गूनेटिल्लेके ने कहा कि वर्ष 2013 चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा "एक पट्टी एक मार्ग" प्रस्ताव पेश किये जाने के बाद श्रीलंका की पूर्व और वर्तमान सरकार इसका पूरी तरह समर्थन करती है। श्रीलंका इस प्रस्ताव के महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान पर स्थित है। श्रीलंका ने सिल्क रोड और इससे संबंधित आर्थिक क्षेत्र के महत्व को देखा, विशेषकर श्रीलंका एशिया के सिल्क रोड में एक हिस्सा है। हमारा विचार है कि इस प्रस्ताव से श्रीलंका को बेहतर अवसर मिलेगा, जिनमें व्यापारिक अवसर, विकास के अवसर, रोज़गार के अवसर और लोगों के बीच मेलजोल के अवसर शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक साल 2016 में चीन श्रीलंका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार और आयात-स्रोत वाला देश बन गया है। द्विपक्षीय व्यापार की राशि 4 अरब 56 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई है। इसके साथ ही चीन श्रीलंका के सबसे अहम निवेश देशों में से एक भी है। गूनेटिल्लेके ने कहा कि श्रीलंका में कई महत्वपूर्ण बुनियादी संस्थापनों की परियोजनाओं का निर्माण चीनी निवेशकों और निर्माताओं के समर्थन से अलग नहीं किया जा सकता। खास कर चीन के निवेश से निर्माण किए जा रहे कोलंबो बंदरगाह परियोजना ने 80 हज़ार स्थानीय रोज़गार मुहैया करवाया है, इस परियोजना से संपूर्ण क्षेत्र यहां तक कि श्रीलंका के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
गूनेटिल्लेके ने कहा कि चीन की इस परियोजना से कोलंबो के वित्तीय केंद्र के विकास को आगे बढ़ाया जाएगा। यह परियोजना समाप्त होने के बाद कोलंबो पूरी तरह बदल जाएगा, जो अनगिनत पर्यटकों और निवेशकों को आकर्षित करेगा।
गूनेटिल्लेके ने कहा कि कोलंबो बंदरगाह परियोजना के निर्माण को चीन द्वारा प्रस्तुत "एक पट्टी एक मार्ग" प्रस्ताव से लाभ मिलता है। इस प्रस्ताव के ज़रिए श्रीलंका व्यापार और पूंजी निवेश आदि क्षेत्रों में श्रेष्ठता उन्नत हो गई। भविष्य में दोनों देशों के बीच विकास पर गूनेटिल्लेके ने को पूरी तरह आश्वस्त है।
उन्होंने यह विश्वास प्रकट किया कि भविष्य में दोनों देशों के बीच संबंधों का आगे विकास होगा। विशेषकर श्रीलंका की यात्रा करने वाले चीनी लोगों की संख्या अधिक होगी, दोनों देशों की जनता के बीच आवाज़ाही भी आगे बढ़ेगी, जिससे एक दूसरे के बीच समझ आगे बढ़ाया जाएगा और सहयोग के अधिक अवसर भी मिलेंगे।
(वनिता)