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संडे की मस्ती 2015-06-28
2015-07-03 16:35:55 cri

दोस्तों, सीआरआई हिन्दी विभाग के कर्मी श्याओ वान, जिनका हिन्दी नाम दिनेश है, वो भी महाभारत सिरियल को बहुत ही दिलचस्पी के साथ देखते है, उनका कहना है...

दोस्तों, नये महाभारत सीरियल में Animation, Costume, screenplay आदि में बहुत हद तक experiment किया है। कहानी दिखाने के तरीके में भी पुराने महाभारत सिरियल से भिन्न है। इस पर सीआरआई हिन्दी विभाग के चीनी कर्मी रमेश ने अपने विचार रखते हुए कहा...

अखिल- दोस्तों, रामायण और महाभारत जैसे टीवी सीरियल के नए संस्करण देखने के पीछे दर्शकों पर दूरदर्शन पर प्रसारित संस्करण का दबाव तो अनिवार्य रुप से काम करता ही है. वो उन तमाम नए प्रयोगों और भव्यता को इस बात के पीछे नजरअंदाज कर जाता है कि ये दूरदर्शन से बेहतर है कि नहीं. नतीजा, अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद निजी चैनलों पर प्रसारित ऐसे मिथकीय सीरियल अमूमन मार खा जाते हैं.

लेकिन स्टार प्लस पर शुरु हुए महाभारत अपनी इस कोशिश में सफल नजर आता है कि इसे दूरदर्शन के संस्करण से न केवल अलग करके देखा जा सकेगा बल्कि इसके देखने की वजह भी साफतौर पर अलग होगी.

 यदि हम इस नये महाभारत को नुक्ता नजर से देखें तो कई बाते सामने निकल कर आती है.... पहली बात तो ये कि चैनल को समझ है कि इसे 2013 में उस पीढ़ी के लोग देख रहे हैं जिनके पास इंतजार का धैर्य नहीं है. लिहाजा, कहानी काफी तेजी से आगे बढ़ रही है. इसे आप महाभारत का बुलेट फार्म कह सकते हैं. दूसरा कि एनीमेशन को लेकर इस सीरियल ने एक नया प्रतिमान खड़ी करने की कोशिश की है और इस आधार पर आनेवाले समय में ये महाभारत बाकी मिथकीय सीरियलों के लिए तुलनात्मक सामग्री बनने जा रहा है. ये एक बड़ी वजह होगी कि कार्टून चैनलों के दर्शकों के अलावे ऐसे दर्शकों भी संख्या बढ़ेंगे जिनकी दिलचस्पी हॉलीवुड फिल्मों में एनीवेशन और साउंड-लाइट के कारण रही है.

 दूसरा कि कुछ नहीं तो हिंग्लिश शब्दों की बाढ़ के बीच तत्समी हिन्दी में महाभारत के संवाद एक खास किस्म का आकर्षण पैदा करते हैं. ये अलग बात है कि शब्दों के चयन में स्क्रिप्ट पर इस बात पर बहुत बारीकी से मेहनत नहीं की गई है जिससे कि शब्दों के जरिए उस महाभारत का परिवेश रच सके जो हजारों सालों की कथा की ओर ले जाते हैं. कहीं जल तो कहीं पानी हो जा रहा है. कहीं पवन तो कहीं वायु हो जा रहा है. शब्दों की एकरुपता नहीं होने से जो ऐसी हिन्दी के अभ्यस्त नहीं हैं वो नए सिरे से ऐसे शब्दों को बरतना चाहें तो खासा दुविधा में पड़ेंगे.

 स्टार प्लस के महाभारत का सबसे कमजोर पक्ष चरित्रों की डायलॉग डिलवरी में हैं. इनके संवादों को सुनने से अगर अगर शब्दों को छोड़ दें तो उच्चारण करने के तरीके से कहीं से नहीं लगता कि वो सास-बहू सीरियलों से अलग एक मिथक कथा को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. ये डिलवरी ये रिश्ता क्या कहलाता है या पवित्र रिश्ता के आसपास लगते हैं जबकि दूरदर्शन के महाभारत की सिर्फ ऑडियो सुनें तो भी आप इसके मिथकीय होने का सुख ले सकते हैं. जो महाभारत सप्ताह में एक दिन प्रसारित हुआ करता था अब वो सप्ताह में पांच दिन प्रसारित हो रहे हैं, ऐसे में ये कमजोरी खासतौर पर उभरकर आएगी.

इस धारावाहिक के प्रोड्यूसर सिद्धार्थ कुमार तिवारी का कहना है इस कार्यक्रम में कुल भारतीय रुपया 100 करोड़ लागत आई है और मार्केटिंग में भारतीय रुपया 20 करोड़ खर्च हुआ। इसी के साथ यह धारावाहिक भारतीय टेलीविजन इतिहास का सबसे मँहगा धारावाहिक बन गया।

दोस्तों, यदि आपने नए धारावाहिक "महाभारत " को किसी कारण से टीवी पर नहीं देख पाए हैं, या इसके पुराने एपिसोड देखना चाहते हैं तो आप इन्टरनेट पर "स्टार टीवी" कि वेबसाइट पर इसके नए पुराने सारे एपिसोड फ्री में देख सकते है।

लिली- चलिए दोस्तों... अब बढ़ते हैं हमारे अजीबगरीब और चटपटी ख़बरों की तरफ

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