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    संडे की मस्ती 2016-10-09
    2016-10-09 19:45:45 cri
    अखिल- हैलो दोस्तों...नमस्कार...नीहाओ...। आपका स्वागत है हमारे इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर

    सपना- और मैं हूं आपकी दोस्त सपना

    (Music)

    अखिल- दोस्तों, हर बार की तरह आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की.... इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं मनोरंजन और मस्ती की सुपर डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती, कहानी और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड और चाइनिज गानों का भी।

    (Music)

    अखिल- चलिए दोस्तों... आज हम आपको ले चलते हैं हमारे संडे स्पेशल की तरफ, जहां आज सपना जी पेश करेंगी एक खास रिपोर्ट

    सपना की रिपोर्ट: अलुनछुन जाति के मोरिकन लोक कला मंडली

    https://hindi.cri.cn/1153/2016/09/24/1s202687.htm

    अलुनछुन जाति चीन में अल्पसंख्यक जातियों में से एक है, जिनकी आबादी 8 हज़ार से ज्यादा है और मुख्य तौर पर भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश, हेलुंगच्यांग प्रांत के संगम स्थल पर महा शिंगआनलिंग और लघु शिंगआनलिंग पर्वत मालाओं में रहती है। भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के हुलुनबेर प्रिफैक्चर में अलुनछुन जातीय स्वायत्त लीग स्थापित है।

    अलुनछुन जाति अपनी अलुनछुन भाषा का प्रयोग करती है, जो आर्ताई भाषा व्यवस्था का एक अंग है। इस जाति की अपनी लिपि नहीं होने के कारण हान जाति की लिपि का इस्तेमाल करती है। "अलुनछुन" का मतलब "पर्वत पर रहने वाला" होता है। यह नाम छिंग राजवंश (1636—1912) के प्रारंभिक काल के ऐतिहासिक ग्रंथों में देखने को मिलता है। अलुनछुन लोगों का जीवन शिकार पर निर्भर करता है, साथ ही मछली पकड़ने का भी काम करते हैं। अलुनछुन पुरूषों के पास जानवरों की आदतें और जीवन नियम के बारे में खूब जानकारी होती है। उन्हें शिकार करने का खासा अनुभव होता है। इसलिए सभी अलुनछुन पुरूष श्रेष्ठ घुड़सवार और निशानेबाज होते हैं। 20वीं शताब्दी के 40 के दशक तक अलुनछुन जाति आदिम समाज में घूमंतू शिकारी का जीवन बिताती थी। जब कोई शिकार मिलता, तो कबीले में उसको बराबर हिस्सों में बांट दिया जाता था। इस जाति में आदिम समाज की साझा उपभोग और बराबर वितरण की आदत सुरक्षित थी। चाहे बूढ़े हो, या कमज़ोर, चाहे बीमार हो, या विकलांग, सभी लोगों को शिकार का एक भाग मिलता था। यहां तक कि इन लोगों को ज्यादा दिया जाता था। वर्ष 1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद अलुनछुन जाति ने सीधे तौर पर समाजवादी समाज में प्रवेश किया। वर्तमान में उनका अपना स्थाई निवास स्थान कायम हुआ है।

    अब अलुनछुन जाति जंगली जीवन से बाहर निकलकर जंगलों और जानवरों की रक्षा करने वाली जाति बन गयी है। अलुनछुन लोग बहुत बुद्धिमान है और वे शाल पेड़ के छाल से कपड़ा, जूता, बक्से, बाल्टी आदि विविध सुन्दर हस्तशिल्प वस्तुएं बनाने में निपुण हैं। इन चीजों पर रंगबिरंगी डिज़ाइन होती है और बहुत उपयोगी होती है। अलुनछुन जाति मान जाति के बराबर सामान धर्म में विश्वास करती है और प्रकृति की पूजा करती है।

    पहले अलुननछुन जाति के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी जंगल में शिकारी जीवन व्यतीत करते थे। लेकिन वर्तमान आधूनिक काल में उनका जीवन तरीके में बड़ा बदलाव आया है। आज, शिकारियों की संतान एक नए तरीके से पूर्वजों के जीवन-चिह्न को सुरक्षित करते हुए अपनी जाति की परंपरा और संस्कृति को विरासत में ग्रहण करते हुए उसका विकास करती है।

    बीसेक अलुनछुन पुरुष छोटे हिरन के चमड़े से बने वस्त्र पहनते हुए मंच पर गाते हुए नाच रहे हैं। नृत्य का तरीका बहुत सरल होता है। नाच-गान से वे अपनी जीवन की खुशियां व्यक्त करते हैं। इस नृत्य का परिचय देते हुए क्वान योंगकांग नाम के एक अलुनछुन पुरुष ने कहा:"'भालू से लड़ना'अलुनछुन जाति के प्रतिनिधित्व वाला गान-नृत्य है, जिसमें शिकारियों द्वारा शिकार किये जाने के बाद घर वापिस लौटने के माहौल का वर्णन किया जाता है। संपूर्ण कबीलाई लोग खुशियां मना रहे हैं। लोग आग का घेरा बनाकर'भालू से लड़ने'वाला नृत्य कर रहे हैं।"

    क्वान योंगकांग एक मध्यम आयु के अलुनछुन पुरुष है, जो मोरिकन लोक कला मंडली के अध्यक्ष हैं। अलुनछन जाति की भाषा में"मोरिकन"का मतलब"अच्छा शिकारी"या"बहादुर"होता है। मंच पर"भालू से लड़ने"के नृतक पेशेवर नतृक नहीं हैं। वे सब अलुनछुन जातीय स्वायत्त जिले के कुली कस्बे में अलुनछुन गांव के गांववासी हैं।

    "मरिकन लोक कला मंडली"की स्थापना वर्ष 2013 में हुई। उस समय अलुनछुन जातीय स्वायत्त जिले का कुली कस्बा अपनी स्थापना की जयंती की खुशियां मना रहा था। कस्बाई सरकार ने कुछ युवाओं के एक अभिनय दल का गठन किया। प्रदर्शन के बाद इन युवा लोगों के पास अभिनय दल जारी करने की इच्छा रही। कस्बाई सरकार के समर्थन में"मरिकन लोक कला मंडली"की स्थापना औपचारिक तौर पर हुई।

    शुरु में मंडली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इन युवा लोगों के पास घुमंतू जीवन का कोई अनुभव नहीं था। उन्हें अलुनछुन भाषा निपुण नहीं रही। यहां तक कि कुछ सदस्यों को अलुनछुन भाषा बोलने भी नहीं आती और साथ ही जातीय परंपरा के प्रति ज्यादा जानकारी भी नहीं थी। इस तरह कला मंडली ने स्वायत्त जिले के संस्कृति भवन से उन्हें गाना, नृत्य और जातीय परंपरा सिखाने के लिए शिक्षक बुलाया।

    अलुनछुन जाति की अपनी लिपि नहीं होने के कारण आम तौर पर शिक्षक शिष्य को फेस टू फेस भाषा सिखाते हैं। कला मंडली में अलुनछुन भाषा अच्छी तरह बोलने वाली दीदी वू श्योमिन शिक्षक के रूप में दूसरे सदस्यों को भाषा बोलने और अलुनछुन गीत नृत्य सिखाने लगा। दीदी वू ने कहा:"वर्तमान में हमारी जाति के युवक अच्छी तरह से अलुनछुन भाषा नहीं बोल सकते। उनके पास अलुनछुन भाषा बोलने का वातावरण भी नहीं है। इस तरह मुझे उन्हें धीरे-धीरे और एक-एक वाक्य पढ़ाना है।"

    "मरिकन लोक कला मंडली"अभ्यास करके अभिनय और प्रदर्शन करता है। स्थानीय सरकार मंडली के विकास पर ध्यान देते हुए उसका आर्थिक समर्थन भी करती है। सामाजिक कल्याण सांस्कृतिक प्रदर्शन में भाग लेने के लिए मंडली के सदस्यों को सरकार से भत्ता मिलता है। इसके साथ ही अभिनय के वस्त्र, संबंधित प्रदर्शन-सामग्री की खरीदारी का खर्चा कस्बाई प्रशासन ने भी किया। कूली कस्बा की उप प्रमुख पाई फिंगयिंग ने कहा:"हम ने वस्त्र, प्रदर्शन सामग्री खरीदने और बनने में पूंजी समर्थन किया। अगर मंडली को कुछ जानवर की खाल और भोजपत्र से बनी हुई वस्तुओं की आवश्यकता होती है, तो हम उसे कच्ची सामग्री प्रदान करते हैं।"

    वर्तमान में"मरिकन लोक कला मंडली"से प्रभावित होकर कूली कस्बा में कई 5-6 उम्र वाले बच्चों को अलुनछुन भाषा के लोकगीत आते हैं। मंडली ने कई अभिनय और प्रदर्शन के मंच में भाग लिया और दर्शकों की वाहवाही लूटी। इससे मंडली के सदस्यों के मन में विश्वास बढ़ा है। साथ ही उन्हें अपनी जातीय संस्कृति को विरासत के रूप में लेते हुए उसका आगे विकास करने का उत्तरदायित्व भी बढ़ गया।"मरिकन लोक कला मंडली"के अध्यक्ष क्वान योंगकांग ने कहा:"हमारा 'मरिकन लोक कला मंडली' न सिर्फ़ कूली कस्बा का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि बाहर जाकर प्रदर्शन के दौरान हम संपूर्ण अलुनछुन जाति का प्रतिनिधित्व भी करते है।"

    वर्तमान में अलुनछुन जाति की जनसंख्या केवल 8659 है। मंच पर अपनी जातिय नृत्य-गान प्रदर्शित करने वाले मंडली बहुत श्रेष्ठ हैं।"मरिकन लोक कला मंडली"उनमें से एक है। भविष्य की विकास योजना की चर्चा करते हुए मंडली के अध्यक्ष क्वान योंगकांग ने कहा कि वे मंडली में अधिक नए सदस्यों की भागीदारी चाहते हैं। नए नृत्य प्रोग्राम का अभ्यास करने को तैयार हैं। इसके साथ ही "मरिकन लोक कला मंडली"का और बड़ा उद्देश्य भी है। इसकी चर्चा करते हुए क्वान योंगकांग ने कहा:"हम देश के बाहर जाना चाहते हैं। ताकि सारी दुनिया हमारी अलुनछुन जाति के बारे में जान सके। हम उत्तर चीन की घुमंतू जाति है।"

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