मनोज, श्रेया और दीवक न सिर्फ़ यहां चीनी संस्कृति और रीति-रिवाज़ सीखते हैं, बल्कि भारत की परंपरागत संस्कृति को चीन में भी लाते हैं। दिवाली और होली के दौरान वे कैम्पस में कार्यक्रम आयोजित करते हैं। वे चीनी विद्यार्थियों और अध्यापकों के साथ खुशी से भारतीय त्योहार मनाते हैं और आनंद उठाते हैं। वे चीनी छात्रों को क्रिकेट खेलना भी सिखाते हैं। हर वर्ष आयोजित होने वाली क्रिकेट प्रतियोगिता ताली विश्वविद्यालय में बहुत लोकप्रिय है।
"हरेक वर्ष में यहां पर एक स्पोर्ट्स कल्चर प्रोग्राम होते रहते हैं, तो हम लोग जो दक्षिण एशिया के हैं, हमारा क्रिकेट ज़्यादा अच्छा है, तो क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं। इससे हमारे संबंध घनिष्ठ बनते हैं।"
चीन में रहने की असुविधा की चर्चा में मनोज ने कहा कि पहले एक या दो वर्षों में खाना और भाषा उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी थी, लेकिन अब सब ठीक हो गए हैं। मनोज ने कहाः
"कुछ भी आप ख़रीदो, कुछ भी चीज़, खाना है, कपड़ा है, जूता है, थाओबाओ सबसे मशहूर वेबसाइट है, ऑनलाइन शॉपिंग पर आपको सब कुछ मिलेगा।"
दीपक को भी चीन में रहने की आदत हो चुकी है। उन्होंने कहाः
"पहले मैं बहुत डरा रहता था कि यहां मैं कैसे रहूंगा, लेकिन अब मुझे चीन बहुत अच्छा लगता है। अगर भारत और चीन की तुलना करें, तो चीन सचमुच बहुत सुंदर है, सफ़ाई बहुत ज़्यादा है। अगर मुझे मौका मिला, अगर मुझे अच्छा काम मिलेगा, तो मैं यहां पर काम भी करूंगा।"