"मैं कानसू प्रांत के लानचो शहर से हूं। मैं थ्येनजिन नॉर्मल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र कॉर्समें स्नातक हूं। पिछले साल मैं स्वयंसेवक बनने के लिए तिब्बत आई थी। शुरूआत में हम कुल 50 स्वयंसेवक थे, लेकिन अब आली प्रिफैक्चर में सिर्फ 29 ही रह गये हैं। यहां एक कहना है कि तिबब्त आकर काम करना माता-पिता, बच्चे और खुद के लिए अन्याय है।"
डेंग युज्वान के परिवार में चार लोग हैं, उसके माता-पिता और एक बड़ा भाई। वे सब उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत की राजधानी लानचो में खेती करते हैं। उसका भाई उससे दो साल बड़ा है, उसने हाईस्कूल पास की है।
"क्योंकि मेरा बड़ा भाई घर पर है, मेरे माता-पिता बिल्कुल भी नहीं चाहते कि मैं एक कमज़ोर लड़की बनूं, इसलिए उन्होंने मुझे तिब्बत जाकर स्वयंसेवक बनने की मंज़ूरी दी। पहले साल में, मैं डाक्यूमेंटेशन का काम करती थी, जैसे फ़ाइलें प्राप्त करनी और भेजनी। उसके बाद छात्रों की फाइलों को ठीक तरह से प्रबंध करने का काम किया, बाद में मैं एक हेड टीचर भी बनी। ये सब सरल काम थे। हर रोज़ मैं साढ़े 5 घंटे काम करती हूं, बाकी समय लिखने का अभ्यास करती हूं, गिटार बजाती हूं, किताब पढ़ती हूं। ज्यादातर समय में मैं किताब पढ़ती हूं।"
हाल में डेंग युज्वान गिटार बजाना सीख रही है। उसने ऑनलाइन शॉपिंग से एक गिटार खरीदा, लेकिन एक महीने बाद उसको डिलिवर हुआ। आली प्रिफैक्चर में ऑनलाइन शॉपिंग की एक्सप्रेस डिलिवरी में बहुत समय लगता है। गर्मियों में सबसे तेज़ी से भी 2 हफ्ते लगते हैं। सर्दियों में अगर बर्फ जमी हो, तो एक या दो महीने भी लग जाते हैं। कभी ऑनलाइन शॉपिंग से जो खाने की चीज़े मंगवाई जाती है, पहुंचते समय ही एक्सपाइरी डेट निकल जाती है।
"मेरा वेतन प्रति माह 3149 युआन है, केंद्रीय सरकार से 1000 युआन मिलते हैं और प्रदेश सरकार से 2149 युआन। यहां चीज़ों कीकीमत बहुत ज्यादा है, टॉयलेट पेपर खरीदने में भी 100 युआन लगते हैं। मूवी टिकट सस्ती है, जो 40 युआन है। यहां मेरा जीवन न तो अमीरी में गुजरता है और न ही गरीबी में"