कर्मा अपनी बेटी और बेटे के साथ
परिवार के अधीन चरागाह का अच्छी तरह प्रचालन किया जा रहा है। 5 बेटे-बेटियों ने उच्च स्तरीय शिक्षा पाई है। जीवन दिनों दिन बेहतर हो रहा है। बेटे-बेटी की नौकरी भी अच्छी है। घर में प्रमुख के रूप में तिब्बती चरवाहे कर्मा साम्टेन के मन में सुख का रस बहता रहता है।
कई सालों से कर्मा साम्टेन पारिवारिक चरागाह का प्रचालन करता है। वह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में नाछ्यु प्रिफेक्चर की नाछ्यु कांउटी के लुओ मा कस्बे में नम्बर 12 गांव का निवासी है। चरागाह के प्रचालन से कर्मा साम्टेन को अच्छा आर्थिक मुनाफ़ा मिला है। इसका श्रेय कर्मा साम्टेन खुद के विचार और परिश्रम को ही नहीं, तिब्बत में सरकार द्वारा किसानों और चरवाहों के प्रति किए गए समर्थन और लागू की गई उदार नीतियों को भी जाता है। कर्मा साम्टेन का चरागाह वर्ष 2009 में औपचारिक तौर पर स्थापित किया गया था। इसका परिचय देते हुए उसने कहा:
"सर्वप्रथम सरकार ने हमें दुग्ध उत्पादों की प्रोसेसिंग करने और बेचने की इमारत मुहैया करवाई और दुग्ध पदार्थों को बेचने वाले वाहन खरीदने में भी मदद की। इसके साथ ही सरकार हमें कुछ भत्ता भी देती है।"
सरकार की उदार नीति से कर्मा साम्टेन के अपने पारिवारिक चरागाह को मज़बूत गारंटी मिली है। पिछले कुछ वर्षों में नाछ्यु कांउटी में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश द्वारा लागू की जा रही पशुपालन से जुड़ी ढांचागत सुधार वाली नीति का कार्यान्वयन किया जा रहा है। कांउटी में घास-मैदान के प्रबंधन के लिए ठेके के रूप में जिम्मेदारी उठाने वाली व्यवस्था लागू की जा रही है। जिससे व्यापक चरवाहों को घास के मैदानों का संरक्षण करने और इसका उचित तरीके से प्रयोग करने की सक्रियता बढ़ गई है। वर्तमान में पूरी कांउटी में कर्मा साम्टेन जैसे कई व्यक्ति मौजूद हैं, जो समृद्ध जीवन बिताने लगे हैं। कर्मा साम्टेन के समृद्ध जीवन पाने का अनुभव बताते हुए नाछ्यु कांउटी में कृषि और पशुपालन ब्यूरो के कर्मचारी तोंग वेई ने कहा:"उसकी संगठनात्मक क्षमता बढ़िया है। दूसरा कारण ये है कि वह न सिर्फ़ स्वयं उत्पादित दुग्ध वस्तु बेचते है, बल्कि दूसरे चरवाहों द्वारा उत्पादित दुग्ध पदार्थों को भी इक्ट्ठा करता है। वह मुख्त तौर पर दुग्ध पदार्थ, दही, दूध जैसी वस्तुएं बेचता है। दुग्ध पदार्थों की बिक्री से साल में 4 लाख युआन की आय प्राप्त करते हैं। इसमें शुद्ध मुनाफ़ा करीब 2 लाख है।"