teatime160209
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अनिल- टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ... आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।
अनिलः दोस्तो, लीजिए, प्रोग्राम शुरू करते हैं।
सबसे पहले सभी श्रोताओं को चीनी नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। दोस्तो, आजकल चीन में उत्सव का माहौल है। तमाम लोग आजकल अपने परिजनों के साथ वसंत त्यौहार की खुशियां मना रहे हैं। एक बार फिर से आप सभी को मंकी ईयर यानी बंदर वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं।
दोस्तो, अब जानकारी देने का सिलसिला शुरू होता है। पहले बात भारत की करते हैं।
भारत की 45 साल से अधिक उम्र की 61 प्रतिशत कामकाजी आबादी अगले पांच साल में सेवानिवृत्ति चाहती है। हालांकि इनमें से 14 प्रतिशत मानते हैं कि वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। ज्यादातर की राय थी कि वे आर्थिक मजबूरियों की वजह से रिटायर नहीं हो सकते। यह निचोड़ है, वैश्विक बैंक एचएसबीसी के ताजा सर्वे का।
एचएसबीसी के 'स्वस्थ्य रहते हुए सेवानिवृत्ति नई शुरुआत अध्ययन' नामक शीर्षक से हुए हालिया सर्वे की मानें तो रिटायरमेंट की मंशा रखने वाले ज्यादातर लोगों का कहना है कि काम के दबाव से उनकी दिमागी और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि भारतीयों को शुरुआत से ही बचत पर ध्यान देकर सेवानिवृत्ति की योजना बनानी चाहिए।
रिटायर होने के बाद
-43 प्रतिशत लोग परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहते हैं।
-34 प्रतिशत यात्रा और अन्य रुचियों को पूरा करना चाहते हैं
-20 प्रतिशत दूसरा करियर या कोई अपना काम करना चाहते हैं
59 फीसदीः कार्य संबंधी दबाव तथा मुद्दों की वजह से रिटायर होना चाहते हैं। वहीं 27 फीसदीः शारीरिक-मानसिक सेहत पर काम के असर की वजह से।
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