गायन वाचक《राजा गेसार》सुनाते हुए
《राजा गेसार》विश्व में सबसे लम्बा एतिहासिक महाकाव्य है। वह पुरानी तिब्बती जाति और मंगोलियाई जाति की लोक संस्कृति और मौखिक कहानी कला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।《राजा गेसार》का लम्बा इतिहास, महान ढांचा और प्रचुर विषय है, जिसे एक वीर रस की कविता मानी जाती है। महाकाव्य《राजा गेसार》तिब्बती जाति की प्रथाओं, कविताओं और कहावतों के आधार पर पैदा हुई कविता है, जो पुरानी तिब्बती जाति की संस्कृति की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है। 《राजा गेसार》महाकाव्य वर्तमान विश्व में रखी गई एकमात्र जीवित वीर रस की कविता है, जिसका लोग गान कर रहे हैं। अब नये संस्करण भी पैदा हो रहे हैं। अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार《राजा गेसार》महाकाव्य से जुड़ी कम से कम 120 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं और जिनमें कुल 15 लाख से ज़्यादा वाक्य हैं। जबकि विश्व में《होमर वीर कविता》में《इलियट》की कुल 24 पुस्तकें और 15 हजार से ज़्यादा वाक्य और《ओडिसी》की कुल 24 पुस्तकें और 12 हजार से ज़्यादा वाक्य हैं। विश्व में सबसे लम्बी ऐतिहासिक कविता भारत के ग्रंथ महाभारत के कुल 18 अध्याय हैं और 2 लाख से ज्यादा वाक्य हैं। वर्ष 2009 में《राजा गेसार》महाकाव्य विश्व की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल की गई है।
विश्व में सबसे लम्बे मौखिक ऐतिहासिक महाकाव्य के रुप में《राजा गेसार》विरासत में लेते हुए उसका विकास पीढ़ी दर पीढ़ी वाले तिब्बती लोगों के जुबानों से किया जाता है, गायन वाचन कला के रुप में《राजा गेसार》का इतिहास अब तक एक हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है।