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    आपका पत्र मिला 2015-04-22
    2015-04-27 09:55:16 cri

    मीनू:अब हम पढ़ते हैं एक विशेष पत्र, जो हमें भेजा है कर्नाटक से अंकित खंडेलवाल ने। पत्र का शीर्षक है चीन से मेरा परिचय। आईए, सुनते हैं.....

    नमस्कार मेरा नाम अंकित खन्डेलवाल हैं। शुरुआती दिनो मे चीन के बारे में सिर्फ़ इतना ही पता था, कि चीन की आबादी भारत से ज्यादा हैं एवं चीन की दीवार को विश्व के सात अजूबों में गिना जाता हैं। भुगोल मे चीन की बाढ एवं प्राचीनकालीन नदियो के बारे में भी पढ़ा। इतिहास की किताबो से ही भारत एवं चीन के पौराणिक सम्बन्धों के बारे में भी पता चला। उनमें सबसे रोचक बात बुद्ध धर्म का भारत से चीन मे प्रचार- प्रसार एवं चीन से ही दूसरे देशों (जापान, कोरिया) मे फ़ेलाव को लेकर थी। इसी कारण चीन के बारे में हमेशा ज्यादा से ज्यादा जानने कि उत्सुक्ता थी। इन्टरनेट सीखने के पूर्व मुझे चीन के बारे में ज्यादा कुछ पढ़ने को नही मिला।

    कुछ साल बाद, इन्टरनेट सीखने से चीन के बारे में थोडी बहुत जानकारी मिलने लगी। 2008 में ओलाम्पिक खेलो के दोरान मुझे पता चला कि चीन को उभरती हुई महाश्क्ति क्यों कहा जाता हैं। चीन से असली परीचय डेन्मार्क जाकर हुआ। अपनी आगे की पढ़ाई के लिए ढाई वर्ष मैने इस खूबसूरत देश में बिताए।

    अध्ययन के दौरान काफ़ी चीनी सहपाठियो से दोस्ती हुई। आपसी वार्तालाप से मैंने जाना कि चीनी ओर भारतीय संस्कृति मै बहुत समानताए है। मेरे चीनी दोस्तो ने मुझे चीन के खानपान, लिपि, पारिवारिक मेलजोल, खेल-कूद, नव वर्ष के आयोजन, राजनितिक वातावरण एवं चीन मै हुए पिछले कुछ साल के विकास से भी अवगत करवाया। चीनी खाने को चोप स्टिक से पकड़कर खाने का अनुभव बहुत ही मजेदार था। उसके बाद तो मैं नियमित रुप से चीन के बारे में पढ़ने लगा।

    पिछले कुछ महीनो से मैं चीन के बारे मे हार्वड विश्वविधालय के 'चाइना' ऎक्स विषय का अध्ययन कर रहा हुँ। इसमे चीन के 5000 वर्ष पुराने इतिहास, विभिन्न धर्मों के विस्तार, कविता लेखन, चीनी लिपि के विकास के बारे मे पढ़ने को मिल रहा हैं। इस विषय के पाठयक्रम मे चीन के पुराने राजवंशो (सोग, हान, ताँग इत्यादि), प्राचीन चीनी रहन- सहन एवं शिल्पकला को काफ़ी नजदीक से जान पा रहा हूं। इस विषय में जगह-जगह पर चीनी वर्णमाला के शब्दों का भी उपयोग किया गया हैं। इस वजह से अजनबी सी लगने वाली चीनी भाषा भी अब अपनी लगने लगी हैं।

    अनिल:आगे लिखते हैं.....चीन के बारे मे खोजबीन करते हुए मैं २ साल पहले 'चाइना डेली'वेब्साइट तक पहुचा। तब से मैं इसका नियमित पाठक बन गया हूँ। प्रतिदिन कुछ मिनट पढ़ने से चीन के बारे मे मेरी जानकारी काफ़ी बड गई हैं। इसमे कोई दो राय नही हैं कि चीन 21 वीं सदी की एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति हैं। दुनिया की २० प्रतिशत आबादी इस देश मे निवास करती हैं। आज के प्रतिर्स्पधात्मक समय मे इस देश को करीब से जानना मेरे लिये व्यक्तिगत एवं व्यापारिक दोनो तरीके से काफ़ी लाभदायक साबित होगा, ऎसा मेरा मानना हैं। मेरे अब काफ़ी चीनी मित्र भी हैं। हावर्ड द्वारा पढ़ाए जा रहे विषय से अब में चीनी सभ्यता के बारे में भी काफ़ी अच्छी जानकारी रखता हूँ।

    चीन के बारे में इतने सारे तथ्य जानने के बाद मैं 'चीनी'भाषा का अध्ययन करना चाहता था। 'रेडियो चाइना'की हिन्दी वेबसाइट पर कुछ सरल चीनी भाषा के 'वीडियो'सुने तो पाया कि चीनी एक बहुत ही अलग प्रकार की भाषा हैं। काफ़ी कुछ पढ़ा था कि चीनी भाषा बहुत कठिन होती हैं। पर मेरा मानना हैं कि यह थोडी अलग तरह की भाषा हैं, इसलिए इसमें दक्षता हासिल करने के लिए भविष्य मे काफ़ी मेहनत करनी पडेगी। वर्णमाला की जानकारी की हासिल करने मैं सब्से ज्यादा समय व्यतीत करना होगा। मैंने पिछली दो विदेशी भाषाए (जर्मन, स्पेनिश) अंग्रेजी की सहायता से सीखी थी। मैं चीनी भाषा को हिन्दी की सहायता से सीखना चाहता था। मेरी यह खोज मुझे 'सी रा आई हिन्दी'तक ले आयी। 'सी आर आई'पर चीनी भाषा सीखने के कई विक्ल्प दिए गए हैं। यह देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा। अब कुछ ही महीनो के पश्चात मैं भी कुछ चीनी वाक्य बॊल सकुँगा। अगर सब कुछ अच्छा रहा तो शायद में कुछ वर्षो मे अपने चीनी मित्रो के साथ वार्तलाप कर पाउगा।

    चीन के बारे मे भारतीय नजरीये से शायद ही कभी लिखा गया हैं। यह मेरा सपना हैं कि मे कुछ समय चीन मे बिताउ एवं इस खुबसुरत देश के सामाजिक वातावरण का अच्छे से अध्ययन करूं। ताकि, बाद मे इसे बाकी भारतीयो तक पहुँचा सकु। मुझे उम्मीद हे कि मेरा सपना भविष्य में जरूर पूरा होगा।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता नरेंद्र जांगीड़ के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार


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