भारतीय मूल के डेनियल मुखी पवित्र हिंदू धार्मिक ग्रंन्थ भागवद गीता को साक्षी मानकर संसद की सदस्यता की शपथ लेने वाले आस्ट्रेलिया के पहले राजनेता बन गए हैं। मुखी न्यू साउथ वेल्स के ऊपरी सदन में पहुंचने वाले भारतीय मूल के भी पहले व्यक्ति हैं। लेबर पार्टी की ओर से चुने गए डेनियल मुखी (32) स्टीव व्हान का स्थान लेंगे।
डेनियलने कहा, यह एक अतुलनीय सम्मान है। उन्होंने कहा, ''यह बहुत सम्मान की बात है और मुझे इस बात की खुशी है कि मैं गीता पर हाथ रखकर निष्ठा की शपथ लेने वाला पहला आस्ट्रेलियाई राजेनता बनने जा रहा हूं।'मुखी ने कहा कि गीता बाइबल और कुरान की तरह विश्व के महान धार्मिक ग्रंथों में से एक है। उन्होंने कहा कि वह इस मुकाम पर इसलिए पहुंचे हैं क्योंकि आस्ट्रेलिया मेरे माता पिता जैसे लोगों के योगदान का स्वागत करता है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि वह एनएसडब्ल्यू के ऊपरी सदन में मजबूती से अपनी बात रखेंगे और लोगों की भलाई के लिए काम करेंगे। मुखी के माता पिता 1973 में पंजाब से ऑस्ट्रेलिया आए थे। ब्लैकटाउन में जन्मे मुखी के पास यूनिवर्सिटी की तीन डिग्रियां हैं और वह इस समय संघों, चैरिटी और सामुदायिक समूहों के सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं।
लिली- अरे वाह, दाद देनी पड़ेगी डेनियल मुखी जी को, जो ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए भी अपनी जड़ो से जुड़े हुए हैं।
अखिल-आइए.. दोस्तों, हम आपको रेडियो मिर्ची के नावेद का एक ओडियो सुनवाने जा रहे हैं, जिसने हमारे आंखे खोल दी है। आइए.. सुनते हैं...
अखिल- दोस्तों, इस बात पर जरूर गौर कीजिएगा। उम्मीद है कि मुसीबत की इस घड़ी में आप सब भी मदद के लिए आगे आए होंगे। चलिए, अभी मैं आपका एक चायवाले के वेब डेवलपर बनने की कहानी सुनाने जा रहा हूं।
दोस्तों, 30th March को Shaadi.Com के CEO Anupam Mittal ने tweet किया "@ShaadiDotCom के लिए गर्व का दिन. 10 साल पहले हमने जिस छोटू चायवाले को बतौर peon hire किया था उसे कल as a वेब डेवलपर प्रमोट कर रहे हैं." शायद ही इससे पहले किसी entry -level employee की hiring के बारे में किसी कंपनी के CEO ने इस तरह tweet किया होगा … दोस्तों , वो चायवाला था राजू … राजू यादव, जिसने न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया था बल्कि करोड़ों और आँखों को भी सपने देखने की हिम्मत दे डाली थी … आइये आज हम उसी चायवाले के बारे में जानते हैं :
14 साल का राजू हजारीबाग, बिहार (अब झारखंड) में अपने माता -पिता और दो भाइयों के साथ रहता था. जब वो क्लास 6th में था तभी उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, वजह थी परिवार पर हज़ारों का कर्ज और parents की खराब तबियत. राजू भाइयों में सबसे बड़ा था और परिवार की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने का दबाव उस पर आ पड़ा. पैसा कमाने की चाहत उसे Worli, Mumbai ले आई , जहाँ वो अपने एक Uncle, जो कि taxi चलाते थे, के साथ रहने लगा .
जल्द ही राजू 2000 की नौकरी पर एक चाय की दुकान पर लग गया. जगह थी मुंबई का चीरा बाजार. वह रोज सुबह 5 बजे काम पर लग जाता और आस -पास की दुकानो और offices में चाय पहुंचता, उन्ही में से एक Sagaai.Com का भी ऑफिस था, जो बाद में Shaadi.Com के नाम से जाना जाने लगा .
जब राजू से किसी रिपोर्टर ने पुछा , " क्या ये सब करना कठिन नहीं था?" तो वह कहते हैं ,"था , पर मैंने इसे ऐसे नहीं देखा, मेरे पास एक job थी और मैं घर पर पैसे भेज पा रहा था.."
राजू को बतौर चायवाला काम करते अभी कुछ ही महीने हुए थे कि किसी ने उसे Sagaai.Com के ऑफिस में में छोटे -मोटे काम करने का offer दे दिया. राजू ने कुछ सोचा और इस काम के लिए तैयार हो गया. अब उसे पहले से 500 रुपये अधिक मिलने लगे और टाइम भी कम देना होता था.
राजू Shaadi.Com के staffs को चाय देना, पानी की bottles बदलना, cheque जमा करना जैसे काम करने लगा. छोटी उम्र में ये सब करते देख कई लोग उसे आगे पढ़ने की सलाह देते.
राजू का कहना है, " जब मैं Mumbai आया तो मुझे एहसास हुआ कि शिक्षा से बहुत फर्क पड़ता है कि लोग कैसे रहते और काम करते हैं. मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहता था. मुझे लगा कि Shaadi.Com पर मैं अपने सपने पूरे कर पाउँगा."
जब राजू से पुछा गया कि office के छोटे -मोटे काम करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई कैसे पूरी की तो उसने बताया, " मुझे पता था कि मैंने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की है, मैं 6th standard drop-out था. मैं छुट्टियों में झारखण्ड अपने घर जाया करता था …एक बार मैंने वहां district school में खुद को क्लास 10th में enrol करा दिया और course की किताबें Mumbai लेकर आ गया. अपने पहले attempt में मैं fail हो गया पर दूसरी बार में मैंने 61% नंबरों के साथ 10th पास किया, और फिर 47% नंबरों के साथ 12th की भी पढ़ाई पूरी की ."
Shaadi.Com के ऑफिस में बहुत से वेब डेवलपर्स थे और उन्हें काम करते देख राजू के मन में भी वेब डेवेलपमेंट सीखने की इच्छा जागी. ऑफिस ने भी उनकी मदद की और वहां देर तक रुक कर पढ़ना allow कर दिया. अब हर रोज काम करने के बाद राजू ऑफिस में बैठे-बैठे ऑनलाइन कोर्सेज किया करता थे और समस्याएं आने पर अगले दिन स्टाफ से पूछ लिया करता था. ये उसकी कड़ी मेहनत और कभी हार ना मानने के ज़ज़्बे का ही नतीजा था कि वे वेब डेवलपमेंट की बारीकियां सीख पाया और जब Shaadi.Com में opening आई तो उसके लिए apply करने की हिम्मत जुटा पाया. सभी कैंडिडेट्स की तरह उसने भी selection procedure से गुजरना पड़ा और अंत में सफलता ने उसके कदम चूमे, वह सेलेक्ट हो गया. सचमुच राजू के लिए ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी !