गत वर्ष जुलाई में भारत के कुछ युवाओं ने "टेक्सी फैब्रिक""Taxi Fabric"नामक परियोजना शुरू की। उन्होंने टेक्सी को डिजाइन से जोड़कर टेक्सटाइल उत्पादकों का कैनवास बनाया और कैनवास पर कुछ कहानियों के चित्र बनाये। फिर उन्होंने इन टेक्सटाइल उत्पादकों का इस्तेमाल करके टेक्सी की छतों और कुर्सियों को सजाया।
अपनी संस्कृति के प्रति भारतीय लोगों को बहुत गर्व होता है।"टेक्सी फैब्रिक"इस माध्यम से लोगों को भारतीय शहरों में हुई कहानियां बता सकता है और और अच्छी तरह भारतीय संस्कृति का प्रसार कर सकता है।
आम तौर पर टेक्सी में कुछ डिजाइन होना स्वभाविक है, लेकिन डिजाइनर यह नहीं जानते हैं कि इसका बड़ा प्रभाव होगा। भारत में, खास तौर पर मुंबई में टैक्सी न केवल एक परिवहन का तरीका है, बल्कि स्थानीय शहरी संस्कृति का प्रतीक भी है। स्थानीय ड्राइवर टैक्सी बाजार में उपभोक्ताओं की और बड़ी मान्यता पाने के लिए आम तौर पर स्थानीय सजावटों को अपनी टैक्सी की कुर्सियों में सजाते हैं। लेकिन आम तौर पर ये सब लोगों पर गहरी छाप नहीं छोड़ते हैं। लेकिन टैक्सी को डिजाइन को जोड़ने से डिजाइनर टैक्सी को अद्धुत डिजाईन देने के साथ अपनी प्रतिभा भी दिखा सकते हैं। अब "टैक्सी फैब्रिक"को चले एक साल हो चुका है। यह कला परियोजना अभी भी चल रही है, इस दौरान अनेक श्रेष्ठ वर्क उभरे हैं। हरेक वर्क के पीछे एक अद्धुत कहानी है।