तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण केंद्र
अम्डो तिब्बती बहुल क्षेत्र में लाब्रांग मठ चौथी पीढ़ी के लिनछांग जीवित बुद्ध रहते थे, जो पेइचिंग ऑपेरा पर बहुत दिलचस्पी रखते थे। वे हर साल सर्दियों में पेइचिंग जाते थे और पेइचिंग ऑपेरा के महा स्वामी मेइ लानफ़ांग से भी मिल चुके थे। कान्नान वापस लौटने के बाद उन्होंने पेइचिंग ऑपेरा में अभिनय के कुछ तरीके तिब्बती ऑपेरा में जोड़ा। 5वीं पीढ़ी के च्यामूयांग जीवित बुद्ध खांझी वासी थे। उन्होंने खांझी नृत्य में अभिनय के कुछ तरीके भी तिब्बती ऑपेरा में जोड़ा। परिणामस्वरूप, अम्डो तिब्बती ऑपेरा तिब्बत के"अजीराम", पेइचिंग ऑपेरा और खांगपा तिब्बती बहुल क्षेत्र का नृत्य मिलकर एक विशेष शैली वाला ऑपेरा बन गया है।
यहां बता दें, कि खांगपा तिब्बती बहुल क्षेत्र चीन में तीन तिब्बती बहुल क्षेत्रों में से एक है, जिसमें आज तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छांगतु प्रिफेक्चर, सछ्वान प्रांत के कानची और आबा तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर, छिंगहाई प्रांत के यूशू तिब्बती प्रिफेक्चर और युन्नान प्रांत के दिछिंग तिब्बती प्रिफेक्चर शामिल हैं। खांगबा क्षेत्र का इतिहास बहुत पुराना है, जो प्राचीन समय में छिंगहाई तिब्बत पठार में एक अहम क्षेत्रीय सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है।
तिब्बती जातीय कला अनुसंधान संस्थान के उप अनुसंधानकर्ता सांग्डोंग ने जानकारी देते हुए कहा:
"क्योंकि लाब्रांग मठ भीतरी इलाके से नज़दीक स्थित है, जहां आसानी से भीतरी इलाके की संस्कृति की जानकारी हासिल कर सकते हैं। बहुधा सांस्कृतिक आदान-प्रदान करते हुए सांस्कृतिक सामग्री एकत्र हो जाती है, जिससे वह अपनी विशेषता बन जाती है।"
लम्बे समय में डॉक्टर सांग्डोंग जातीय विज्ञान और मानविकी विज्ञान की दृष्टि से पारंपरिक तिब्बती ऑपेरा के इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में लगे हैं। हालांकि वे कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर में पैदा हुए और वे अम्डो तिब्बती ऑपेरा से ज्यादा परिचित हैं, फिर भी वे अपनी शक्ति से पारंपरिक तिब्बती ऑपेरा को आगे ले जाना चाहते हैं। तिब्बती ऑपेरा को और अच्छी तरह समझने के लिए वे साप्ताहिक तौर पर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कला हाउस में तिब्बती ऑपेरा समूह के शिक्षकों के साथ तिब्बती ऑपेरा का गायन तरीका भी सीखते हैं।
बुछून्ग सांग्डोंग के शिक्षक हैं, जो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के तिब्बती ऑपेरा मंडली में वरिष्ठ एक्टर हैं। वे 35 सालों से तिब्बती ऑपेरा का अभिनय करते आए हैं। वर्तमान में वे स्थानीय सरकार के समर्थन से कला हाउस में तिब्बती ऑपेरा गायन प्रशिक्षण क्लास खोलकर तिब्बती युवाओं को निःशुल्क तिब्बती ऑपेरा सिखाते हैं। बुछून्ग ने कहा:
"प्राइमरी स्कूल में पहले से तीसरे ग्रेड के बच्चे अच्छी तरह से पेइचिंग ऑपेरा या सछ्वान ऑपेरा गा सकते हैं। लेकिन क्या हमारे तिब्बती ऑपेरा ऐसे कर सकते हैं?बच्चे इसे समझ नहीं पाते। आजकल तिब्बत स्वायत प्रदेश के कला हाउस में विशेष रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन होता है, जहां युवाओं के लिए राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत सीखने का अच्छा मौका होता है। मैं खुद उन्हें सिखाना चाहता था, किंतु मेरे पास जगह नहीं है, इसलिए मैं नहीं सिखा सकता। अब मैं बहुत खुश हूं कि उन्होंने प्रशिक्षण का आयोजन किया, मैं उन बच्चों को आगे सिखाना चाहता हूँ।"