिया" एक पट्टी एक मार्ग से जुड़ सकता है।
2014 में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के तुरंत बाद देश की विकास योजना "मेक इन इंडिया" पेश की, जिसका मकसद भारत को विश्व डिजाइन व निर्माण केंद्र बनाना है।
"मेक इन इंडिया" न सिर्फ़ एक नारा है, वास्तव में वह पुरानी प्रक्रिया व नीति का संशोधन व सुधार है, जो भारत सरकार के प्रशासन के विचारधार में परिवर्तन का प्रतिबिंब है।
एक बड़ी आर्थिक सुधार योजना होने के नाते"मेक इन इंडिया"ने नया विचार, नया प्रबंध, नयी बुनियादी संरचनाएं और विदेशी निवेश की नयी नीति चार नये आधारों को स्तंभ बनाया है। जिसमें भारतीयों का सपना निहित है।
चीन में सुधार व खुलेपन में प्राप्त भारी उपलब्धियों से भारत को झटका लगा है। ड्रैगन व हाथी का संघर्ष पश्चिमी विद्वानों की जबान पर रहा और चीन-भारत संबंधों पर असर पड़ता रहता है। वास्तव में ड्रैगन व हाथी का संघर्ष पश्चिमी देशों की चीनी धमकी दलील का एक प्रतिबिंब है।