गांव का प्रधान नोर्बू त्सरिंग
त्योको का अर्थ तिब्बती भाषा में झील का उद्गम है। गांव के सामने वेटलैंड से गुजरने पर एक छोटा जंगल पार करने के बाद आप ड्राक्सुम त्सो पहुंचते हैं। कुछ ही दूरी पर बर्फ से ढंके पहाडों पर पिघला पानी नीचे आकर त्सोको गांव के पास से होकर दक्षिण-पूर्वी तिब्बत की सबसे बड़ी झील ड्राक्सुम त्सो से बहता है। क्योंकि त्सोको गांव पर्यटन क्षेत्र के छोर पर है और वहां जाने का पक्का मार्ग नहीं है, आज तक बहुत कम पर्यटक वहां गए हैं। गांववासी बाहरी हस्तक्षेप के बिना बहुत शांत जीवन बिता रहे हैं। गांव में अधिकांश मकानों का इतिहास सौ वर्ष या कई सौ वर्ष पुराना है। उनके मकान का आधा भाग पत्थर का है और आधा लकड़ी का, जो एकदम परंपरागत तिब्बती शैली वाले के हैं। मकान की पहली मंजिल पत्थर और मिट्टी से बनी है, जबकि दूसरी मंजिल लकड़ी से बनी है। दूर से देखा जाए तो सफेद और भूरे रंग के मकान, घास मैदान और जंगल एक ही में ओत प्रोत है, जो एक सुंदर चित्र जैसा है। अब त्सोको गांव ड्राक्सुम त्सो क्षेत्र में एकमात्र ऐसा गांव है, जहां पुराने मकानों का सुधार नहीं हुआ है। नोर्बू त्सरिंग ने बताया:"हम पीढियों से यहां रहते आए हैं और हमें पुराने मकानों से लगाव है। बाहर के नये मकानों से हमारे पुराने मकान थोड़े पिछड़े हैं, लेकिन उनका उच्च ऐतिसाहिक महत्व है।"
वास्तव में पुराने मकानों की बड़ी संख्या और उनकी बेहद सुरक्षित स्थिति त्सोको गांव में मकानों की सुधार परियोजना लागू नहीं करने का एक कारण भी है। त्सोको गांव में अभी पर्यटन विकास नहीं हुआ है, इसीलिए वहां आदि प्राकृतिक पर्यावरण बना हुआ है। त्सोको वालों को वहां के पहाड़ों और नदी से बहुत प्यार है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पिछली सदी के अंत और वर्ष 2005 तक त्सोको गांव के लोगों ने स्वयं से तंबाकू और शराब छोड़ दिया और अब गांव में कोई भी तंबाकू और शराब का सेवन नहीं करता। नोर्बू त्सरिंग ने बताया:"यहां जंगल दर काफी ऊंची है। गांव के अधिकांश मकानों में लकड़ी होती है। अगर तंबाकू पीने से आग लगी, तो सारा गांव नष्ट होगा। इसके अलावा तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकर है औऱ शराब पीने के बाद मारपीट भी होती है। ऐसी घटना से बचने के लिए हमने स्वइच्छा से तंबाकू और शराब को छोड़ दिया।"
मुश्किल मार्ग के बावजूद कुछ न कुछ पर्यटक त्सोको की पुरानी इमारतों से आकर्षित हैं। वे यहां आकर असली तिब्बती रीति रिवाज़ों का अनुभव करते हैं। जुलाई और अगस्त में हर दिन गांव में तीन, चार पर्यटक साइकिल सवार आते हैं। गर्मजोशी के साथ गांववासी उनका स्वागत करते हैं और उन्हें मक्खन चाय पिलाते हैं।
स्थानीय सरकार अब त्सोको गांव के पुराने मकानों के सुधार पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अभीतक अंतिम फैसला नहीं लिया है। गोंबो ग्याम्डा काउंटी के विकास और सुधार आयोग के उपनिदेशक श्या वेइ फंग ने बताया कि इस गांव का इतिहास तीन-चार सौ वर्ष पुराना है। अधिकांश मकान वास्तव में खतरनाक मकान बन चुके हैं। अब सवाल यही है कि मकानों को अंदर से मजबूत बनाया जाए या पूरे गांव का स्थानांतरण कर फिर से निर्माण किया जाए ये अभी तय नहीं हुआ है।