सुंदर छिंगहाई-तिब्बत पठार में सात बहनों द्वारा तिब्बती ऑपेरा का प्रदर्शन करने वाली पौराणिक कथा लोकप्रिय है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में तिब्बती बौद्ध धर्म के गेग्यु संप्रदाय के भिक्षु थांगतुंग ज्याल्पू तिब्बती जनता के जीवन में सुविधा के लिए छिंगहाई तिब्बत पठार में विभिन्न नदियों पर पुलों का निर्माण करना चाहते थे। उन्होंने पुल के निर्माण के लिए पूंजी जुटाते थे, लेकिन शुरू-शुरू में कई सालों तक वे सफल नहीं हुए। बाद में थांगतुंग ज्यालपू ने धार्मिक अनुयायियों में सुन्दर, बुद्धिमान और गाना नाचने में निपुण सात लड़कियों को एकत्र कर ऑपेरा दल की स्थापना की, वे धार्मिक प्रथाओं के विषय पर सरल नाच गान रच कर प्रस्तुत करते थे और ऑपेरा प्रदर्शन दौरा करते थे। उन्होंने इस प्रकार के आपेरा से धन राशि जुटायी और पुलों का निर्माण किया। यह था तिब्बती ऑपेरा का आरंभ। इस तरह लोग थांगतुंग ज्याल्पू को तिब्बती ऑपेरा के प्रथम गुरू मानते हैं। इन सात लड़कियों के प्रति दर्शकों ने सोचा कि वे स्वर्ग से आई परियां हैं। इसलिए उन्हें"अजीराम"कहते हैं, जिसका अर्थ परी होता है। इसके पश्चात तिब्बती ऑपेरा को"अजीराम"कहा जाने लगा। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के दौरे में हमारे संवाददाता की मुलाकात तिब्बती ऑपेरा को विरासत के तौर पर सहेजने वाले लोग से हुई।
तिब्बती ऑपेरा तिब्बती जाति के ऑपेराओं का सामूहिक नाम है। छिंगहाई-तिब्बत पठार में भिन्न-भिन्न प्राकृतिक स्थिति, रीति-रिवाज, संस्कृति व परंपरा तथा स्थानीय भाषाओं के कारण तिब्बती ऑपेरा के अलग-अलग प्रकार और भिन्न-भिन्न शाखाएं होते हैं। अम्डो तिब्बती बहुल क्षेत्र में तिब्बती ऑपेरा भी"नमथार (rnam-thar)"जाना जाता है। अंम्डो तिब्बती बहुल क्षेत्र दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के आबा तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर, उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर और छिंगहाई प्रांत के यूशू तिब्बती प्रिफेक्चर और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछुय प्रिफेक्चर शामल है। जो छिंगहाई तिब्बत पठार के उत्तर पूर्वी भाग स्थित है।
नमथार तिब्बती ऑपरा की शुरुआत बौद्ध मठों में हुई थी, धीरे-धीरे इसका विकास होता गया और एक समय बाद ये आम लोगों के जीवन में अपनी जगह बनाने में सफल रहा। यह पारंपरिक तिब्बती संस्कृति का एक विशेष भाग है, जिसे चीनी राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष की नामसूचि में शामिल किया गया है। नमथार तिब्बती ऑपरा के विषय में अधिकतर ऐतिहासिक व्यक्तियों की कहानी, लोकप्रिय कथाओं में वीरों की कहानियां शामिल हैं।
सांग्डोंग तिब्बती जातीय कला अनुसंधान संस्थान के उप अनुसंधानकर्ता हैं, साथ ही वे तिब्बती ऑपेरा से जुड़े जातीय विज्ञान का अध्ययन करने वाले पीएचडी हैं। उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर में जन्मे सांग्डोंग बचपन से ही अम्डो तिब्बती ऑपेरा से परिचित हैं। विश्वविद्यालय में वे तिब्बती ऑपेरा से संबंधित अध्ययन कर रहे हैं। इसलिए वे अम्डो तिब्बती ऑपेरा और पारंपरिक तिब्बती ऑपेरा गहन रूप से समझते हैं। इसका परिचय देते हुए सांग्डोंग ने कहा:
"वास्तव में अम्डो तिब्बती ऑपेरा तिब्बत से आता है। पहले, हर साल श्वेतन महोत्सव के दौरान कई तिब्बती ऑपेरा समूह ल्हासा में मिलकर प्रदर्शन करते थे। इस अवसर पर कान्नान स्थिति लाब्रांग मठ के तमाम भिक्षु सीखने और आदान प्रदान करने ल्हासा स्थित ड्रेपुंग मठ आते थे। इसी दौरान जो तिब्बती ऑपेरा प्रदर्शित किया जाता है, उससे वे बहुत प्रभावित होते थे। लाब्रांग मठ लौटने के बाद वे तिब्बती ऑपेरा का अपने जन्मस्थान में प्रसार करना चाहते थे।"