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    संडे की मस्ती 2015-06-21
    2015-06-18 10:54:12 cri

    अखिल- दोस्तों, चीन में इन दिनों एक नए ट्रेंड का प्रचलन है। चीन के लोग आजकल 'बेली बटन चैलेंज' ले रहे हैं। ये प्रचलन चीन की लड़कियों में इस कदर छाया हुआ है कि वो इसके साथ अपनी तस्वीरें भी पोस्ट कर रही है। इस चैलेंज के इंटरनेट पर खूब चर्चे हो रहे हैं।

    दरअसल, इस चैलेंज के मुताबिक आपको अपने एक हाथ को पीठ के पीछे से ले जाते हुए अपनी नाभि को छूना है। चाइनीज सोशल मीडिया के मुताबिक अगर आप ऐसा नहीं कर पाए तो आप या तो जरूरत से ज्यादा मोटे हैं या फिर आपकी बॉडी उतनी फ्लेक्सिबल नहीं है।

    हालांकि ऐसी किसी रिसर्च की पुष्टि नहीं हुई है, जिसके मुताबिक यह चैलेंज आपकी हेल्थ नापने का जरिया हो। फिर भी, चीन में जितनी तेजी से लोग इस चैलेंज को स्वीकार रह रहे हैं, उसे देखते हुए वहां के लोगों (खासतौर से लड़कियों) की स्लिम होने की चाहत उजागर होती है।

    वेबसाइट द ग्लो में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह का चैलेंज आपके शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इस चैलेंज को पूरा न कर पाने का यह मतलब बिलकुल नहीं है कि आप मोटे हैं, या फिर आपकी सेहत सही नहीं है। यह सब बस प्रैक्टिस और फ्लेक्सिबिलिटी का नतीजा है। सबका शरीर एक जैसा नहीं होता। अगर आप एक बार में ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो प्रैक्टिस करने से आप ऐसा कर सकते हैं।

    अखिल- दोस्तों, अब आप समझ ही गए होंगे कि यह चैलेंज क्या है और हम यह भी जानते हैं कि इस ख़बर को सुनने के बाद आप भी कम से कम एक बार तो इसे ट्राई करेंगे ही।

    श्याओयांग- दोस्तों, इस गांव में कभी यहां भी लोग रहते थे, तथा मछलियां पकड़ कर अपना कारोबार चलाते थे, लेकिन प्रकृति ने लोगों ने इसे छीन लिया। आज ये गांव सुंदरता के मामले में वंडरलैंड बना हुआ है। बात कर रहे है कि चीन के समुद्र तट के साथ लगते शंगशान द्वीप के इस गांव की। एक अंग्रेजी वेबसाइट में प्रकाशित खबर के मुताबिक कभी यहां भी लोग रहते थे। तस्वीरों में देख सकते हैं कि ये गाव आज कैसे बदल गया है। लोगों के घरों पर प्राकृतिक घास ने कब्जा जमा लिया है, तथा सारा गांव जंगल सा नजर आ रहा है।

    आपको बता दें कि ये चीन के तटीय झेजियांग प्रांत का यह शंगशान गांव 400 द्वीपों में से एक है। शंगशान द्वीप चीन के यांग्त्ज़ी नदी के मुंह और ज़्हौशन द्वीप समूह के हिस्से में स्थित हैं। 500 वर्ग मीटर व 394 द्वीपों के शामिल है। इस द्वीप के गांव की तस्वीरों को गोकि द्वीप के एक फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में कैद किया है।

    अखिल- दोस्तों, चीन में आए दिन अजीबो-गरीब मामले सुनने को मिलते रहते हैं। इस बार चीनी डॉक्टरों ने एक आदमी के गुर्दे से 420 पत्थर निकाले हैं।

    छियानच्यांग इवनिंग पोस्ट अखबार के अनुसार, पूर्वी झ़ेजियांग प्रांत में डोंगयांग के एक अस्पताल में 2 घंटे चले ऑपरेशन के दौरान ही आदमी के गुर्दे से यह पत्थर निकाले गए। अस्तपाल के डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के भारी मात्रा में टोफू खाना और कम पानी पीना इसकी वजह हो सकती है।

    ही नाम का शख्स मई महीने में डॉक्टर के पास पेटदर्द की शिकायत लेकर गए थे। उसके बाद हुए सीटी स्कैन में पता चला कि उनका बायां गुर्दा पत्थरों से भरा हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर ही ने कुछ देर और की होती तो उनके गुर्दे को निकालना पड़ता।

    आपको बता दें कि हालांकि गुर्दे में 420 पत्थर बहुत भारी संख्या लगती है लेकिन यह विश्व रिकॉर्ड से बहुत कम है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, 2009 में भारत में एक डॉक्टर ने 3 घंटे के ऑपरेशन के दौरान एक मरीज के बाएं गुर्दे से 1,72,155 पत्थर निकाले थे।

    श्याओयांग- दोस्तों, आपने कभी सोचा है, हम दूसरों की मदद क्यों करते हैं ? हम अक्सर किसी उम्मीद के बिना दूसरों की मदद करते हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार इसके लिए हम एक खास जैविक प्रक्रिया का धन्यवाद कर सकते हैं जो हमें एकजुट रहने के लिए प्रेरित करता है। पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन की एक शोधकर्ता क्रिस्टीना मार्कवेज के अनुसार, ''हम किसी वृद्ध को सड़क पार कराने के लिए कभी संकोच नहीं करते इसी को समाजिक व्यवहार कहा जाता है।''

    सामाजिक व्यवाहर का अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में चूहों के व्यवहर का अध्ययन किया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि सामाजिक व्यवहार परोपकारी कृत्य से बिल्कुल अलग है। माकर्वेज ने बताया, ''अपने प्रयोग में हमने चूहों की जोड़ी को अलग-अलग भूमिका दी। इसमें एक को मदद करने वाले जबकि दूसरे को उसके साझीदार के तौर पर भूमिका दी गई। मदद करने वाला विकल्प तलाशने के लिए स्वतंत्र था।''

    माकर्वेज ने बताया कि प्रयोग को तौर पर एक विकल्प में एक चूहे के लिए दरवाजा खुला हुआ था जहां खाने का इनाम खुद को ही दिया जाना था। वहीं, दूसरे विकल्प के तौर पर दूसरा दरवाजा खुला हुआ था, जहां दोनों चूहों के लिए भोजन रखे थे। इस प्रयोग में शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादातर चूहे दूसरे विकल्प की ओर आकर्षित हुए। मार्कवेज के अनुसार 15 चूहों में से केवल एक ने पहले विकल्प पर गौर किया। तो इसका मतलब है कि चूहे भी मनुष्य के उच्च सिद्धांत का पालन करते हैं, या मनुष्य चूहों के साथ कुछ बुनियादी सामाजिक सिद्धांत साझा करते हैं?

    इस शोध का नेतृत्व करने वालीं मार्ता मोइटा का कहना है कि सामाजिक होना चूहों और मनुष्यों के लिए कई स्थिति में लाभाकारी है। साधारण जैविक प्रक्रिया जैसे जब समूूह के सदस्य पुरस्कार प्राप्त करते हैं तो साकारात्मक भाव या दूसरे के लिए संवेदनशील होना आदि बातों से व्यक्तिगत लाभ भी हो सकता है।

    अखिल- दोस्तों, अभी समय हो गया है एक हिन्दी गाना सुनने का, आइए.. सुनते हैं यह हिन्दी  सोंग, उसके बाद आपको बताएंगे ऑनलाइन जॉब के लिए 7 खास बातें

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