यूरोप में शरणार्थी लहर आने के बाद जर्मनी ने हमेशा के लिए संबंधित नीतियों का बंदोबस्त कर स्थिति को स्थिर बनाने की कोशिश की। इस प्रक्रिया में कुछ लोगों का प्रयास अविस्मर्णीय है। वे हमेशा कोशिश कर शरणार्थियों को यह बताते हैं, जर्मनी में तुम्हारा स्वागत है। वे हैं शरणार्थी शिविर में शरणार्थियों को परामर्श या मदद देने वाले कर्मचारी ।
बवेरिया शरणार्थी शिविर मुनिक शहर के केंद्र से करीब 20 मिनट दूर है। पहले यह एक पुराना सैन्य शिविर था। अब शरणार्थियों का स्थल बन चुका है। यहां भी बवेरिया स्टेट में सबसे बड़े पैमाने वाला शरणार्थी शिविर भी है। शरण लेने के परिणाम का नतीज़ा आने से पहले शरणार्थी यहां 6 महीने रुक सकते हैं। शरणार्थी शिविर में परिपक्व बुनियादी संरचनाएं हैं। यहां तक कपड़ों एवं घरेलू उपकरण मुफ़्त लेने के स्थान, बच्चों की देख-भाल के स्थल और क्लिनिक आदि भी हैं।
मार्गेट मेर्खले बवेरिया शरणार्थी शिविर में पांच साल तक स्वयं सेवक रही। हर हफ़्ते वे अन्य तीन स्वयं सेवकों के साथ गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों की सेवा करती हैं। महिलाएं हमें गर्भवतियों से संबंधित सवाल पूछती हैं। एक तरफ़ हम उन्हें यह बताती हैं कि शरण लेने के आवेदन के नतीजे का इन्तजार करते समय कब और किन किन विभागों से सामाजिक सहायता ले सकती हैं। दूसरी तरफ़ वे लोग हमारे यहां से गर्भवती कपड़ों और शिशुओं के सामान सहित जरूरी वस्तुएं ला सकती हैं। हमें लगता है कि जर्मनी में आने वाले शरणार्थियों की संख्या बाल्कन रेल मार्ग के टूटने के बाद कम नहीं हुई है। पहले की तरह हर हफ्ते हम करीब 20 से 25 गर्भवती महिलाओं का सत्कार करती हैं और हर हफ्ते करीब 5 शिशुओं का स्वागत करती हैं। यह संख्या बहुत ज्यादा है। हालांकि हमारे परामर्श करने का समय दोपहर को 1 बजे तक खत्म होता है, फिर भी वास्तव में हमें दोपहर के बाद 3 से 4 बजे तक काम करना पड़ता है। इतने ज़्यादा काम होने की वजह से मैं दफ्तर के गेट के बाहर भी नहीं जा पाती।
मार्गेट एक अकाउंटेंट हैं और उनके पास चिकित्सा संबंधी कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन वे अन्य स्वयं सेवकों की तरह एक अनुभवी जर्मन मां की हैसियत से गर्भवती महिलाओं की तनावपूर्ण भावना में शैथिल्य लाने की कोशिश करती हैं और उन्हें बताती कि जर्मन में बच्चे का जन्म देते समय किन किन सवालों पर ध्यान देना चाहिए।