नाइजीरिया से आयी जॉइस मुनिख के एक शरणार्थी शिविर में रहती है। एक महीने के बाद वह बच्चे को जन्म देगी। मुनिक शरणार्थी शिविर के कर्मचारियों ने उसे बवेरिया शरणार्थी शिविर जाकर परामर्श लेने की सुलाह दी। मैं पहली बार मां बनूंगी। मार्गेट ने मुझे बताया कि बच्चे को कैसे फ़ीड करना चाहिए। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि मैंने बच्चे के लिए जो प्रैम(गाड़ी) खरीदी है, वह ठीक नहीं है। क्योंकि उसमें बच्चा सिर्फ लेट सकता है। जो बच्चे के लिए ठीक नहीं है और तो और मार्गेट ने मुझे दवा लेने के कुछ सुझाव भी दिये।
मार्गेट ने जॉइस को कुछ नवजात शिशुओं की आवश्यक वस्तुएं भी दीं और बताया कि यदि कोई समस्या उभरतीं, तो कभी भी मार्गेट से संपर्क कर सकती है। मार्गेट ने बताया कि अब शरणार्थी शिविर में स्वयं काम करना उनके जीवन में एक अनिवार्य भाग बन चुका है। उन्हें यह काम बहुत पसंद है। इस काम से मुझे बहुत खुशी हुई। मैं गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों को सक्रिय ऊर्जा दे सकती हूं। मुझसे मिलने आयी ये महिलाएं शुरू में परेशानी में थीं। उन्हें पता नहीं था कि कहां से मदद मिलेगी। उन पर भारी दबाव था। हमारे पास आने के बाद हम कम से कम उन्हें कुछ बच्चों के कपड़े दे सकती हैं और उनका दबाव भी कम हो सकता है।
जर्मनी में शरणार्थी लहर पैदा होने के बाद शरणार्थी संबंधी कुछ प्रभाव वाली खबरें भी मीडिया में आती हैं, जिस पर लोग चिंतित हैं। इसकी चर्चा में मार्गेट ने कहा,निसंदेह जब लोगों ने मीडिया के माध्यम से जाना कि कोलोन के नव वर्ष समारोह में सामूहिक यौन उत्पीड़न शरणार्थियों द्वारा किया गया है या आतंकी हमलों में शरणार्थियों ने भाग लिया है, तो वे चिंतित ज़रूर हैं। लेकन मुझे लगता है कि शरणार्थियों में इन अपराधियों की संख्या बहुत कम है। उनमें से अधिकांश लोग शांतिप्रिय हैं। वे केवल शांत जीवन चाहते हैं। इसलिए मेरा विचार है कि जर्मनी को इन लोगों की शरण लेनी चाहिए।
लेकिन मार्गेट जैसे शरणार्थियों से प्रत्यक्ष संपर्क करने वाले लोग बहुत कम हैं। अधिकांश आम नागरिक शरणार्थियों से दूर रहने की कोशिश करते हैं। सामाजिक सुरक्षा के प्रति चिंता प्रकट करने के साथ साथ कुछ नागरिकों ने यह संदेह जताया क्या सरकार ने शरणार्थियों को बहुत ज्यादा सहायता दी है या नहीं। जर्मनी में एक नये जनमत संग्रह से जाहिर है कि करीब दो तिहाई जर्मन नागरिक चिंतित हैं कि शरणार्थियों को दी गयी सहायता से उनके जीवन पर असर पड़ेगा। इसमें उनकी फ़ीस महंगी हो सकती है। इसे लेकर म्यूनिख सामाजिक सहायता विभाग के शरणार्थी व प्रवासी मामलों की जिम्मेदारी एंड्रिया ने कहा कि आम नागरिकों को शरणार्थियों की सही स्थिति बताना जरूरी है। आजकल गलत खबरें आती रहती हैं। अनुभवों से पता चलता है कि इस वक्त हमें मौके पर जाकर लोगों को सही स्थिति बतानी चाहिए। हमें लोगों को यह बताना होगा कि शरणार्थियों को वास्तविक रूप से किस तरह मदद मिली है। तथ्य लोगों को खुद बता सकता है।
एंड्रिया का विभाग बवेरिया शरणार्थी शिविर समेत करीब 20 शरणार्थी शिविरों की जिम्मेदारी उठाता है। करीब 200 कर्मचारी विभाग में काम करते हैं। मार्गेट जैसे स्वयं सेवकों की संख्या तो 600 से ज़्यादा है। एंड्रिया की नज़र में शरणार्थी कार्य में कार्यरत सभी कर्मचारी, खास तौर पर स्वयं सेवक शरणार्थियों के प्रति नागरिकों की गलतफहमी को मिटाने में सक्रिय भूमिका अदा कर सकते हैं। ताकि लोगों को यह बताए कि शरणार्थियों ने अतिरिक्त संसाधान को नहीं छीना। उन्हें बुनियादी जीवन के लिए जरूरी मदद मिली है। यह पूरे समाज की स्थिरता की रक्षा और शरणार्थियों के स्थानीय समाज में शामिल करने के लिए लाभदायक होगा।